धन्नीपुर मस्जिदः विदेशी चंदा के लिए एफसीआरए खाता खुलेगा, क्राउडफंडिंग नहीं होगी

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 2 Years ago
धन्नीपुर मस्जिद
धन्नीपुर मस्जिद

 

लखनऊ. अयोध्या के धन्नीपुर में मस्जिद के निर्माण की देखरेख कर रहे इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) ट्रस्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) दिल्ली में विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) खाते के लिए अपना आवेदन जमा कर दिया है.

एक बार स्वीकृत होने के बाद, खाता परियोजना के लिए विदेशी धन का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिस परियोजना में 300 बेड वाला अस्पताल भी शामिल होगा.

आईआईसीएफ भी पूरी परियोजना के लिए क्राउड फंडिंग नहीं करेगा, बल्कि पहचाने गए दाताओं से धन इकट्ठा करेगा.

आईआईसीएफ के प्रवक्ता अतहर हुसैन ने कहा, “300-बेड वाला अस्पताल आईआईसीएफ का मुख्य लक्ष्य है. जब हमने 2020 में ही इसकी आवश्यकता की कल्पना की थी, महामारी ने हमारे संकल्प को और मजबूत कर दिया है. हमारी परियोजना की लागत अकेले अस्पताल के लिए और बुनियादी ढांचे का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा है.”

इससे पहले कि परियोजना जमीन पर शुरू हो सके, आईआईसीएफ के नाम पर एफसीआरए खाता पंजीकृत होने के बाद ट्रस्ट गृह मंत्रालय से मंजूरी प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ेगा.

हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि यह परियोजना साल के अंत तक शुरू होने के आसार हैं.

अस्पताल में हर दिन लगभग 1,000 लोगों को खिलाने के लिए एक सामुदायिक रसोई होगी. इसके अलावा, अयोध्या में दुनिया भर से विलुप्त होने के कगार पर विदेशी पेड़ों के साथ एक हरा पैच, और अवध में अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के साझा हिंदू-मुस्लिम संघर्ष को उजागर करने वाला एक संग्रहालय-पुस्तकालय होगा.

इसके बाद, परिसर के हिस्से के रूप में धन्नीपुर गांव में जो मस्जिद बनेगी, उसका आकार लगभग बाबरी मस्जिद के आकार जैसा होगा.

आईआईसीएफ के प्रवक्ता ने आगे कहा कि, “कोई क्राउडफंडिंग नहीं होगी. हमारे पास पहले से ही दानकर्ता हैं.”

अयोध्या में तोड़ी गई मस्जिद के एवज में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक पांच एकड़ जमीन आवंटित की है.

प्रवक्ता ने कहा, “हम विशेषज्ञों की तलाश कर रहे हैं, जो धर्मार्थ अस्पतालों की स्थापना में कुशल हैं . वे एक टर्न-की परियोजना की तरह अस्पताल को शुरू से स्थापित करने में शामिल होंगे. इसके लिए हमने खाड़ी देशों और मुंबई में कुछ समूहों की पहचान की है लेकिन इस पर मुहर लगाने से पहले हमें इस पर सामने से चर्चा करनी होगी.”