पुलिस रिमांड को चुनौतीः जुबैर की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया नोटिस

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 01-07-2022
पुलिस रिमांड को चुनौतीः जुबैर की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया नोटिस
पुलिस रिमांड को चुनौतीः जुबैर की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया नोटिस

 

नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस को ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर द्वारा एक निचली अदालत द्वारा दी गई पुलिस हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया. आपत्तिजनक ट्वीट से जुड़े मामले में उन्हें 28 जून को चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था. न्यायमूर्ति संजीव नरूला की अवकाश पीठ ने याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया और दो सप्ताह में जवाब और एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले को आगे की सुनवाई के लिए 27 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है.

न्यायमूर्ति नरूला ने कहा, ‘‘यह याचिका निचली अदालत द्वारा दी गई रिमांड पर कानूनी सवाल उठाती है, मामले की सुनवाई होगी. मैं याचिका पर नोटिस जारी करने को इच्छुक हूं.’’

पीठ ने यह भी कहा, ‘‘रिमांड कल खत्म हो रहा है, रिमांड के बाद पुलिस के पास जो सामग्री है, उसके मुताबिक अदालत मामले का फैसला करेगी.’’

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आग्रह किया कि निचली अदालत में मामले की सुनवाई पर पूर्वाग्रह नहीं होना चाहिए.

जुबैर की ओर से पेश अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने तर्क दिया कि इस मामले में हिरासत यांत्रिक तरीके से और न्यायिक जांच के बिना दी गई थी. उन्होंने तर्क दिया कि कोई भी अदालत इस मामले में संज्ञान नहीं ले सकती, क्योंकि यह सीमा कानून द्वारा वर्जित है. उन्होंने कहा, ‘‘यह मामला 2018 में पोस्ट किए गए एक मामले से संबंधित ट्वीट से संबंधित है, यानी चार साल पहले. जिन धाराओं में मामला दर्ज किया गया है, उनमें अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान है.’’

उन्होंने यह भी कहा कि यह एक ऐसा मामला है जिसने नागरिक अधिकारों के दिल में खंजर गिरा दिया. मेरे मुवक्किल जो एक पत्रकार हैं, को एक अन्य मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन इस मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.

उसका मोबाइल जिससे 2018 में कथित ट्वीट किया गया था, खो गया है. इस तथ्य की सूचना पुलिस को दी गई है. एडवोकेट ग्रोवर ने आगे कहा कि अब उन्होंने (पुलिस) उनका नया मोबाइल और लैपटॉप भी ले लिया है.

उन्होंने कहा कि ट्वीट्स मोबाइल पर नहीं, बल्कि सर्वर ट्विटर पर स्टोर होते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘खुफिया संलयन और रणनीतिक संचालन (आईएफएसओ) जो मामले की जांच कर रहा है, साइबर अपराध विशेषज्ञ है, फिर भी, उन्हें इस मामले की जांच के लिए मोबाइल और लैपटॉप की आवश्यकता है.’’

न्यायमूर्ति नरूला ने कहा, ‘‘यह जमानत याचिका नहीं है, यह सब योग्यता के आधार पर है. आरोपी को न्यायिक हिरासत में या आगे की रिमांड पर भेजा जा सकता है, यह सब मजिस्ट्रेट के सामने रखा जा सकता है और अदालत इस पर फैसला करेगी.’’

मोहम्मद जुबैर के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई मामला नहीं है और पुलिस उसके खिलाफ घूमने और मछली पकड़ने की जांच कर रही है. यहां तक कि हमें अर्जी की कॉपी भी नहीं दी गई और एफआईआर की कॉपी कोर्ट के निर्देश के बाद दी गई.

मोहम्मद जुबैर को एक अन्य मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था, जिसमें हाईकोर्ट ने सुरक्षा प्रदान की है. उन्हें इस मामले में गिरफ्तार किया गया और गिरफ्तारी से आधे घंटे पहले नोटिस दिया गया था. उन्हें 27 जून की रात 10 बजे ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया. उन्हें एक दिन की हिरासत में भेज दिया गया.

दूसरी ओर, सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि दिल्ली पुलिस पक्षपातपूर्ण तरीके से काम नहीं कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि मामला अभी जांच के चरण में है. सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा, ‘‘उनके लिए कुछ भी कहना उचित नहीं होगा. हमने अभी-अभी मोबाइल और लैपटॉप जब्त किया है.’’

एडवोकेट ग्रोवर ने इस दलील का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि यह केवल जब्ती का सवाल नहीं है, यह किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता का सवाल है. ‘‘क्या आप हमें सभ्य तरीके से कार्यवाही करने की अनुमति देंगे?’’ उनके बीच बहस के बाद जस्टिस नरूला ने वकील की खिंचाई की.