इस्लामाबाद. प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के हाल ही में आयोजित विशेष सत्र के दौरान पाकिस्तान को रूस के खिलाफ वोट देने के लिए कहने के लिए यूरोपीय संघ पर निशाना साधते हुए पूछा कि क्या वे इस्लामाबाद को अपना ‘गुलाम’ समझता है.
उन्होंने ये टिप्पणी पंजाब प्रांत के वेहारी जिले में एक जनसभा के दौरान की. प्रधानमंत्री ने यूरोपीय संघ द्वारा लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए कहा, ‘‘क्या आपने भारत को वही पत्र लिखा था?’’ इस पत्र में पाकिस्तान से यूएनजीए सत्र के दौरान रूस के खिलाफ मतदान करने का आग्रह किया गया.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बुधवार को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें रूस से यूक्रेन से ‘तुरंत’ हटने की ‘मांग’ की गई. लेकिन पाकिस्तान उन गिने-चुने देशों में शामिल था, जिन्होंने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान में हिस्सा लेने से परहेज किया था.
इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान युद्ध में किसी भी देश का समर्थन नहीं करेगा, लेकिन वे ‘‘शांति के लिए तरस रहे हर किसी का समर्थन करने में एक कदम आगे बढ़ेंगे.’’
डॉन अखबार ने इमरान के हवाले से कहा, ‘‘संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन और यूरोप के साथ हमारी दोस्ती है. हम किसी भी शिविर में नहीं हैं. चूंकि हम तटस्थ हैं, हम यूक्रेन में इस युद्ध को समाप्त करने के प्रयास के लिए इन देशों के साथ सहयोग करने का प्रयास करेंगे.’’
उन्होंने पाकिस्तान के विपक्ष को भी चेतावनी दी कि अगर उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव विफल हुआ, तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं 25 साल पहले उनके (उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों) के खिलाफ लड़ने के लिए राजनीति में आया था. मैं अपनी आखिरी सांस तक उनसे लड़ूंगा. मैं उनका सामना करूंगा.’’
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से अपने मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों का भी उल्लेख किया और उनकी साख और उद्देश्यों पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, ‘‘पहले अपराधी नंबर एक नवाज शरीफ हैं.’’ उन्होंने कहा कि पीएमएल-एन सुप्रीमो ने बॉलीवुड के योग्य प्रदर्शन किया, जब उन्हें सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जेल की सजा सुनाई गई थी.
इसके अलावा, उन्होंने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी पर टिप्पणी की, प्रीमियर ने कहा कि उन्हें पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो के कार्यकाल के दौरान ‘मिस्टर 10 प्रतिशत’ के रूप में जाना जाता था.
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों और किताबों में जरदारी और नवाज के भ्रष्टाचार के इतिहास का ब्योरा है.
पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान के बारे में बात करते हुए इमरान ने कहा कि वह उन्हें मौलाना नहीं कहेंगे, क्योंकि यह उपाधि शिक्षित, ईमानदार और पवित्र लोगों के लिए आरक्षित है.