भारत ने चीन सीमा पर तैनात की के9-वज्र हॉवित्जर तोपें, जानिए इस वज्र की ताकत

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 02-10-2021
जानिए कितनी ताकतवर हैं के9-वज्र हॉवित्जर तोपें
जानिए कितनी ताकतवर हैं के9-वज्र हॉवित्जर तोपें

 

 
नई दिल्ली. भारतीय सेना ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के  अग्रिम मोर्चों पर पहली के9-वज्र स्व-चालित हॉवित्जर तोपों की रेजिमेंट को तैनात किया है.
 
एएनआई द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो में, के9-वज्र को लद्दाख में पहाड़ी इलाकों में आसानी से और तेज गति से नेविगेट करते हुए देखा गया था.
 
यह बंदूक लगभग 50किलोमीटर की दूरी पर दुश्मन के ठिकानों पर हमला कर सकती है.
 
हॉवित्जर केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्र 2018की सेवा के लिए समर्पित बड़ी संख्या में सैन्य उपकरणों में से हैं.
 
कितनी ताकतवर है के9-वज्र स्व-चालित हॉवित्जर तोप, जानिए
 

155एमएम/52कैलिबर गन को केंद्र की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत गुजरात में लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के आर्मर्ड सिस्टम कॉम्प्लेक्स में बनाया जा रहा है.

एलएंडटी ने 2017में के9-वज्र की 100इकाइयों की आपूर्ति के लिए रक्षा मंत्रालय से ₹4,500करोड़ का अनुबंध हासिल किया था. कंपनी ने सूरत से करीब 30किलोमीटर दूर हजीरा में संयंत्र स्थापित किया है.

रक्षा मंत्रालय के अनुबंध में 42महीनों में 100ऐसी प्रणालियों की डिलीवरी शामिल है.

इनमें से पहली 10तोपों को दक्षिण कोरिया के हनवा टेकविन से सेमी नॉक्ड डाउन अवस्था में आयात किया गया था - या अपूर्ण रूप से डिसैम्बल्ड किट - और भारत में एलएंडटी द्वारा असेंबल की गई थी.

बंदूक का वजन 50टन है और यह 47किलो बम दाग सकती है.

ये हॉवित्जर शून्य त्रिज्या में भी घूम सकती हैं, मूल रूप से उसी स्थान पर जहां वे खड़ी हैं.

भारत ने तोपों में अग्नि प्रौद्योगिकी प्रणाली और प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स और संवर्द्धन जोड़े हैं.

उनके शामिल होने से देश की पश्चिमी सीमाओं पर भारतीय सेना की मारक क्षमता को काफी बढ़ावा मिलेगा.