बसंत में बसंती हो गई हजरत निजामुद्दीन की दरगाह

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 16-02-2021
बसंत में बसंती हो गई हजरत निजामुद्दीन की दरगाह
बसंत में बसंती हो गई हजरत निजामुद्दीन की दरगाह

 

अब्दुल हई खान / नई दिल्ली

बसंत में बुधवार को बसंती हो गई निजामुद्दीन औलिया की दरगाह. पतझड़ के बाद जब पेड़ों पर हरियाली आती, फूलों की कोपलें खिलने लगती हंै, तब आता है बसंत पंचमी का पर्व. पूरे भारत में यह बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है.  इस त्यौहार का एक और रंग है, भाईचारा, साम्प्रादायिक सौहार्द और गंगा जमुनी तहजीब का, जो प्रत्येक वर्ष बसंत के दिन दिल्ली की हजरात निजामुद्दीन औलिया सहित और पांच बड़ी दरगहों पर देखने को मिलता है.

 दरगाहों पर सुबह से देर रात तक गहमा-गहमी रही. दरगाह पर फूल और चादरपोशी करने वालों का तांता लगा रहा. हर तरफ बसंती रंग छाया हुआ था.दरगाह पर बंसत त्योहार मनाने का पुराना इतिहास है. बताते हैं कि हजरात निजामुद्दीन औलिया अपने जवान सूफी भांजे की कमसिनी में मौत से गमगीन रहने लगे थे. उनके गमजदा रहने का प्रभाव हजरत अमीर खुसरो पर भी दिखने लगा.

तभी बसंत का मौसम आ  गया. करीब के खेतों में खुश बच्चियां हाथों में रंग बिरंगे फूल लिए गीत गाती नजर आईं. कहते हैं, अमीर खुसरो अपने दोस्तों के साथ उन बच्चियों को हजरात निजामुद्दीन औलिया के पास ले आए. वह बच्चियों के गीत और नृत्य देख कर इतने खुश हुए कि अपने भांजे की मौत का गम भूल गए. तभी से हजरात निजामुद्दीन औलिया कि दरगाह पर बसंत के त्योहार पर जश्न मनाने का सिलसिला चला आ रहा है.

 हर वर्ष की तरह इस बार भी बड़ी संख्या में सभी धर्मों के लोग दरगाह पर हाजरी देने को जुटे. इसके लिए दरगाह को विशेष तौर से जाया गया था. कव्वाली का कार्यक्रम भी चला. बसंत को लेकर गीत के प्रोग्राम भी आयोजित किए गए. मजारों पर बसंती चादरें चढ़ाईं गईं.