यूक्रेन के पड़ोसी देशों के साथ संपर्क में भारत, विकल्पों पर विचार जारी

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 24-02-2022
यूक्रेन के पड़ोसी देशों के साथ संपर्क में भारत,  विकल्पों पर विचार जारी
यूक्रेन के पड़ोसी देशों के साथ संपर्क में भारत, विकल्पों पर विचार जारी

 

कीव/नयी दिल्ली. केंद्र सरकार यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को अन्य देशों के रास्ते भारत लाने के विकल्प पर विचार कर रही है और इसके लिये यूक्रेन के पड़ोसी देशों से बातचीत की जा रही है. यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास ने गुरुवार को बताया कि वह भारतीय नागरिकों को निकालने के लिये वैकल्पिक व्यवस्था कर रहा है और विदेश मंत्रालय यूक्रेन के पड़ोसी देशों के साथ इसी बाबत बातचीत कर रहा है.

दूतावास ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किये हैं और भारतीय नागरिकों को कहा है कि वे यूक्रेन से बाहर निकलने के लिये उससे संपर्क करें। ये हेल्पलाइन नंबर हैं: प्लस38 0997300483, प्लस38 0997300428, प्लस38 0933980327, प्लस38 0635917881 और प्लस38 0935046170 .

दूतावास ने कहा है कि सभी भारतीय नागरिक हमेशा अपने पास अपना पासपोर्ट और जरूरी दस्तावेज रखे रहें। भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे दूतावास की वेबसाइट तथा फेसबुक , ट्वीटर और इंस्टाग्राम अपडेट पर नजर रखें। यूक्रेन पर रूस के सैन्य अभियान की घोषणा के बाद दोनों देशों के बीच मिसाइल से हमले होने लगे.

इसी दौरान यूक्रेन ने रूस के हमले के कारण वायुमार्ग बंद करने की घोषणा कर दी जिसे एयर इंडिया के विमान को गुरुवार को वापस लौटना पड़ा और भारत लौटने के लिये तैयार कई नागरिक हवाईअड्डे पर ही फंस गये.

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि भारत यूक्रेन में फंसे नागरिकों खासकर छात्रों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दे रहा है और यूक्रेन में तेजी से बदलती स्थिति पर बारीक नजर बनाये हुये है. उन्होंने बताया कि विदेश मंत्रालय द्वारा स्थापित कंट्रोल रूम को विस्तृत किया जा रहा है और अब यह चौबीसों घंटे काम करेगा.

सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय ने उच्च स्तरीय बैठक बुलायी है ताकि यूक्रेन में बदलती परिस्थितियों की समीक्षा की जा सके. मंत्रालय के अधिकारी यूक्रेन के भारतीय दूतावास के साथ लगातार संपर्क में हैं. उन्होंने बताया कि सरकार पोलैंड, हंगरी, मोलदोवा और रोमानिया के रास्ते छात्रों और नागरिकों को यूक्रेन से निकालने की योजना बना रही है लेकिन उससे पहले सभी संभावित कदमों पर विचार किया जा रहा है.

यूक्रेन में जब रूस के साथ विवाद बढ़ने लगा था तब भारत के 20,000 से अधिक नागरिक वहां थे.