महामारी में कर्जे हसना ने दिया एक दर्जन से ज्यादा लोगों को सहारा

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 02-05-2021
कर्जे हसना की टीम
कर्जे हसना की टीम

 

शाहताज खान / पुणे

फातिमा बी के पति का कोरोना के कारण निधन हो गया था. उनके दो बच्चे हैं. वह कम पढ़ी-लिखी एक घरेलू महिला हैं. बच्चों का पालन पोषण कैसे हो यह उनके लिए समस्या बन गया.

आरिफ शेख एक फैक्ट्री में काम करते थे. फैक्ट्री बंद हो गई, तो वे बेरोजगार हो गए. मुफ्त मिलने वाले राशन की लाइन में वह कई बार लगे, लेकिन हाथ फैलाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए और हमेशा खाली हाथ घर वापस लौट आए.

आमना मौसी घर घर जाकर काम करती थीं. कई वर्ष पूर्व उनके पति दुर्घटना का शिकार हो कर बिस्तर पर हैं. तब से आमना मौसी ने अपने पूरे परिवार की जिमेदारी अपने कंधों पर उठाई हुई है. दो वर्ष पहले उन्होंने अपनी बड़ी बेटी की शादी भी कर दी. सब कुछ ठीक चल रहा था, परन्तु 2020 में लगे लॉक डाउन ने सब कुछ बदल दिया. आमना मौसी घर पर खाली बैठने को मजबूर हो गईं.

यह और ऐसे ही न जाने कितने लोग महामारी के बाद बने हालात से जूझ रहे हैं. जो पलायन कर सकते थे, उन्होंने अपने घरों की राह ली, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है, जिनका सब कुछ यहीं है.

ये लोग सहायता के लिए यहां वहां गुहार लगा रहे थे. इन गरीबों को तो बैंक भी खातिर में नहीं लाते. ऐसे समय में अफसर शेख और उनके कुछ साथी मसीहा बनकर लोगों की सहायता के लिए आगे आए. उन्होंने “कर्जे हसना” की राह निकाली. 5000 रुपए की रकम कारोबार शुरू करने के लिए जरूरतमंद लोगों को देने का इंतजाम किया.

https://hindi.awazthevoice.in/upload/news/46__pandemic,_Karz-e-hasna_have_given_support_2.jpg
 
कर्जे हसना ने दिया स्वरोजगार को प्रोत्साहित किया

देखने में यह रकम मामूली थी, लेकिन डूबते को तिनके का सहारा, साबित हुई. क्योंकि यह उन लोगों को दी गई थी, जो मेहनत  द्वारा इस मुश्किल समय में भी इज्जत की दो रोटी खाना चाहते थे.

आरिफ ने कुछ सामान खरीद कर साइकिल पर बेचना शुरू किया. फातिमा बी ने घर में ही कुछ सामान रखकर अपना बिजनेस शुरू किया है. आमना मौसी ने भी अपने घर के दरवाजे के पास साग-सब्जी और घर के छोटे-मोटे सामान रख लिए हैं. खरीदार आने लगे हैं.

यह कर्ज लोगों को भारी नहीं पड़ रहा है, क्योंकि न तो उन्हें ब्याज देना है और न ही उसे तुरन्त वापस करना है. हर माह केवल 500 रुपए वापस करना हैं. आमना मौसी कहती हैं कि पैसे वापस करने के लिए उन्होंने एक गुल्लक रखी है, हर रोज 20 रुपए उस में डाल देती हूं. अब तक वो दो किस्तें अदा कर चुकी हैं.

https://hindi.awazthevoice.in/upload/news/46__pandemic,_Karz-e-hasna_have_given_support_3.jpg
 
कर्जे हसना के तहत स्वरोजगार प्रोत्साहन के बाद खुली एक छोटी दुकान

फिक्रे उम्मत की बुनियाद रखने वाले अफसर शेख का कहना है कि हमारे पास बहुत ज्यादा फंड नहीं था. फिर भी हमने अभी तक 19 लोगों को पांच-पांच हजार रूपए की रकम कारोबार करने के लिए ‘कर्जे हसना’ के तौर पर मुहैया कराई है. वह बताते हैं कि सभी लोग समय पर पैसा वापस कर रहे हैं, जिसके कारण हम और लोगों की सहायता करने में सक्षम हो रहे हैं .

फिक्रे उम्मत ग्रुप के सदस्य इब्राहीम शेख का कहना है कि राशन की एक किट ज्यादा से ज्यादा एक महीने तक पेट भर सकती है और फिर राशन की दूसरी किट मिल सकेगी या नहीं, यह कहना मुश्किल है. लेकिन यह छोटी सी रकम खुद्दार लोगों को इज्जत से पेट भरने का मौका दे रही है.

ग्रुप के लोग मानते हैं कि मजबूर और खुद्दार लोगों को तलाश करना और फिर उन तक सहायता पहुंचाना आसान नहीं है लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं कि किसी की खुद्दारी को चोट न पहुंचे और वे इज्जत से सर उठाकर इस मुश्किल समय का सामना कर सकें.

यह समय भी गुजर जाएगा. लोग वापस अपने काम पर लौट जाएंगे. तब तक यह छोटी सी कोशिश लोगों के हौसले और उम्मीद को टूटने नहीं देगी.