हिजाब विवादः इंडियन मुस्लिम फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी ने की ईरान की निंदा

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 23-09-2022
हिजाब विवादः इंडियन मुस्लिम फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी ने की ईरान की निंदा
हिजाब विवादः इंडियन मुस्लिम फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी ने की ईरान की निंदा

 

नई दिल्ली. इंडियन मुस्लिम फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी (आईएमएसडी) के लिए भारतीय मुसलमानों ने ईरान के ‘सत्तावादी कानूनों और उनके हत्यारे प्रवर्तन’ की निंदा करते हुए कहा है कि ‘‘सिर्फ सिर न ढकने के लिए एक साथी इंसान को मारना अमानवीय और बर्बर है.’’

एक 22 वर्षीय ईरानी युवती महसा अमिनी की कथित तौर पर उसके सिर को ढकने के लिए पुलिस द्वारा पिटाई के बाद उसे लगे घावों के कारण पुलिस की हिरासत में मौत हो गई. शांतिपूर्ण तरीके से हत्या के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कई प्रदर्शनकारी भी मारे गए हैं.

आईएमएसडी ने कहा कि इस युग के क्षण में, ‘‘भारतीय मौलवी और रूढ़िवादी मुसलमान जो सामान्य रूप से पोशाक चुनने के अधिकार के सिद्धांत का हवाला देते हुए मुस्लिम महिलाओं के लिए अनिवार्य सिर ढकने का समर्थन करते हैं, उनसे सवाल किया जाना चाहिए कि क्या वे ईरानी महिलाओं के ‘सिर ढंकने को चुनने या मना करने के अधिकार का समर्थन करते हैं.’’

95 लोगों द्वारा हस्ताक्षरित बयान में कहा गया है कि यह उन सभी लोगों का पाखंड होगा, जो इस उदार लोकतांत्रिक तर्क को टॉम-टॉम करते हैं कि ‘बुर्का, नकाब, हिजाब को जबरन हटाना एक महिला के बुनियादी मानवाधिकारों के खिलाफ है’, लेकिन जो अलग-अलग ईरानी महिलाओं के समर्थन में आगे नहीं आते हैं. जिन धर्मों को ईरान के इस्लामी शरिया प्रथाओं के अनुरूप अपना सिर ढंकने के लिए मजबूर किया जाता है. गौरतलब है कि ईरान में अनिवार्य रूप से सिर ढंकने का नियम मुसलमानों और गैर-मुस्लिमों पर समान रूप से लागू होता है.

सामूहिक ने भारतीय नागरिक समाज से ‘उन धार्मिक शक्ति अभिजात वर्ग के पाखंड को चुनौती देने’ का आह्वान किया, जो भारतीय संविधान के उदार सिद्धांतों को अपनी ‘कट्टरपंथी और स्त्री विरोधी उपयुक्तता’ के अनुसार चुनते हैं, जबकि इन सिद्धांतों को ‘प्रगतिशील के खिलाफ फहराया जाता है.’

बयान के अनसार सेक्युलर डेमोक्रेसी के लिए भारतीय मुस्लिम ईरानी राज्य के रूढ़िवादी, सत्तावादी कानूनों और उनके जानलेवा प्रवर्तन की कड़ी निंदा करते हैं. 21वीं सदी के इस तीसरे दशक में केवल सिर न ढकने के लिए किसी साथी इंसान की हत्या करना अमानवीय और बर्बर है. साथ ही, हम ईरानी महिलाओं के चयन के अधिकार का समर्थन नहीं करने में भारत के मुस्लिम मौलवियों के पाखंड पर सवाल उठाते हैं, यह एक तर्क है जो भारत में चल रहे हिजाब विवाद के संदर्भ में सामने आता है.

दुनिया ईरान में घटनाओं का एक भयावह मोड़ देख रही है, जहां राज्य के अत्याचार ने 22 वर्षीय युवती महिसा अमिनी की हिरासत में हत्या कर दी है, सिर्फ उसका सिर ढकने के लिए. कोई कम चौंकाने वाला तथ्य यह नहीं है कि अनिवार्य रूप से सिर ढकने का विरोध करके हत्या का विरोध करने वालों को पुलिस द्वारा सड़कों पर हिंसा, अपमान और गिरफ्तारियों का शिकार होना पड़ रहा है.

तेहरान और ईरान के अन्य हिस्सों से आने वाली खबरें और रीयल टाइम वीडियो दिल दहला देने वाले हैं. हालाँकि इन विरोधों का दिल को छू लेने वाला पहलू युवा ईरानी पुरुषों का सक्रिय समर्थन है, जो पुरातन पारंपरिक प्रथाओं और राज्य के अत्याचारों का विरोध कर रहे हैं.

इस युग के क्षण में, भारतीय पादरियों और रूढ़िवादी मुसलमानों, जो पोशाक चुनने के अधिकार के सिद्धांत का हवाला देते हुए मुस्लिम महिलाओं के लिए अनिवार्य सिर ढकने का समर्थन करते हैं, से सवाल किया जाना चाहिए कि क्या वे ईरानी महिलाओं के ‘सिर ढकने या मना करने के अधिकार’ का समर्थन करते हैं?

बयान के हस्ताक्षरकर्ताओं में भारतीय मुस्लिम धर्मनिरपेक्ष युवा आंदोलन सोलापुर के अकबर शेख, मुंबई के डिजाइनर अमीर रिजवी, दिल्ली के अंजुम जावेद, फिल्म लेखक अंजुम राजाबली आदि शामिल हैं.