पूर्व चीफ जस्टिस मार्कंडेय काटजू भी आज रोजा से

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 07-05-2021
पूर्व चीफ जस्टिस मार्कंडेय काटजू भी  आज रोजा से
पूर्व चीफ जस्टिस मार्कंडेय काटजू भी आज रोजा से

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस मार्कंडेय काटजू भी जा रोजा से हैं. उन्होंने भी रमजान के आखिरी शुक्रवार यानी अलविदा के दिन रोजा रखा है. उन्होंने विश्वभर के गैर मुस्लिमों से भी रमजान का आखिरी रोजा रखने की अपील की है.
 
काटजू कहते हैं कि वह पिछले 25 वर्षों से रमाजान के आखिरी जुमे यानी अलविदा के दिन रोजा रखते आ रहे हैं. उनके मुताबिक, वह ऐसा मुस्लिम भाई, बहनों के सम्मान एवं सौहार्द के लिए करते हैं.
 
उन्हांेने अपने ट्विटर हैंडल से ट्विट कर दुनिया भर के गैर मुस्लिमों को अलविदा के दिन रोजा रखने का सुझाव दिया है. उन्होंने सहरी और इफतार के समय की जानकारी भी दी है. साथ ही यह भी बताया कि रोजे की स्थिति में न कुछ खाया जाता है और ही कुछ पीया जाता है.
 
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस मार्कंडेय काटजू के इस खुलासे की तारीफ करते हुए दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष जफरूल इस्लाम खान ने ट्विट किया, ‘‘तजुर्बा सूरत है. आजमा के देखो, इससे शरीर और मन दोनों की सफाई होती है.’’
 
हालाकि, काटजू के रोजा रखने की जहां तारीफ हो रही है, वहीं इसकी आलोचना भी कम नहीं हो रही. व्यापारी डाक्टर जिया अहमद खा तो काटजू को इस्लाम और मुस्लिम विरोधी कहने से भी नहीं चूकते. 
 
सामाजिक कार्यकर्ता मजहर हुसैन ने जफर इस्लाम के ट्विट पर प्रतिक्रिया में कहा है,‘‘सर, यह चर्चा में बने रहने के लिए यह सब करते हैं.’’ हालांकि, काटजू का कहना है कि वह पिछले 25 वर्षों से ऐसा करते आ रहे हैं. ऐसे में यह कहना उनकी आस्था को चोट पहुंचाने जैसा होगा कि वह चर्चा में बने रहने केलिए ऐसा करते रहते हैं. राजश्री भट्टाचार्य ने काटजू के रोजा रखने की जानकारी पर चिढ़कर ट्विट किया-‘खाने के मैन्यू में सूअर की बिरयानी भी रखें.’