आवाज द वॉयस /नई दिल्ली
दरगाह शरीफ हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी का एक प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली में जमीयत उलेमा हिंद के प्रधान कार्यालय पहुंचा और जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी से मुलाकात की.
प्रतिनिधिमंडल में सैयद अब्दुल वाहिद चिश्ती अंगारा शाह, सैयद मसबर हुसैन चिश्ती खादिम दरगाह ख्वाजा साहिब और हाजी असरार अहमद खान अध्यक्ष पठान फाउंडेशन शामिल थे.
इस अवसर पर जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना मदनी, जनरल मॉडरेटर मौलाना हकीमुद्दीन कासमी और मौलाना नियाज अहमद फारूकी मौजूद रहे. यहां आने पर आगत अतिथियांे का फूलों का गुलदस्ता देकर स्वागत किया गया.
मौलाना मदनी ने इस दौरान अपने संबोधिन में दरगाह की ऐतिहासिक और धार्मिक भूमिका पर प्रकाश डाला. कहा कि यह तथ्य है कि भारत में सूफियों, विशेष रूप से हजरत ख्वाजा गरीब नवाज ने सुधार और शिक्षा और उनके मानवतावाद, अच्छे स्वभाव ने ऐसे उच्च नैतिक मानदंड कायम किए हैं कि भारतीय समाज में वहां तक कोई और नहीं पहुंच सकता.
यह उनके चरित्र और कर्मों की प्रामाणिकता है कि उनकी महानता के आगे दिल और आंखें झुकती हैं. आज इस चरित्र को और मजबूत करने की जरूरत है. अजमेर शरीफ मुसलमानों सहित सभी वर्गों के बीच एकता और सद्भाव के लिए सबसे बड़ी केंद्रीय भूमिका वाली संस्था है.
मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत के अधिकांश लीडरों का आध्यात्मिक वंश हजरत ख्वाजा साहब से जुड़ता है. मौलाना मदनी से मुलाकात के बाद प्रतिनिधिमंडल ने जमीयत उलेमा हिंद के पुस्तकालय का दौरा किया और जमीयत के बारे में जानकारी प्राप्त की.
सैयद अब्दुल वाहिद चिश्ती अंगारा ने अपने उद्बोधन में कहा कि जमीयत उलेमा हिंद का दरगाह अजमेर शरीफ से ऐतिहासिक रिश्ता है. आजादी के बाद देश को उबारने में जमीयत की भूमिका सुनहरे अक्षरों से इतिहास में दर्ज है.उन्होंने उर्स के मौके पर जमीयत की चिकित्सा सेवाओं की भी तारीफ की.