इतिहासकार एम ए नईम का निधन

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 15-06-2022
मीर अयूब अली खान की फोटो
मीर अयूब अली खान की फोटो

 

आवाज द वॉयस /हैदराबाद
 
देश के चर्चित इतिहासकार हारून खान शेरवानी, डॉ ए आर कुलकर्णी और डॉ जगदीश नारायण सरकार के बीच अपनी खास पहचान रखने वाले दक्कन मशहूर इतिहासकार और लेखक एम ए नईम के नाम से मशहूर डॉ मुहम्मद अब्दुल नईम का निधन हो गया.

उनका दो दिन पहले तबियत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनके निधन की खबर बहुत काम लोगों को मालूम है. दक्कन के इस इतिहासकार के निधन का समाचार भी हैदराबाद के दो उर्दू और एक अंग्रेजी अखबार बहुत संक्षिप्त छापा गया.
 
उन्होंने दक्कन के इतिहास और कई अन्य विषयों पर कई किताबें लिखकर इतिहास रचा. उनकी आखिरी किताब, मीर उस्मान अली खान आसफ जाह टप्प् और उनके योगदान पर थी जो 2018 में प्रकाशित हुई थी.
 
एक अखबर के संपादक ने बताया, मैं उन्हें बहुत सालों से जानता था. वास्तव में, मैं उनसे पहली बार सऊदी अरब के जेद्दा में मिला था. उन्होंने कहा कि वह हैदराबाद और भारत के एक अन्य विद्वान उमर खालिदी के मित्र हैं.
 
वह मजाकिया थे. वह अकेले काम करते थे. वह एक पेशेवर संपादक से मदद लेने में विश्वास नहीं करते थे. लेकिन उन्होंने अपने पीछे जो काम छोड़ा है वह अद्भुत है. उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों की संख्या बहुत बड़ी है. उन्होंने लगभग 25 पुस्तकें और कई लेख लिखे हैं.
 
नईम के काम को हारून खान शेरवानी, डॉ ए आर कुलकर्णी और डॉ जगदीश नारायण सरकार जैसे विद्वानों भी सराह चुके हैं.प्राचीन वस्तुओं के एक प्रसिद्ध संग्रहकर्ता मोहम्मद सफीउल्लाह ने कहा कि वह नियमित रूप से नईम से मिलते थे और उनकी बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति पर नजर रख रहे थे. नईम के दो भतीजे उनकी देखभाल कर रहे थ. कुछ समय पहले उनकी हालत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
 
नईम का जन्म 1938 में हैदराबाद में हुआ था और उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से स्नातक और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर किया. उन्होंने ए आर कुलकर्णी के मार्गदर्शन में पुणे विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की.
 
बाद में उन्होंने राज्य अभिलेखागार में विशेष अधिकारी के रूप में काम किया. उन्होंने सम्राट औरंगजेब युग के मुगल दस्तावेजों पर शोध किया. वह 1982 में सऊदी अरब गए जहां उन्होंने खाड़ी देशों से संबंधित कई परियोजनाओं पर काम किया.
 
2000 में हैदराबाद लौटने पर, उन्होंने दक्कन सल्तनत पर छह पुस्तकों की एक श्रृंखला पर काम करना शुरू किया.उनकी पत्नी जो एक डॉक्टर थीं, सऊदी अरब में भी काम करती थीं. कुछ साल पहले उनका निधन हो गया. उनके परिवार में तीन बेटे हैं.