ड्रोन घुसपैठ की आशंका से तमिलनाडु और केरल में हाई अलर्ट

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 04-07-2021
ड्रोन घुसपैठ की आशंका से तमिलनाडु और केरल में हाई अलर्ट
ड्रोन घुसपैठ की आशंका से तमिलनाडु और केरल में हाई अलर्ट

 

चेन्नई. जम्मू में 27 जून को वायु सेना के तकनीकी हवाई अड्डे पर दोहरे ड्रोन हमले के बाद केंद्रीय खुफिया एजेंसियां तमिलनाडु और केरल में हाई अलर्ट पर हैं.

सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय एजेंसियों ने तमिलनाडु और केरल दोनों की पुलिस को सतर्क रहने और राज्यों में घुसपैठ के लिए तैयार रहने के लिए कहा है, जिसमें कुछ आतंकवादी समूह ड्रोन का उपयोग करने की संभावनाओं की ताक में हैं.

श्रीलंका में हंबनथोटा बंदरगाह पर चीनी कब्जे के बाद, तटरक्षक बल और भारतीय नौसेना की खुफिया जानकारी तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों और केरल के दक्षिणी क्षेत्रों में हाई अलर्ट पर है.

हालांकि, सुरक्षा एजेंसियां जम्मू क्षेत्र में ड्रोन हमलों को विफल करने में सक्षम थीं. लेकिन , इन ड्रोनों को रोकने की लागत अधिक है और कई राज्य इस तकनीक से लैस नहीं हैं. पहले से ही रक्षा प्रतिष्ठान ने हाई-एंड ड्रोन इंटरसेप्टर की आपूर्ति के लिए इजरायली रक्षा प्रतिष्ठानों के साथ चर्चा शुरू कर दी है क्योंकि इजरायल इस तकनीक में दुनिया भर में सबसे आगे है.

सूत्रों के अनुसार, खुफिया एजेंसियों ने तमिलनाडु और केरल सरकारों और इन राज्यों की सुरक्षा एजेंसियों को चेतावनी दी है, क्योंकि एजेंसियों को सीमा पार से कुछ आतंकी संगठनों के इस तरह के हमलों के लिए खुद को तैयार करने के संकेत मिले थे.

यहां तक कि भारत ने अफगानिस्तान के तालिबान लड़ाकों के साथ बैक चैनल चर्चा या ट्रैक 2 कूटनीति खोली है, उस देश से अमेरिकी सेना की व्यवस्थित वापसी के बाद, खुफिया एजेंसियां कोई मौका नहीं छोड़ रही हैं और दक्षिणी राज्यों को हाई अलर्ट पर रहने की सिफारिश की है.

केरल और तमिलनाडु का समुद्री तट कुछ महीनों से खुफिया रडार पर हैं. जम्मू में ड्रोन हमले के साथ ही एजेंसियों ने इन दोनों राज्यों में निगरानी तेज कर दी है.

खुफिया एजेंसियों ने इन दोनों राज्यों में कुछ घरेलू आतंकी हमले की चेतावनी दी है और केरल से सीरिया और अफगानिस्तान में आतंकवादियों के बड़े पैमाने पर पलायन ने केंद्रीय एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा था. अल-उम्मा जैसे संगठनों की उपस्थिति और कोयंबटूर, त्रिची, कन्याकुमारी और तमिलनाडु के अन्य दक्षिणी जिलों जैसे जिलों में इसकी गतिविधियों पर भी केंद्रीय एजेंसियों द्वारा बारीकी से नजर रखी गई है.

तमिलनाडु में डीएमके सरकार के उदय के साथ ही राज्य के अति तमिल आंदोलनों को हवा मिली है और कई लिट्टे समर्थक संगठनों ने बयान जारी किए हैं . साथ ही राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई की मांग भी तेज हो गई है और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इन दोषियों की क्षमा के लिए भारत के राष्ट्रपति को पहले ही एक पत्र लिखा है.

इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, एजेंसियां कोई जोखिम नहीं लेना चाहती हैं और किसी भी घटना के लिए तैयार रहना चाहती हैं. कई व्यक्ति और संगठन - यहां तक कि पेपर संगठन भी रडार के अधीन हैं.