मलिक असगर हाश्मी / नई दिल्ली
एक सीधा सवाल ! यदि किसी फ्लैट में रहने वाले सभी लोग कोरोना ग्रस्त हो जाएं, होम आइसोलेशन में रहने की मजबूरी हो, अपने लिए भोजना-पानी का इंतजाम नहीं कर सकते, तो वे कब तक भूखे-प्यासे रह सकते हैं ?
कहने को यह सवाल बहुत सीधा है, पर जवाब उतना ही जटिल. मगर दिल्ली और नोएडा-ग्रेटर नोएडा में होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज ऐसे सवालों से थोड़ा भी विचलित नहीं हो रहे हैं. कारण, कि उनके भोजन-पीने के प्रबंध का जिम्मा इलाके के गुरूद्वारा ने संभाल रखा है.
राजधानी दिल्ली के होम आइसोलेशन के मरीजों तक दो वक्त का खाना पहुंचाने की जिम्मेदारी जहां दिल्ली सिख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी ने संभाल रखी है, वहीं नोएडा-ग्रेटर नोएडा के मरीजों का जिम्मा वहां के सेक्टर 18 के गुरूद्वारा के पास है. इस वक्त गुरूद्वारों में होम क्वरंटाइन मरीजों के लिए विशेष लंगर सेवा चलाई जा रही है.
दिल्ली गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी की वैन बजाप्ता होम डिलवरी करने जाती है. भोजन घर तक पहुंचाने वाला कार्यकर्ता पीपीई किट में होता है. फ्लैट पर पहुंचकर काल बेल बजाता है. उपर से मरीज कोई बास्केट या थैला डोरी में बांधकर नीचे लटकाता है, जिसमें खाने का सामान रख दिया जाता है.
गुरूद्वारे द्वारा होम आइसोलेशन के रोगियों को पहुंचाया जाने वाला भोजना अच्छी तरह पैक होता है. खाने में रोटी-सब्जी, सलाद आदि होते है. एक मरीज ने कहा-कभी-कभी मीठा भी होता है.
नोएडा, सेक्टर 18 के गुरूद्वारा के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी गुरप्रीत सिंह खुद सारी व्यवस्था देख रहे हैं. वह कार्याकर्ता द्वारा भोजन के पैकेट ले जाने तक रसोई में मौजूद रहते हैं.
ज्ञानी गुरप्रीत सिंह बताते हैं,‘‘ ग्रेटर नोएडा एवं नोएडा में रोजाना तकरीबन 500 भोजन के पैकेज डिलवर किए जा रहे हैं. फ्लैटों में आइसोलेशन में रहने वाले कोरोना रोगियों की जानकारी गुरूद्वारे को उनकी सोसायटी द्वारा उपलब्ध कराई जाती है.
गुरूद्वारे में ऐसे सेक्टरों एवं फ्लैटों की बकायदा सूची टंगी है जिससे पता चलता है कि कहां, किस फ्लैट में कितने लोग होम आइसोलेशन में हैं और उन तक खाने के कितने पैकेट पहुंचाए जाने हैं. डिलवरी के लिए गुरूद्वारे ने अलग, अलग रूट पर अपने कार्यकर्ता तैनात कर रखे हैं.
ज्ञानी गुरप्रीत सिंह बताते हैं कि होम क्वरंटाइन के अधिकांश मरीज ऐसी स्थिति में नहीं होते कि वह खुद खाना बना सकें. संक्रमण के डर से चाहकर दूसरे लोग भी उन तक भोजन नहीं पहुंचा पाते. ऐसे में गुरूद्वारे की मदद ली जाती है.
इस तरह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने पर एक टीवी एंकर चित्रा त्रिपाठी कहती हैं,‘‘ मैंने हमेश बुरे वक्त में गुरूद्वारों को सबसे पहले मदद के लिए आगे आते देखा है.’’ वैसे, इस वक्त दूसरी कौमें भी अपने, अपने तरीके से कोरोना पीड़ितों को हर संभव मदद पहुंचाने में जुटी हैं.