कोबरा कमांडो राकेश्वर मन्हास नक्सलियों के चंगुल से छूटे, पत्नी ने जताया आभार

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] • 2 Years ago
कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास रिहा हो गए
कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास रिहा हो गए

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली-रायपुर

नक्सलियों के कब्जे में छह दिन गुजारने वाले कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास मुक्त हो गए हैं.  उनकी रिहाई के लिए सरकार और प्रशासन ने जहां प्रयास किए, वहीं देश भर में लोग उनकी रिहाई के लिए प्रभु से प्रार्थना कर रहे थे.  नक्सलियों द्वारा रिहा किए जाने के बाद कमांडो राकेश्वर को बीजापुर स्थित सीआरपीएफ कैंप में ले जाया गया है.  उनकी मेडिकल जांच की जाएगी.

माओवादी नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच गत शनिवार, 3 अप्रेल को छत्तीसगढ़ के सुकमा क्षेत्र में तर्रेम थाना क्षेत्र के जंगलों में भीषण मुठभेड़ हुई थी.  जवान नक्सल विरोधी अभियान के तहत यहां भेजे गए थे.  

इस मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हुए थे और 31 घायल हुए थे.  शहीद जवानों में सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन के सात जवान, सीआरपीएफ के बस्तरिया बटालियन का एक जवान, डीआरजी के आठ जवान और एसटीएफ के छह जवान शामिल हैं.  एक दर्जन से ज्यादा नक्सली भी मारे गए थे, जिन्हें उनके साथी ट्रेक्टर ट्रालियों में उठाकर ले गए थे.  

इस मुठभेड़ के दौरान कमांडो राकेश्वर घायल हो गए थे और उन्हें नक्सलियों ने अगवा कर लिया था.  

कमांडो राकेश्वर 210वीं कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट ऐक्शन (कोबरा) में कांस्टेबल हैं.

इसके बाद नक्सलियों ने 5 अप्रेल को एक प्रेस रिलीज के माध्यम से दावा किया था कि जीरागुडेम गांव के पास जवानों ने हमला किया था.  पीएलजीए ने उसका विरोध किया.  कमांडो राकेश्वर उनके कब्जे में है.  सरकार कमांडो की रिहाई के लिए वार्ताकार नियुक्त करे.  नक्सलियों ने कब्जे में कमांडो का चित्र भी जारी किया था.   

कमांडो की रिहाई के लिए कई प्रयास किए गए.  सबसे पहले सोशल एक्टिविस्ट सोनी सोरी ने नक्सलियों से संपर्क साधा.  उनके साथ कुछ स्थानीय पत्रकार भी गए थे.  उनकी नक्सली कमांडर से मुलाकात और बात हुई.  उन्होंने बातचीत में कमांडो को छुड़वाने के लिए प्रयास किए, लेकिन उनका प्रयास विफल हो गया.  

इसके बाद राज्य सरकार ने दो प्रमुख व्यक्तियों को नक्सलियों से वार्ता के लिए भेजा.  वार्ताकारों ने नक्सलियों को कमांडो राकेश्वर की रिहाई के लिए राजी कर लिया.

सरकार द्वारा नामित वार्ताकारों में पद्मश्री धर्मपाल सैनी, गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बोरैया शामिल थे.  इन वार्ताकारों के साथ 7 पत्रकार भी गए थे.  

वार्ताकार बस्तर के घने बीहड़ में गए और नक्सली नेताओं से बातचीत की.  

वार्ताकारों से बातचीत में आश्वस्त होने के बाद नक्सली नेताओं ने कमांडो को रिहा करने का निर्णय लिया.  नक्सलियों ने सैकड़ों ग्रामीणों के सामने कमांडो को रिहा किया.  

बृहस्पतिवार को लगभग सायं 4 बजे कमांडो राकेश्वर सिंह नक्सली चंगुल से मुक्त हो गए.  उन्हें सुरक्षा बलों द्वारा बीजापुर स्थित सीआरपीएफ कैंप में ले जाया गया है.  

बीजापुर के एसपी ने रिहाई की पुष्टि करते हुए बताया कि राकेश्वर सिंह की सुरक्षित रिहाई हो गई है.  उनका मेडिकल चैकअप करवाया जाएगा.  

राकेश्वर सिंह के नक्सली कब्जे से छूटने के बाद उनके परिवार और सीआरपीएफ कैंप के जवानों में हर्ष छा गया.  

कमांडो के घर जश्न

कमांडो राकेश्वर सिंह के जम्मू स्थित आवास पर जश्न का माहौल है.  पड़ोसी और रिश्तेदार इस रिहाई से खुश हैं.  

कमांडो की पत्नी मीनू सिंह ने बताया कि अधिकारियों द्वारा उन्हें राकेश्वर सिंह की रिहाई की अधिकारिक सूचना दी जा चुकी है.  वे ठीक हैं.  उम्मीद है, औपचारिकताओं के बाद जल्दी ही वे घर लौटेंगे.  उन्होंने कहा कि उन्हें भरोसा था कि सुरक्षा बल और सरकार उनकी रिहाई के लिए गंभीरता से काम करेंगे और वे घर जरूर लौटेंगे.  हर्षित मीनू ने कहा कि प्रभु ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली है.  

कमांडो की मां कुंती देवी ने भी रिहाई पर खुशी जताते हुए कहा कि वे नक्सलियों का धन्यवाद करती हैं, जो उन्होंने हमारे बेटे को छोड़ दिया.  

(एजेंसी इनपुर सहित)