रांची. जम्मू कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ का एक जवान झारखंड और बिहार में नक्सलियों और आपराधिक गिरोहों को एके-47 सहित कई तरह के हथियार और कारतूस की सप्लाई करता था. झारखंड पुलिस के एंटी टेररिस्ट स्क्वॉयड ने आरोपी जवान और उसके दो साथियों को गिरफ्तार किया है.
एटीएस के एसपी प्रशांत आनंद ने मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी देते हुए बताया कि सीआरपीएफ जवान हथियार सप्लाई का एक पूरा नेटवर्क चला रहा था.
बताया गया कि बिहार का रहनेवाला अविनाश कुमार उर्फ चुन्नू शर्मा जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ की 182 नंबर बटालियन में पदस्थापित था. वह मूल रूप से गया जिले के इमामगंज का रहने वाला है. सीआरपीएफ में उसकी नियुक्ति 2011 में बिहार स्थित मोकामा ग्रुप सेंटर में हुई थी. पिछले चार महीनों से वह ड्यूटी पर नहीं गया था.
झारखंड पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने बिहार से उसके एक साथी पटना जिले के सलीमपुर थाना क्षेत्र निवासी ऋषि के साथ गिरफ्तार किया. हथियार सप्लायर गिरोह का एक अन्य सदस्य पंकज कुमार सिंह मुजफ्फरपुर के सकरा थाना क्षेत्र का रहने वाला है और इन दिनों धनबाद के भूली इलाके में रहकर कोयले का कारोबार कर रहा था. उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया है. इनके पास से एटीएस ने 250 जिंदा कारतूस भी बरामद किया है. सभी कारतूस इंसास रायफल के हैं.
आरोपियों ने स्वीकार किया है कि वे लोग झारखंड के नक्सली संगठनों के अलावा जेल में बंद गैंगस्टर सुजीत सिन्हा के गिरोह, अमन साहू गिरोह, अमन सिंह गिरोह और अमन श्रीवास्तव गिरोह को भी हथियार व कारतूस की सप्लाई करते हैं. इनके अलावा बिहार की जेलों में बंद अपराधी हरेंद्र यादव और लल्लू खान के गिरोह को भी हथियार और कारतूस बेचे गये हैं. अविनाश के साथ पकड़ा गया ऋषि कुमार ट्रांसपोर्टेशन का काम करता था. माओवादियों और ठेकेदारों को हथियार बेचने की जिम्मेदारी वही संभालता था.
आरोपियों ने बताया है कि झारखंड के चाईबासा में काम करनेवाला एक ठेकेदार संजय सिंह नक्सलियों को सप्लाई किये जाने वाले हथियारों के एवज में उन्हें मोटी रकम का भुगतान करता था. इस गिरोह के लोग हथियारों की सप्लाई के लिए टेलिग्राम और व्हाट्सएप्प के जरिए एक-दूसरे से संपर्क करते थे.
माना जा रहा है कि माओवादियों के टॉप लीडर प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को कई क्लू मिले हैं, जिसके आधार पर विभिन्न इलाकों में लगातार छापेमारी की जा रही है.