शेख मुहम्मद यूनिस / हैदराबाद
तेलंगाना राज्य विशेष रूप से हैदराबाद को भी कोरोना के प्रकोप का सामना करना पड़ रहा है. दैनिक मृत्यु दर आसमान छू रही है. कोरोना की दूसरी लहर के तेज होने के कारण लोग डर की दुनिया में जी रहे हैं. आदमी आदमी से डरता है. लोग अपने प्रियजनों को दफनाने और उनके अंतिम संस्कार के लिए कन्नी काट रहे हैं. यह गंभीर परीक्षा का समय है. सीने सिकुड़ गए हैं. मृत्यु का डर हर जगह है. क्या बच्चे, युवा और बूढ़े सभी कोरोना की घातक महामारी से प्रभावित हैं? ऐसी गंभीर स्थिति में कुछ संगठन और उनके युवा साथी अपनी पूरी क्षमता से मानवता की सेवा करने के लिए अपने जीवन को जोखिम में डाल रहे हैं. उनमें से, युवा कल्याण तेलंगाना का प्रमुख स्थान है. युवा कल्याण तेलंगाना संगठन पिछले लंबे समय से हैदराबाद में काम कर रहा है. लोगों के धर्म और राष्ट्रीयता से इतर संस्था द्वारा हिंदू और मुस्लिम रिवाजों का अंतिम संस्कार निशुल्क किया जा रहा है. ऐसे समय में जब रक्त संबंधों पर भी लोग ध्यान नहीं दे रहे हैं, तो इस संगठन के युवाओं को उनके कार्यों के लिए सलामी दी जा सकती है.
युवा कल्याण संगठन के संस्थापक और अध्यक्ष सैयद जलालुद्दीन जफर ने कहा कि मानवता की सेवा समय की आवश्यकता है. वर्तमान स्थिति में मानवता रो रही है. मानवता के अस्तित्व के लिए कदम आवश्यक हैं. समाज में बहुत डर था. कोरोना में मरने वालों का अंतिम संस्कार एक बड़ी समस्या है, क्योंकि अंतिम संस्कार के लिए करीबी रिश्तेदार भी आगे नहीं आ रहे हैं. स्थिति बहुत गंभीर और अराजक है. स्थिति की समीक्षा के बाद इन सभी कारणों सेयुवा कल्याण संगठन ने न केवल मृतकों को दफनाने और अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया है, बल्कि पिछले एक साल से मानवता की सेवा के लिए बेहतर से बेहतर काम कर रहे हैं. सैयद जलालुद्दीन जफर एक सक्रिय युवा हैं. उन्होंने समर्पित युवाओं की एक उत्कृष्ट टीम विकसित की है, जिन्होंने मानवता की सेवा के लिए खुद को समर्पित कर दिया है.
सैयद जलालुद्दीन जफर ने कहा कि टीम के सभी सदस्यों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है. कोरोना के 1,200 मुस्लिम शवों को दफनाया गया है, जबकि सिखों और ईसाइयों सहित 200 गैर-मुस्लिमों का अंतिम संस्कार किया गया है. उन्होंने कहा कि संगठन से जुड़े 160 लोग हैं, जबकि हैदराबाद में 60 युवा काम कर रहे हैं. युवा कल्याण संगठन के सदस्य रोजा की स्थिति में भी दिन-रात मानवता की सेवा में लगे हुए हैं. दिन में 24 घंटे सेवाएं दी जा रही हैं. मुस्लिम लाशों को शरीयत के अनुसार दफन किया जा रहा है. सैयद जलालुद्दीन जफर ने कहा कि दूसरी लहर बेहद घातक है. मौजूदा स्थिति विश्व युद्धों से भी ज्यादा खतरनाक है.
पिछले दस दिनों के दौरान संगठन द्वारा 50 से अधिक शवों को दफनाया गया है और अंतिम संस्कार किया गया है. उन्होंने कहा कि लोगों को एहतियात बरतनी चाहिए. केवल एहतियात के माध्यम से हम कोरोना से सुरक्षित हो सकते हैं. स्थिति बहुत खराब है, इसलिए अमीर लोगों को गरीबों की मदद के लिए आगे आना चाहिए.
उन्होंने कहा कि उनके संगठन की विभिन्न शाखाएं भी संगठित और योजनाबद्ध तरीके से जिलों में काम कर रही हैं और लाशों को दफनाने का काम किया जा रहा है. पिछले दो हफ्तों में मरने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. मृतक के परिवार शहर के कब्रिस्तानों और श्मशान में अंतिम संस्कार के लिए लंबे समय तक इंतजार कर रहे हैं.
कोरोना की दूसरी लहर तीव्र है. वर्ष 2020 में लाशों के अंतिम संस्कार के लिए संगठन को प्रति सप्ताह 15 से 20 कॉल प्राप्त होते थे. उन्होंने कहा कि मृत्यु दर में वृद्धि के कारण काम कर पाने करने में कठिनाइयां आईं हैं. फिर भी हम लोग लगे हुए हैं.