क्रायोजेपिक इंजन के फेल होने से इसरो को कितने करोड़ का हुआ नुकसान, जानें

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 12-08-2021
क्रायोजेनिक इंजन के विफल होने से  नुकसान
क्रायोजेनिक इंजन के विफल होने से नुकसान

 

वेंकटचारी जगन्नाथन श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को गुरुवार को उस समय झटका लगा, जब उसका जीएसएलवी-एफ10 रॉकेट, जियो-इमेजिंग सैटेलाइट-1 (जीआईएसएटी-1) को कक्षा में स्थापित करने के अपने मिशन से चूक गया.

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि मिशन को पूरा करने के लिए रॉकेट का क्रायोजेनिक इंजन फायर-अप नहीं हुआ. रॉकेट के साथ, 2,268 किलोग्राम जीआईसीएटी-1/ईओएस-03 संचार उपग्रह भी स्थापित नहीं हो सका.

दोनों की कीमत कई सौ करोड़ रुपये से अधिक है. मिशन की विफलता की घोषणा करते हुए, इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा, "क्रायोजेनिक चरण में तकनीकी विसंगति के कारण मिशन पूरा नहीं किया जा सका ." बाद में इसरो ने एक बयान में कहा, " जीएसएलवी-एफ10 लॉन्च 12 अगस्त, 2021 को भारतीय समयनुसार 5 बजकर 43 मिनट पर निर्धारित समय के अनुसार लॉन्च हुआ.

पहले और दूसरे चरण का प्रदर्शन सामान्य था. हालांकि, तकनीकी विसंगति के कारण क्रायोजेनिक का अपर स्टेज इग्निशन नहीं हुआ. उद्देश्य के अनुसार मिशन पूरा नहीं किया जा सका." क्रायोजेनिक इंजन के नन-फायरिंग के कारण को इसरो द्वारा जांचना होगा, क्या एक दोषपूर्ण घटक इसका कारण था.

विडंबना यह है कि यह असफलता भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के जनक विक्रम साराभाई की जयंती पर हुई है. रॉकेट के उड़ान भरने के महज पांच मिनट बाद ही यहां अंतरिक्ष केंद्र पर स्थित मिशन नियंत्रण तनावग्रस्त हो गया था.

रॉकेट को टेलीमेट्री स्क्रीन पर अपने प्लॉट किए गए पथ से दूर घूमते हुए देखा गया था और रॉकेट से कोई डेटा नहीं आ रहा था. इसरो के अधिकारियों में से एक ने घोषणा की कि क्रायोजेनिक इंजन में एक प्रदर्शन विसंगति थी. तब अधिकारियों को एहसास हुआ कि मिशन विफल हो गया है और सिवन ने इसकी घोषणा की.