बाराबंकी. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में होली पर हिंदू और मुस्लिम भाइयों के बीच प्यार देखने को मिला. देवा शरीफ की मशहूर दरगाह हाजी वारिस अली शाह के परिसर में मुस्लिमों के साथ हिंदू समाज के लोगों ने होली मनाई. यहां सभी ने एक दूसरे को रंग लगाया और शुभकामनाओं के साथ एकता का संदेश दिया.
देवाशरीफ दरगाह पर यह नजारा काफी लोगों को आकर्षित कर रहा था. दूर-दूर के मुसलमान भी होली के रंग में रंगे हुए थे. उनके साथ, हिंदू, सिख और ईसाई भी रंगों के त्योहार में शामिल थे.
लगातार 30 साल से अनोखी होली खेलने दिल्ली से आ रहे सरदार प्रेमजीत सिंह ने कहा, ‘‘यह सात जन्मों का रंग है. मैं 30 साल पहले यहां आया था और यहां होली देखी थी और जिस रंग से मैंने इसे देखा, वह अब फीका नहीं पड़ने वाला है. अब मैं यहां हर साल होली खेलने आता हूं. मैं इसलिए आया हूं, क्योंकि भारत में यह एकमात्र दरगाह है, जहां हर हिंदू त्योहार मनाया जाता है और होली इस तरह से मनाई जाती है कि जो यहां एक बार आता है, वह जीवन भर नहीं भूलता. यहां हिंदू-मुस्लिम एकता का एक उदाहरण है.’’
दरअसल, देवाशरीफ में होली के दिन असली भारत की तस्वीर देखने को मिली, जिसमें हिंदू, मुस्लिम और सिख सभी एक ही रंग में रंगे हुए थे. हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर होली गंगा-जमुनी सभ्यता के साथ आपसी भाईचारे की एक बेहतरीन मिसाल पेश करता है, जिसमें नफरत के रंग का कोई स्थान नहीं है.
यहां देश भर से सभी धर्मों के लोग एक साथ होली मनाने आते हैं. यहां भाईचारा जाति और धर्म की सभी सीमाओं से परे देखा जाता है.
होली कमेटी के अध्यक्ष साहिबजादा आलम वारसी ने कहा कि यहां 100 साल से भी ज्यादा समय से होली खेली जा रही है. पहले यहां इतनी भीड़ नहीं थी और बस्ती के लोग वारिस सरकार के नक्शेकदम पर चलते थे और वह सभी की पूजा करते थे. समय के साथ होली का स्वरूप बदलता गया और बाहर से लोग यहां होली खेलने के लिए आने लगे.
उन्होंने लोगों से अपील की कि वारिस अली शाह के पास प्यार का संदेश है और इसे पूरी दुनिया में फैलाएं. उनकी एक ही दुआ है कि कयामत के दिन तक लोगों के साथ प्यार बना रहे.
हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर खेली जाने वाली होली उनके एकता के संदेश की पूरी झलक देती है. इस दरगाह में सौ साल से भी अधिक समय से होली मनाई जाती रही है.
हाजी वारिस अली शाह का मकबरा उनके हिंदू मित्र राजा पंचम सिंह ने बनवाया था. अपने निर्माण के बाद से, यह स्थान हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश ले जा रहा है. यहां हर धर्म के लोग आते हैं.
होली खेलने वाले देवा नगर पंचायत के सदस्य शफी जुबैर ने कहा कि वारिस पाक का स्पष्ट संदेश था कि सबके दिलों में प्यार और स्नेह की स्थापना होनी चाहिए और उन्हें खुशी है कि यहां आने वाले लोग उनके संदेश को गले लगा रहे हैं. राजनीति में हिंदू-मुसलमान के बीच दरार पैदा करने की कोशिश की जाती है, लेकिन सरकार की नजर में उनकी योजना कामयाब नहीं हो रही है.