किसानों के धरने से हर आदमी परेशान, सिंघु बॉर्डर के निकट गांवों के लोग बोले

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] • 3 Years ago
किसानों के धरने के कारण सिंघु बॉर्डर पर जगह-जगह नाके लगे हैं.
किसानों के धरने के कारण सिंघु बॉर्डर पर जगह-जगह नाके लगे हैं.

 

 

सिंघु बॉर्डर, नई दिल्ली. कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे विरोध प्रदर्शन को अब 2 महीने से अधिक समय हो चुका है. हालांकि 26 जनवरी के बाद से बॉर्डर पर हालातों में काफी बदलाव हुआ है. बॉर्डर से सटे सिंघु गांव के लोगों के विचार इस आंदोलन को लेकर भले ही अलग-अलग हों, लेकिन गांव की सड़क बंद होने से हो रही परेशानी को सभी महसूस कर रहे हैं. दरअसल, सिंघु गांव में करीब 20 हजार नागरिक रहते हैं जिनमें कुछ के अपने मकान हैं वहीं अधिकतर लोग इस गांव में किराए पर रहते हैं.

बॉर्डर पर हो रहे आंदोलन के कारण दिल्ली-करनाल रोड तो बंद है ही, साथ ही हाईवे से इनके गांव की ओर जो मुख्य सड़क जुड़ रही है उसे भी सुरक्षा के चलते बंद कर दिया गया है. जिसके कारण गांव के लोग बेहद परेशान हैं.

गांव के निवासियों का कहना है कि, अपने घर से दिल्ली या हरियाणा के सोनीपत या अन्य जगह जाने में पहले जहां कुछ समय लगता था, वहीं अब गांव से मुख्य मार्ग पर जाने में ही आधा घंटा लग जाता है.

दिल्ली की ओर से चंडीगढ़ या हरियाणा में जाने वाले लोग भी इसी गांव से होते हुए निकलते हैं जिसके कारण गांव की सड़कें गाड़ियों से ही भर जाती हैं और घंटों तक जाम लगा रहता है.

हालांकि गांव में जाम न लगे इसलिए दिल्ली पुलिस के एक पुलिसकर्मी को खड़ा किया गया है, जो आने-जाने वाले लोगों को रास्ता बताने में मदद करता है.

दूसरी ओर गांव में इस प्रदर्शन को लेकर लोगों के अलग-अलग विचार हैं. कोई इस प्रदर्शन से परेशान है] तो कुछ लोग इसे किसानों के हक की लड़ाई मान कर अपना समर्थन दे रहे हैं.

सिंघु बॉर्डर निवासी राजपाल बीते 50 सालों से इस गांव में रह रहे हैं. उन्होंने बताया, हर आदमी इस प्रदर्शन से परेशान है लेकिन प्रदर्शनकारियों की तरफ से हमें कोई दिक्कत नहीं है. सड़क जाम होने से काफी दिक्कत हो रही है. राजपाल कहते हैं कि मेरा लड़का डीटीसी बस में कंडक्टर है, वो ड्यूटी पर जाता है. रात में आना सुरक्षित नहीं है, जिसकी वजह से वो गाड़ी से जाता था, लेकिन अब उसने स्कूटी से जाना शुरू कर दिया है.

गांव के निवासी महेंद्र सिंह ने आईएएनएस को बताया, इस गांव की सड़क एकतरफा है, अकेली गाड़ी ही मुश्किल से निकल पाती है, दूसरी गाड़ी यदि निकले तो फंस जाती है, उसको कैसे निकालोगे?

उनका कहना है कि मुझे यदि हरियाणा के सोनीपत जाना हो, मैं कैसे जाऊं? पैदल मैं इतनी दूर नहीं चल सकता.

विजय सिंह भी इस गांव में 40 सालों से रह रहे हैं. उन्होंने बताया, इस आंदोलन से बहुत समस्या है, मुझे नरेला जाना था, मुझे पूरा गांव घूम कर जाना पड़ा. वे कहते हैं कि मैं सरकार ये बस पूछना चाहता हूं कि क्या इस देश में किसान ही हैं? क्या यही बस ऐसे ही बॉर्डर पर रहेंगे, अन्य लोगों का और कोई फर्ज नहीं. आने-जाने में समस्या आ रही है हम नौकरी पर नहीं जाएंगे, तो खाएंगे क्या?

सिंघु गांव के निवासी विकास ने बताया, इस प्रदर्शन की वजह से उन्हें कोई समस्या नहीं है बस हमारे गांव की सड़क बंद कर रखी है, बस यही समस्या है. इन प्रदर्शनकारियों से कोई दिक्कत नहीं है.

सिंघु बॉर्डर पर हाल ही में हुए उपद्रव को लेकर भी गांव के निवासियों के अनुसार वो इस गांव के लोग थे ही नहीं, यदि उनके आईडी कार्ड चेक किया जाता, तो वह लोग किसी और गांव के निकलते. हमारे गांव के लोग शामिल ही नहीं थे. हमारे गांव को बदनाम किया जा रहा है.