मुकुंद मिश्र / लखनऊ
आमतौर पर पुलिस का जिक्र होते ही कानून का पालन कराने के लिए लाठी पीटने, लोगों को अपमानित करने वाले लहजे में डांटने-डपटने वाले चरित्र का अक्स जेहन में उभरता है. लेकिन खाकी के अंदर भी इंसानियत घर करती है. भले ही काम का तनाव, विपरीत हालात में भी 24-24 घंटे ड्यूटी करने के तनाव से उपजी खीझ के बीच भी पुलिस वालों के अंदर छिपी यह इंसानियत उभरकर सामने आती है. जी हां, कानून व्यवस्था को लेकर ड्यूटी बजाते इन पुलिसकर्मियों का इंसानी फर्ज निभाने का मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सामने आया. सोशल मीडिया से लेकर तमाम वर्ग में लखनऊ पुलिस की तारीफें हो रही हैं.
दरअसल, इन दिनों देश में फैली कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ कोरोना संक्रमण के मामले में वुहान बनता नजर आ रहा है. स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि मरने के बाद अब परिजन भी शव लेने से किनारा कर रहे हैं.
लखनऊ के एक वरिष्ठ पत्रकार का कोरोना के चलते बीते दिनों निधन हो गया. उनका शव घर पर पड़ा रहा. घर से बदबू आने की सूचना पर पहुंची पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि ये घर पत्रकार का है, जिन्हें कोरोना हो गया था.
गोमती नगर पुलिस के मुताबिक चंदन प्रताप सिंह पुत्र एनपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार थे. वो घर पर परिवार के साथ रहते थे. कुछ दिन पहले उन्हें कोरोना हो गया था, जिसके चलते वो घर पर ही क्वारैंटाइन हो गए थे.
सूचना के बाद पुलिस घर के अंदर दाखिल हुई, तो वहां चंदन प्रताप का शव पड़ा था. यहां तक कि अपनों ने ही उन्हें लावारिस घर पर छोड़ दिया. कोई परिजन उनकी सुध लेने समय से नहीं पहुंचा, तो अंत में यह जिम्मेदारी लखनऊ पुलिस ने निभायी.
गोमतीनगर थाने में तैनात चार उपनिरीक्षक ने कंधा दिया. ऐसे में गोमती नगर पुलिस ने न सिर्फ इंसानियत की मिसाल पेश की, बल्कि शव के वारिस भी बने और अर्थी को कंधा देकर उन्हें भैसाकुण्ड श्मशान घाट पहुंचाया.
चंदन प्रताप के पड़ोसियों ने बताया कि जब से चंदन घर पर अकेले थे. मृतक पत्रकार की पत्नी उनसे अलग रह रही थी. चंदन के परिवार से कोई उन्हें मिलने नहीं आया. पुलिस ने भी उनके परिजनों को जानकारी दी बावजूद इसके कोई नहीं आया.
इसके बाद गोमती नगर थाने में तैनात दरोगा दयाराम साहनी, अरुण यादव, प्रशांत सिंह और राजेंद्र बाबू ने मृतक पत्रकार के परिजनों की भूमिका निभाते हुए उनकी अर्थी को कांधा दिया और बैकुंठ धाम पहुंचाया. यहां पुलिस की मौजूदगी में अंतिम संस्कार कराया गया.
पुलिस के इस मानवीय पहल से जहां विभाग की साख बढ़ी है. वहीं लोग पुलिस की तारीफ भी कर रहे हैं. लखनऊ के पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने भी इंसानियत की मिसाल पेश करने वाली गोमती नगर पुलिस की तारीफ करते हुए ट्वीट किया.