मुम्बई की जामा मस्जिद में ‘फेमिली फर्स्ट गाइडेंस सेंटर’ की स्थापना

Story by  शाहताज बेगम खान | Published by  [email protected] | Date 23-06-2022
मुम्बई की जामा मस्जिद
मुम्बई की जामा मस्जिद

 

शाहताज बेगम खान/ पुणे

मुम्बई की जामा मस्जिद में ‘फेमिली फर्स्ट गाइडेंस सेंटर’ की स्थापना की गई है. यहां डॉक्टर, वकील, मनोचिकित्सक,काउंसलर और विभिन्न क्षेत्रों के माहिर समय-समय पर लोगों की समस्याओं का समाधान तलाश करने में उनकी सहायता करेंगे.

मस्जिद में एक मार्गदर्शन केन्द्र की स्थापना ने एक नया मार्ग दिखाया है और सहज ही समझाया है कि मस्जिदें केवल प्रार्थना और आध्यात्मिक मार्गदर्शन का स्थान ही नहीं हैं बल्कि शैक्षिक और सामाजिक गतिविधियों और विभिन्न समस्याओं के समाधान के केन्द्र के रूप में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.

मार्गदर्शन केन्द्र की स्थापना

मुम्बई की जामा मस्जिद अब केवल नमाज़ पढ़ने के लिए ही नहीं है. अब यहां नमाज़ पढ़ने के साथ-साथ उन्हें अपनी विभिन्न समस्याओं को हल करने के लिए सलाह और समाधान भी सुझाए जाएंगे. जामा मस्जिद के चेयरमैन शुएब खतीब कहते हैं, “यह केन्द्र दारुल सुलह (House of resolution)और दारुल सलाह (House of suggestion) के अंदाज में काम करेगा. केवल फैसले करा देना हमारा काम नहीं होगा, बल्कि आपसी भाईचारे और रिश्तों को मजबूत करने पर हमारा ध्यान केंद्रित होगा.”

विवाद, मतभेद और मानसिक तनाव

आज के समय में एक आम व्यक्ति प्रतिदिन अनेक समस्याओं से जूझ रहा है. मस्जिद के मुफ्ती अशफ़ाक काज़ी साहब कहते हैं, “इस सेंटर पर घरेलू झगड़ों का निपटारा तो किया ही जाएगा लेकिन इस तरह की समस्या को पैदा न होने देने के लिए शादी से पहले ही फैमिली काउंसलिंग का प्रबन्ध किया गया है. जिसमें लोगों को शादी से पहले ही उनके अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी हमारे विशेषज्ञ उन्हें देंगे. जिसका बहुत जल्द ही एक रोज़ा कोर्स (marriage counseling course) की शक्ल में एलान किया जाएगा.”

मुफ्ती आगे बताते हैं कि यह सारी सहूलियत मुफ़्त नहीं होंगी इसके लिए एक छोटी-सी फीस तय किए जाने पर गौर किया जा रहा है.

अनेक समस्याओं से जूझते लोग

कर्ज़ की अदायगी, विरासत, वसीयत और आर्थिक समस्याओं ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया है. वह अपनी समस्याओं में उलझकर रह गए हैं. उन्हें इस अवस्था से बाहर निकलने में मनोचिकित्सक उनकी सहायता करने के लिए कुछ ख़ास दिनों में सेंटर पर उपलब्ध होंगे.

मस्जिद के मुफ्ती का कहना है कि सेंटर सुबह दस बजे से शाम छह बजे तक खुला रहेगा और लोग यहां आकर मालूमात हासिल कर सकते हैं. कई विशेषज्ञों की सहायता का भी यहां इंतज़ाम है लेकिन वह सप्ताह में एक या दो दिन ही सेंटर पर मौजूद होंगे.

विवादों का समाधान

मस्जिद के चेयरमैन शुएब खतीब कहते हैं, “सेंटर पर मौजूद क़ानूनी सलाहकार अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन (ADR) के तहत विवादों का हल तलाश करेंगे.”

एडीआर यानी विवादों का वैकल्पिक समाधान.इसके अंतर्गत विवाद समाधान की वे प्रक्रियाएं और तकनीक आती हैं जो विवाद में उलझे पक्षों को बिना मुकदमे के ही विवाद का समाधान खोजने में सहायक होती हैं.

मुफ्ती कहते हैं कि समाज का वह तबका जो अपनी समस्याओं को हल करने के लिए पुलिस थानों और कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाता है, वह उससे बच सकता है.

रिश्तों को बेहतर बनाने की कोशिश

मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने फैमिली फर्स्ट गाइडेंस सेंटर के उदघाटन करते हुए कहा, “दारुल क़जा में लोगों के बीच फैसले भी हो जाते हैं और उन्हें जवाब भी मिल जाते हैं लेकिन उन समस्याओं का कोई आपसी हल नहीं निकलता. आपसी सहमति के लिए सुलह का मार्ग अपनाना आवश्यक है.”

उन्होंने आगे कहा कि किसी मस्जिद में यह अपनी तरह का पहला मरकज है लेकिन इस तरह की कोशिश को प्राथमिकता के साथ अपनाने की आवश्यकता है.

चलो मिलकर बैठते हैं

जीवन में बहुत सी समस्याएं हैं. हर समस्या का एक हल और समाधान भी है लेकिन आम व्यक्ति अपनी समस्या में उलझ कर रह जाता है. ऐसे में सही मार्गदर्शन और विशेषज्ञों की सहायता की ज़रूरत होती है. परन्तु अधिकतर लोग यह नहीं जानते कि उनकी परेशानी का समाधान कहां और कैसे संभव है.

ऐसे समय में यह सेंटर न केवल उनका मार्गदर्शन करेगा, बल्कि उनकी समस्या को हल करने में मदद भी करेगा. डॉक्टर की ज़रूरत हो, साइकोलॉजिस्ट की या फिर मोटिवेशनल सपोर्ट की, फैमिली फर्स्ट गाइडेंस सेंटर हर तरह से मदद के लिए तैयार है.

यह संकल्प और सुझावों का मरकज है

जामा मस्जिद के मुफ्ती बताते हैं, “इस सेंटर पर कोई क़र्ज़ वगैरह देने का कोई इंतजाम नहीं है. यह काम तो बहुत से लोग कर रहे हैं. हमारे सेंटर पर सुलह और सुझाव दिए जाएंगे जो एक आम व्यक्ति के जीवन को आसान बनाने में सहायक होंगे. देखना यह होगा कि लोग सहायता, सहयोग और एक्सपर्ट लोगों से कितना लाभ उठाते हैं? क्योंकि यहां घरेलू समस्याओं से लेकर व्यापार, कोर्ट कचहरी और मानसिक समस्याओं का हल तलाश करने के लिए कुछ लोग सिर जोड़ कर बैठे हैं बस अपनी समस्याओं का हल तलाश करने के लिए एक क़दम मुंबई की जामा मस्जिद की ओर बढ़ाना है. और यह क़दम आप को स्वयं उठाना है.”