ज्ञानवापी विवादः कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका की खारिज

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 17-11-2022
ज्ञानवापी विवादः कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका की खारिज
ज्ञानवापी विवादः कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका की खारिज

 

वाराणसी. वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट ने गुरुवार को अंजुमन इस्लामिया मस्जिद समिति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का कब्जा हिंदू पक्ष को सौंपने के मुकदमे की पोषणीयता (कानूनन सुनवाई करने की योग्यता) को चुनौती दी गई थी. अदालत ने 2 दिसंबर को अगली सुनवाई के लिए याचिका टाल दी. अदालत ‘शिवलिंग’ के पूजा अधिकार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पाए जाने का दावा किया था.

कथित शिवलिंग मिलने के बाद विश्व वैदिक सनातन संस्था ने भी वाराणसी के फास्ट ट्रैक कोर्ट में अलग से याचिका दायर की थी. याचिका विश्व वैदिक सनातन संस्था के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह विशेन की पत्नी किरण सिंह व अन्य ने दायर की थी. हिंदू पक्ष की मांगों में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की प्रार्थना की तत्काल शुरुआत की अनुमति, संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपने और ज्ञानवापी परिसर के परिसर के अंदर मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना शामिल है.

हिंदू पक्ष के अधिवक्ता अनुपम द्विवेदी ने कहा, ‘‘वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मुकदमे की स्थिरता को चुनौती देने वाली मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया.’’ मामला कोर्ट में रहने तक मुस्लिम पक्ष को परिसर में नमाज पढ़ने की इजाजत है.

सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को उस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए अपने पहले के आदेश को बढ़ा दिया, जहां अदालती सर्वेक्षण के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्शिवलिंगश् पाए जाने की बात कही गई थी. पिछली सुनवाई के दौरान वाराणसी की अदालत ने कथित श्शिवलिंगश् की ‘वैज्ञानिक जांच’ की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. हिंदू पक्ष ने उस संरचना की कार्बन डेटिंग की मांग की थी, जिसे उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के वजुखाना के अंदर पाए गए शिवलिंग होने का दावा किया था.

हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना था कि जो ढांचा मिला है वह एक ‘फव्वारा’ था. हिंदू पक्ष ने तब 22 सितंबर को वाराणसी जिला अदालत में एक आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसमें उस वस्तु की कार्बन डेटिंग की मांग की गई थी, जिसे उन्होंने ‘शिवलिंग’ होने का दावा किया था. हिंदू पक्ष ने कहा कि वे वाराणसी की अदालत के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक दरवाजा खटखटाएंगे, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पाए जाने वाले कथित ‘शिवलिंग’ की श्वैज्ञानिक जांचश् की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था.

29 सितंबर की सुनवाई में हिंदू पक्ष ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच और उसके आसपास के इलाके की कार्बन डेटिंग की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट के 17 मई के आदेश का जिक्र करते हुए वाराणसी कोर्ट ने कहा था कि ‘‘सैंपल लेने से अगर कथित शिवलिंग को नुकसान पहुंचता है तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा.’’ वाराणसी कोर्ट ने कहा था, ‘‘अगर शिवलिंग को नुकसान पहुंचता है, तो आम जनता की धार्मिक भावनाएं भी आहत हो सकती हैं.’’

कार्बन डेटिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जो किसी पुरातात्विक वस्तु या पुरातात्विक खोज की आयु का पता लगाती है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा से जुड़े मामले को सिविल जज से जिला ट्रांसफर करने का आदेश दिया था.