महफूज-उर-रहमान की याद मेंः मीडिया को याद दिलाई उसकी जिम्मेदारी

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 18-10-2021
महफूज-उर-रहमान की याद मेंः मीडिया को याद दिलाई उसकी जिम्मेदारी
महफूज-उर-रहमान की याद मेंः मीडिया को याद दिलाई उसकी जिम्मेदारी

 

आवाज-द वॉयस / नई दिल्ली

मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, लेकिन इसका वर्तमान दृष्टिकोण लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है, क्योंकि वह एक पक्ष की तरह व्यवहार कर रहा है. ये विचार वरिष्ठ पत्रकार मासूम मुरादाबादी ने आज यहां एक स्मारक प्रवचन देते हुए व्यक्त किए.

उन्होंने लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका पर एक भाषण में कहा, ‘निश्चित रूप से हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के निवासी हैं, लेकिन हमारे देश में लोकतांत्रिक मूल्यों का तेजी से पतन लोकतंत्र के भविष्य पर सवाल खड़ा करता है.’

मासूम मुरादाबादी ने कहा कि आज मीडिया की निष्पक्षता दांव पर है, क्योंकि इसके प्रमुख हिस्से ने शोषकों के पक्ष में बोलने के बजाय खुद को शोषक ताकतों का प्रवक्ता बना लिया है.

उन्होंने कहा कि हमारे देश में पत्रकारिता एक मिशन के रूप में शुरू हुई, जो बाद में एक पेशा बन गया और अब यह सिर्फ एक कमीशन बन गया है. कुछ ही समाचार पत्रों और समाचार चैनलों ने पत्रकारिता की प्रतिष्ठा को बचाया है, अन्यथा मीडिया का प्रमुख हिस्सा कमजोर के बजाय शक्तिशाली का समर्थक बन गया है, जो लोकतंत्र के लिए एक जागृत कॉल है. लोकतंत्र को बचाने के लिए मीडिया को अपनी मूल भूमिका में लौटना होगा.

राष्ट्रीय उर्दू परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष और प्रख्यात कवि और पत्रकार चंद्रभान खयाल ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा, ‘मुझे खुशी है कि हमारे बीच मासूम मुरादाबादी जैसे जागरूक पत्रकार हैं.’

उन्होंने कहा कि वर्तमान में लोकतंत्र के चार स्तंभों की परीक्षा हो रही है और उनमें सबसे बड़ी परीक्षा मीडिया है, जो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है. उन्होंने कहा कि मीडिया का मौजूदा रवैया लोकतंत्र और देश के हित में नहीं है.

मीडिया का काम सरकार को खुश करना नहीं, बल्कि दलितों और दलितों के पक्ष में एक मजबूत आवाज उठाना है.

इस अवसर पर बुजुर्ग पत्रकार और कॉलिग्राफर जलालुद्दीन असलम ने महफूज-उर-रहमान के पत्रकारिता जीवन और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और कहा कि वह देश और राष्ट्र के दर्द में थे और उन्होंने हमेशा अपनी कलम का इस्तेमाल शोषितों के पक्ष में किया.

यूनाइटेड मुस्लिम ऑफ इंडिया के तत्वावधान में कार्यक्रम का निर्देशन डॉ. सैयद अहमद खान ने किया.

प्रतिभागियों में वरिष्ठ पत्रकार रहमतुल्लाह फारूकी, सालिक धामपुरी, डॉ. अबू जैद, हकीम अता-उर-रहमान अजमाली, अतहर हुसैन अंसारी, हबीब सैफी, मौलाना निसार हुसैनी, जावेद रहमानी, डॉ. मोहम्मद अरशद घियास, हकीम हाफिज मोहम्मद मुर्तजा, मोहम्मद दानिश और मोहम्मद मोआज शामिल रहे.