कोलकाता (पश्चिम बंगाल). पश्चिम बंगाल में सत्ता के ‘खेला’ की अगली पारी की उलटी गिनती मंगलवार को तीसरे चरण के विधानसभा चुनाव के रूप में शुरू हो गई है.
हुगली में आठ, हावड़ा में सात और दक्षिण 24 परगना में 16 सहित कुल 31 विधानसभा क्षेत्रों में तृतीय चरण का मतदान होगा.
इस दौर के मतदान में 205 उम्मीदवार मैदान में हैं. जहां तक महिलाओं के प्रतिनिधित्व की बात है, तो इस चरण में केवल 13 महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रही हैं, जो केवल छह प्रतिशत हैं.
सबसे हाई-प्रोफाइल उम्मीदवारों में भाजपा के स्वपन दासगुप्ता हुगली में तारकेश्वर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. दासगुप्ता, एक प्रसिद्ध पत्रकार और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित राज्यसभा सदस्य हैं, जिन्होंने हाल ही में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया था.
विशेष रूप से, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में तारकेश्वर में एक चुनाव प्रचार रैली की.
दासगुप्ता निर्वाचन क्षेत्र से टीएमसी के रामेंदु सिंघा रॉय और माकपा के सूरजजीत घोष से भिड़ेंगे.
हावड़ा के श्यामपुर में, भाजपा ने अभिनेता तनुश्री चक्रवर्ती को टीएमसी के मौजूदा विधायक कालीपद मंडल के खिलाफ मैदान में उतारा. कांग्रेस ने अमिताभ चक्रवर्ती को मैदान में उतारा, जिन्हें मंडल ने 2016 के विधानसभा चुनाव में 26,000 से अधिक मतों से हराया था.
अरामबाग निर्वाचन क्षेत्र में, टीएमसी ने सुजाता मंडल खान को सीपीआई (एम) के शक्ति मोहन मलिक और भाजपा के मधुसूदन बाग के खिलाफ मैदान में उतारा. दिलचस्प तथ्य यह है कि सुजाता मंडल खान भाजपा सांसद सौमित्र खान की पत्नी हैं. सुजाता राज्य विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी में शामिल हुईं, जिसके बाद उनके पति सौमित्र ने उन्हें तलाक का नोटिस दिया.
हुगली के जंगीपारा निर्वाचन क्षेत्र में, भाजपा ने टीएमसी के स्नेहाशी चक्रवर्ती के खिलाफ देबजीत सरकार को मैदान में उतारा.
दक्षिण 24 परगना जिले के रायडीह निर्वाचन क्षेत्र में, माकपा के दिग्गज कांति गांगुली टीएमसी के आलोक जलदाता और भाजपा के शांतनु बापुली का मुकाबला करेंगे.
डायमंड हार्बर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के दीपक हल्दर, टीएमसी के पन्नालाल हलदर और सीपीआई (एम) के प्रतीक उर रहमान के बीच मुकाबला है. डायमंड हार्बर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी का संसदीय क्षेत्र है.
मंगलवार को तीसरे चरण के मतदान में 31 सीटें शामिल हैं. 2016 के विधानसभा चुनावों में टीएमसी ने इनमें से 29 सीटें हासिल की थीं और वाम मोर्चा ने इन 31 सीटों में से दो सीटें जीती थीं. पिछले विधानसभा चुनाव में वोट शेयर की बात करें, तो टीएमसी को 50 फीसदी, लेफ्ट फ्रंट को 37 फीसदी और भाजपा को 7 फीसदी वोट मिले थे.
दक्षिण 24 परगना के क्षेत्रों में विकास, रोजगार और चक्रवात अम्फान के कारण होने वाली परेशानी प्रमुख मुद्दा हैं. दूसरी ओर, हावड़ा और हुगली के निर्वाचन क्षेत्रों में विकास तो दिखाई दिया है, लेकिन यहां रोजगार के अवसरों की कमी है, जिससे सत्तारूढ़ टीएमसी परेशान है.
हालांकि टीएमसी खुद को इन सीटों में मजबूत समझती है, लेकिन एंटी-इनकंबेंसी की हवा अभी भी यहां महसूस की जा सकती है.
बीजेपी जहां अम्फान राहत कोष में भ्रष्टाचार, ‘सिंडिकेट राज’ और तुष्टिकरण की राजनीति के मुद्दों को लेकर टीएमसी पर निशाना साध रही है, वहीं टीएमसी अपनी कल्याणकारी योजनाओं जैसे ‘दुआरे सरकार‘, ‘स्वास्थो साथी’ और ‘कन्याश्री’ की पिच पर विरोधियों का मुकाबला करने के लिए बैंटिंग कर रही है. इस बीच, वाम मोर्चा ने 16 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा, जिसका एक बार इन क्षेत्रों में अपना प्रभुत्व था. उधर कांग्रेस और आईएसएफ को तीसरे चरण के सीट विभाजन में क्रमशः सात और आठ सीटें मिली हैं.
पश्चिम बंगाल चुनाव के पहले दो चरणों का मतदान क्रमशः 27 मार्च और 1 अप्रैल को हुआ था. मतदान का अगला चरण 6 अप्रैल को होगा. मतों की गिनती 2 मई को होगी.