दिल्लीः बटला हाउस एनकाउंटर टीम के सब इंस्पेक्टर संजीव की हादसे में मौत

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 01-01-2022
संजीव लोचन
संजीव लोचन

 

नई दिल्ली. द्वारका के बाबा हरिदास नगर में मंगलवार दोपहर को सड़क पार करते समय एक बाइक की चपेट में आने से दिल्ली पुलिस के 52 वर्षीय सब-इंस्पेक्टर संजीव लोचन घायल हो गए थे. अब उनकी मौत हो गई है. एसआई संजीव लोचन उस स्पेशल सेल टीम का हिस्सा थे, जिसने 2008में बाटला हाउस में दो आतंकियों को मार गिराया था.

पुलिस के अनुसार, पुलिस अधिकारी सड़क पार कर रहे थे. तभी एक बाइक पर सवार तीन लोगों ने उन्हें कथित रूप से कुचल दिया. पुलिस ने कहा कि आरोपियों ने हेलमेट नहीं पहना था और उन्हें मौके से गिरफ्तार कर लिया गया.

एसआई संजीव लोचन के सिर में गंभीर चोटें आईं और उन्हें वेंकटेश्वर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें ‘गंभीर’ घोषित किया और उन्हें आईसीयू में ले जाया गया. गुरुवार की सुबह उसकी मौत हो गई.

पुलिस ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ लापरवाही से वाहन चलाने, लापरवाही से मौत का कारण बनने और मोटर वाहन अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, लेकिन अपराध जमानती होने के कारण जमानत पर हैं.

अधिकारी के परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं, जो जनकपुरी में रहते हैं.

एसआई लोचन 1988 में एक कांस्टेबल के रूप में बल में शामिल हुए थे. अपनी 33वर्षों की सेवा में, उन्होंने कई पदक और दो बार पदोन्नति प्राप्त की. वह बाबा हरिदास नगर थाने में तैनात थे.

पुलिस ने कहा कि वह एक मेधावी अधिकारी थे, जिसने दिल्ली में दो संदिग्ध बांग्लादेशी आतंकवादियों को मार गिराने में अपनी भूमिका के लिए 2007में भारत के राष्ट्रपति से अपनी सेवा के लिए पदक और वीरता पुरस्कार प्राप्त किया था.

उनके बेटे वंश ने कहा, ‘पापा शाम करीब साढ़े छह बजे घर से निकले थे. हमें बताया गया कि उन्होंने अपनी कार पार्क कर दी थी और थाने में प्रवेश कर रहे थे. तभी बाइक ने उन्हें टक्कर मार दी. हालांकि लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था, वे जमानत पर छूट गए हैं. हमने इंतजार किया और उम्मीद की थी कि पापा ठीक हो जाएंगे लेकिन हमने उन्हें खो दिया.”

एसआई लोचन के बड़े भाई अरुण कुमार शर्मा (56), जो एक सेवानिवृत्त सीआईएसएफ अधिकारी भी हैं, ने कहा, ‘संजीव एक मेहनती और ईमानदार व्यक्ति थे. उन्हें एक और प्रमोशन मिलने वाला था. उन्होंने कुछ दिन पहले मुझे फोन किया और कहा कि वह जल्द ही इंस्पेक्टर बन जाएंगे. मैं उनके लिए खुश था. हम अभी भी हादसे से सदमे में हैं. बिना हेलमेट के गाड़ी चलाने वाले लापरवाह आदमियों की वजह से मैंने अपने भाई को खो दिया.’