वाल्मीकि ने रामायण नहीं लिखी होती, तो हम भगवान राम के बारे में नहीं जानते: आरएसएस प्रमुख भागवत

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 09-10-2022
वाल्मीकि ने रामायण नहीं लिखी होती, तो हम भगवान राम के बारे में नहीं जानते: आरएसएस प्रमुख भागवत
वाल्मीकि ने रामायण नहीं लिखी होती, तो हम भगवान राम के बारे में नहीं जानते: आरएसएस प्रमुख भागवत

 

आवाज द वॉयस /कानपुर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि वाल्मीकि ने रामायण नहीं लिखी होती, तो हम भगवान राम के बारे में नहीं जानते. उन्होंने कहा कि समाज के लोगों को महर्षि वाल्मीकि से करुणा, समर्पण और कर्तव्य की भावना सीखनी चाहिए.
 
वाल्मीकि जयंती पर वाल्मीकि समाज के सदस्यों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर ने संविधान में समाज को अधिकार देने के लिए कानून की स्थापना की है, लेकिन सिर्फ कानून स्थापित करने से सब कुछ नहीं होगा.
 
भागवत ने कहा, बाबा साहब अंबेडकर ने संसद में संविधान देते हुए कहा था कि अब तक जिन्हें पिछड़ा माना जाता है, वे पिछड़े नहीं रहेंगे. वे सबके साथ समान रूप से बैठेंगे. हमने यह सिस्टम बनाया है. लेकिन मन को भी बदलना होगा.
 
आरएसएस प्रमुख ने कहा, बाबा साहब ने कहा था कि उन्होंने व्यवस्था करके राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान की है. लेकिन यह तभी साकार होगा जब सामाजिक स्वतंत्रता आएगी. इसलिए डॉ अंबेडकर ने उस भावना को नागपुर से 1925 से संघ के माध्यम से लाने का काम किया.
 
उन्होंने आगे कहा, मैं वाल्मीकि जयंती के शुभ अवसर पर यहां आकर खुद को धन्य मानता हूं. मैंने नागपुर में पहले वाल्मीकि मंदिर के उद्घाटन में भाग लिया. पूरे हिंदू समाज में वाल्मीकि समाज का वर्णन क्यों नहीं किया जाना चाहिए ?
 
अगर वाल्मीकि ने रामायण नहीं लिखी होती, तो हम भगवान राम के बारे में नहीं जानते.मोहन भागवत ने कहा, वर्ण और जाति व्यवस्था की अवधारणा को भुला दिया जाना चाहिए.
 
आज अगर कोई इस बारे में पूछता है तो समाज के हित में सोचने वाले सभी लोगों से कहा जाना चाहिए कि वर्ण और जाति व्यवस्था अतीत की बात है. इसे भूल जाना चाहिए.
 
देश को और खुद को आगे ले जाने के लिए हमारे मन में संकल्प होना जरूरी है. वाल्मीकि समाज हमारे देश का गौरव है. वाल्मीकि न होते तो राम संसार से परिचित न होते. हमें अपने समाज को हर स्थिति में उन्नत करना सीखना चाहिए.
 
भागवत ने इससे पहले नाना राव पार्क में स्थापित वाल्मीकि की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. वह उत्तर भारत के पहले स्वर संगम घोष शिविर में शामिल होने के लिए शनिवार को कानपुर पहुंचे थे.