दारुल उलूम देवबंद ने इजरायली हिंसा पर नाराजगी जताई

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 18-05-2021
दारुल उलूम देवबंद
दारुल उलूम देवबंद

 

फिरोज खान / देवबंद

विश्व प्रसिद्ध धार्मिक विश्वविद्यालय दारुल उलूम देवबंद ने अल-अक्सा मस्जिद और गाजा में इजरायल की हिंसा, आक्रामकता और घोर मानवाधिकार उल्लंघन पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि इजरायल ने अल-अक्सा मस्जिद में इबादत करने वाले निर्दोष फिलिस्तीनियों को बेरहमी से प्रताड़ित किया है. यह अमानवीय और खुला आतंकवाद है. इजरायली सैनिकों द्वारा महिलाओं का अपमान, मासूम बच्चों का नरसंहार, अल-अक्सा मस्जिद को अपवित्र करना और संयुक्त राष्ट्र की चुप्पी एक स्पष्ट अन्याय है. दारुल उलूम देवबंद इसकी कड़ी निंदा करता है.

दारुल उलूम देवबंद के कार्यवाहक अधीक्षक मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी ने प्रेस को जारी एक बयान में अल-अक्सा मस्जिद सहित फिलिस्तीनी क्षेत्रों में इजरायल के सैन्य अभियानों की निंदा की और कहा कि तथाकथित मानवाधिकार संगठनों और दुनिया में प्रभावशाली देशों की चुप्पी का पैमाना चिंताजनक है और यह तथ्य तेजी से स्पष्ट होता जा रहा है कि इजरायल का आक्रमण बढ़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप निर्दोष फिलिस्तीनी उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं और इजरायली सेना बमबारी बस्तियों से परहेज नहीं कर रही है.

मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी ने कहा कि इजरायल के इस आतंकी कृत्य के खिलाफ कई हलकों से आवाज उठाने के बावजूद संयुक्त राष्ट्र मूकदर्शक बना हुआ है, जबकि वही संयुक्त राष्ट्र इंडोनेशिया और सूडान जैसे देशों में मामूली मांग पर अलग देश बनाने की क्षमता रखता है.

उन्होंने दुनिया के सभी न्याय चाहने वालों, विशेष रूप से भारत सरकार सहित मुस्लिम देशों से, निर्दोष फिलिस्तीनियों को इसराइल के इस आतंक और आतंक से बचाने के लिए न्याय और मानवता के नाम पर अपनी आवाज उठाने का आह्वान किया.

उन्होंने कहा कि जबरदस्ती हिंसा को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं.

मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी ने कहा कि भारत की विदेश नीति हमेशा से फिलिस्तीन समर्थक रही है और इसीलिए फिलिस्तीनी लोग भारत और उसके लोगों को अपना हितैषी और मित्र मानते हैं. उन्होंने इन संबंधों का सम्मान करने को कहा.

मौलाना ने इजरायल के सैन्य अभियान पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया के सभी देश और अंतरराष्ट्रीय संगठन इस नरसंहार में समान रूप से शामिल हैं, जो एक मूक दर्शक के रूप में फिलिस्तीनी लोगों के नरसंहार को देख रहे हैं. भारत सरकार सहित संयुक्त राष्ट्र से आह्वान किया कि संयुक्त राष्ट्र सहित सभी पक्षों से इजरायल का बहिष्कार करने, उसे एक अत्याचारी और आतंकवादी देश घोषित करने और फिलिस्तीनियों को राहत देने और उनकी रक्षा करने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया जाए.