कोरोनो पर जीत हासिल करने की जुगत

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  AVT | Date 25-01-2021
कोरोना की चुनौती पर लहराया तिरंगा
कोरोना की चुनौती पर लहराया तिरंगा

 

मंजीत ठाकुर

पिछला एक साल बेशक भारत के लिए चुनौतियों से भरा रहा, लेकिन मुल्क ने यह साबित करके दिखाया कि तिरंगा हर दुश्वारियों पर जीत हासिल करके लहराता रहेगा. फरवरी में कोरोना संक्रमण से हुई पहली मौत के बाद से लेकर अगले दस महीने पूरे राष्ट्र के लिए चुनौतियों भरे थे.  

लेकिन, देशव्यापी सख्त लॉकडाउन और प्रवासी मजदूरों के पलायन जैसी दिक्कतों के बावजूद देश कोरोना से लड़ता रहा. इस सफर में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन 16 सितंबर कोविड महामारी के सबसे अंधियारे दिनों में एक था. उस दिन महज 24 घंटों के भीतर देश में कोविड संक्रमण के 97,655 नए मामले दर्ज हुए थे. इससे उस वक्त सक्रिय मामलों की संख्या 10 लाख को पार कर गई थी.

उस दिन भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 5,11,593 हो गई थी. इस मामले में भारत दुनिया में दूसरे पायदान पर आ गया था. उस दिन तक, देश में कोविड से होने वाली मौतें भी 83,231 हो गई थी. मौतों के मामले में हिंदुस्तान दुनिया में तीसरे नंबर पर था.

इन्हीं परिस्थितियों में सोशल मीडिया पर अफवाहें तेज हो गईं कि देश में दूसरे लॉकडाउन की तैयारियां चल रही हैं. अस्पतालों में और अधिक कोविड बिस्तरों की तैयारी शुरू कर दी गई थी. उस वक्त उपचार के विकल्प भी सीमित होने लगे थे, क्योंकि प्लाज्मा थेरेपी और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन भी नोवल कोरोना वायरस के खिलाफ बेअसर साबित हो रहे थे. इससे पहले भारत में इतने सारे नए मामले कभी दर्ज नहीं किए गए थे.

लेकिन आज की तारीख में देश में सक्रिय मामलों की संख्या सितंबर के मुकाबले (1,97,818) के मुकाबले महज एक फीसद रह गई हैं. संक्रमित होने की तुलना में तंदरुस्त होने वालों की संख्या कहीं अधिक हो गई है. यानी यह उम्मीद की जा सकती है कि इस महीने से, यानी जनवरी 2021से एक्टिव मामलों की संख्या और भी कम होती जाएगी. रिपोर्ट के लिखने तक, देश में नए दर्ज होने वाले मामलों की संख्या 10 हजार से नीचे चली गई है और रिकवरी की दर भी 96.6 फीसद तक आ गई है. कोरोना से होने वाली मृत्य दर भी महज 1.4 फीसद रह गई है. 

इसका एक मतलब यह हुआ कि सख्त लॉकडाउन और परिवहन के साधनों को रोककर रखने से फौरी तौर पर चाहे हम भले ही थोड़े परेशान हुए हों लेकिन इसने कोविड के फैलाव को दूरदराज के इलाकों तक जाने से रोक दिया. सरकार ने अपने तरीके से देशभर में जागरूकता फैलाई. सोशल मीडिया ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई. इस वजह से भारत की करीबन 1.32 अरब आबादी में से महज 0.7 फीसद लोग ही कोविड पॉजिटव पाए गए.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि कोविड की वजह से मरने वाले अधिकतर लोग 45 साल से ऊपर के थे. 17 साल के कम उम्र के मृतकों की संख्या महज एक फीसद रही. यह आंकड़ा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि दुनिया के दूसरे विकासशील देशों में युवा आबादी ही कोविड की शिकार हुई.

कोविड के प्रसार को थामने में हिंदुस्तान इसलिए भी कामयाब रहा, क्योंकि मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बरतने को लेकर जागरूकता अभियान बड़े पैमाने पर चलाया गया.

अब जबकि देश में कोविड के टीके आ चुके हैं, और पहले छह दिन में भारत भर में 10 लाख फ्रंटलाइन वॉरियर्स को कोरोना वैक्सीन लगाई जा चुकी है. यह एक ऐसा आंकड़ा है जिसमें भारत ने अमेरिका और ब्रिटेन को भी पीछे छोड़ दिया है. हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस वक्त (24 जनवरी तक) तक देश में 16 लाख लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है.

हालांकि, सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने भारत में कोरोना के टीके को लेकर अफवाहें फैलाईं लेकिन प्रधानमंत्री ने खुद वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर सबको आश्वस्त किया. उन्होंने राष्ट्र के नाम संदेश में कहा कि भारतीय वैक्सीन विदेशी विकल्पों के मुकाबले काफी सस्ते हैं और भारतीय परिस्थितियों में उनका रख-रखाव भी आसान है.

लेकिन कोविड संक्रमण के पहले मामले से लेकर टीकाकरण में 16 लाख से अधिक लोगों को शामिल करने तक, हमारा यह सफर चुनौतियों से भरा रहा है.

भारत में सिर्फ इलाज ही चुनौतीपूर्ण नहीं था, बल्कि टेस्टिंग, आइसोलेशन और कोविड संक्रमण के प्रसार की पहचान सब कुछ बड़े पैमाने पर करना पड़ा. देश के लिए कोविड नई बीमारी थी इसलिए जैसे-जैसे इस के बारे में जानकारियां जुटती गईं  हमारे लिए टेस्टिंग और इलाज के लिए सूचनाएं बढ़ती गई . इलाज के लिए उसी लिहाज से व्यवस्था भी दुरुस्त होती गई. इलाज आसान होता गया.

22 मार्च 2020 को कुल टेस्टिंग 18,127 थीं लेकिन 28 दिसंबर, 2020 को जांचों की कुल संख्या बढ़कर 1,68,818,354 हो गईं. उसी तरह 1 फरवरी, 2020 को देश में टेस्ट लैबों की संख्या महज 13 थीं जो दिसंबर के आखिरी दिन तक बढ़ाकर 2,285 कर दी गईं.

इस महामारी ने बेशक देश के सामने कठिन चुनौतियां पेश कीं. लॉकडाउन के ऐलान के बाद जब सार्वजनिक परिवहन पर बंदिश आयद  हो गई तो लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घरों की तरफ पैदल निकल पड़े. उनके गृहराज्यों में उनके आइसोलेशन की व्यवस्था करनी पड़ी.

और फिर जब लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से हटाया गया तो उससे पहले राज्य सरकारों ने केंद्र के निर्देश पर यह सुनिश्चित किया कि लोग आपस में सामाजिक दूरी का पालन करें और मास्क पहनते रहें.

अभी भी कोविड का कोई गारंटीशुदा इलाज आया नहीं है.  टीकाकरण शुरू हो चुका है और तेजी से चल रहा है, लेकिन यह तय है कि बदतरीन दौर अब बीत चुका है.

हमने इस महामारी का अंधियारा दौर पार कर लिया है, लेकिन इस कठिन परीक्षा में खरे उतरकर हमने साबित किया कि बतौर राष्ट्र मुश्किल झेलने के वक्त हम एक हो जाते हैं. यही हमारी ताकत है. अब अपने तजुर्बे की बदौलत हम पड़ोसी और दूसरे मुल्कों को भी टीका उपलब्ध करा रहे हैं.

हमारा तिरंगा न सिर्फ चुनौतियों पर लहरा रहा है, इसके तीनों रंग दुनिया के बाकी मुल्कों में भी मददगार बनकर इंद्रधनुष की बाकी रंग भी बिखेर रहा है.