आवाज-द वॉयस / नई दिल्ली
भारत भर में आतंक फैलाने वाले कोविड-19 महामारी को हराने के लिए लगाए गए कर्फ्यू के दूसरे दिन, दिल्ली में अन्य राज्यों के मजदूरों को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल की अपील को अनदेखी करते हुए देखा गया. मजदूरों की आवाजाही की गति धीमी जरूर है, लेकिन जारी रही.
युवक और युवतियां आईएसबीटी, आनंद विहार से बसों में दिल्ली जा रहे हैं
अंतरराज्यीय बस टर्मिनस सबसे व्यस्त जगह है, जहां लोग दिल्ली मेट्रो द्वारा उत्तर प्रदेश और अन्य स्थानों के लिए बसें पकड़ेंगे.
पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार स्थित बस अड्डे पर मजदूरों की भीड़ मंगलवार को भी जारी रही
कैमरापर्सन रवि बत्रा मध्य दिल्ली की सुनसान सड़कों और गलियों से गुजरे, उन्होंने तनाव और दर्द के तहत इस शहर की छवियों को कैप्चर किया.
दिल्ली के खारी बावली बाजार में दिहाड़ी मजदूर बेकार बैठे हैं
आजीविका खोने का दर्द और बीमारी का खतरा सभी के चेहरों पर है.
एक अकेला पुलिसकर्मी दिल्ली की एक पुरानी गली में कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों को रोकने की कोशिश कर रहा है.
ऐतिहासिक स्मारक बीमारी और अनिश्चितता के बोझ से दबे शहर के मूक गवाह हैं, थोक बाजार जहां काम कभी नहीं रुका, पुरानी दिल्ली के इलाकों में ठहराव आ गया है.
मंगलवार को इफ्तार के समय जामा मस्जिद
रवि बत्रा ने कोविड वार्ड और मरीजों के लिए अलगाव केंद्रों में परिवर्तित किए जा रहे एक स्कूल में कक्षाओं का एक दर्दनाक दृश्य कैप्चर किया. स्टाफ को स्थान खाली करते और साफ-सफाई करते हुए देखा गया, जिसकी दीवारों पर चार्ट लगे हैं, जो कभी इसके गुलजार होने की कहानी बता रहे हैं.
एक कक्षा को आइसोलेशन वार्ड में परिवर्तित किया जा रहा है
जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को बीमारी में खो दिया था, उनका दुःख को साझा करने के लिए कोई रिश्तेदार न था.
कोविड-19 ने स्पष्ट रूप से दिल्ली शहर को स्तब्ध कर दिया है और उसकी तेज रफ्तार ने शहर की तीव्रगामी जीवनशैली को ठहराव के कगार पर ला दिया है.