मुसलमानों के मसले पर एकजुट हुई हस्तियां

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] • 3 Years ago
मुसलमानों के मसले पर एकजुट हुई हस्तियां, कुरैशी की अध्यक्षता में बनी कमेटी
मुसलमानों के मसले पर एकजुट हुई हस्तियां, कुरैशी की अध्यक्षता में बनी कमेटी

 

मलिक असगर हाशमी / सेराज अनवर /  नई दिल्ली / पटना

राजधानी दिल्ली के एक कार्यक्रम में मुस्लिम समाज की नामचीन हस्तियों ने एकजुटता दिखाई. सभी ने मिलकर कौम की सियासी,सामाजिक,आर्थिक पिछड़ेपन और बदहाली जैसे मसले पर गहन मंथन किया. यहां तक कि अहमदाबाद की आयशा की मौत पर भी चिंता जाहिर की गई. कार्यक्रम में एक कमेटी के गठन का ऐलान किया गया, जिसका नेतृत्व पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. कुरैशी को सौपने पर राय बनी. मगर उन्होंने इसकी जिम्मेदरी लेने से मना कर दिया.
 
कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार के इमारत ए शरिया के अमीर ए शरीयत एवं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना मोहमम्मद वली रहमानी ने की. इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में आयोजित इस कार्यक्रम का नाम दिया गया ’जिरगा बराय मजबूत इंडिया’ का.
 
दो सत्रों में चले कार्यक्रम में गंभीर मंत्रणा के बाद एक कमेटी गठित करने का ऐलान किया गया, जिसका नेतृत्व पूर्व चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैसी को सौपने की बात सामने आई पर उन्होंने जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया. वैसे, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद प्राचा को कमेटी का संयोजक बनाया गया. संभावना व्यक्त  की जा रही है कि वली रहमानी ही कमेटी के अध्यक्ष बनाए जाएंगे.
 
meeting
इस बैठक में उलेमा और मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने मुल्क व मिल्लत के मौजूदा हालात तथा भविष्य में पेश आने वाले समस्याओं का मुकाबला करने पर विचार किया.मुसलमानों से जुड़े तमाम मस्लों के निवारण के लिए रणनीति बनाने को कमेटी बनाई गई है. इसके सदस्यों  में मौलाना मोहम्मद वली रहमानी, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन डॉ.जफरुल इस्लाम खान,बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य मौलाना  खलीलुर रहमान सज्जाद नुमानी, शिया आलिम मौलाना क्लबे जव्वाद, फतहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मौलाना मुफ्ती मुकर्रम समेत कौम की कई अहम शख्सियतें मौजूद रहीं.
 
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि मौजूदा सूरत ए हाल मुल्क और विशेष कर मुसलमानों के लिए बहुत संगीन है. आने वाले हालात इससे भी ज्यादा मुश्किल भरे हो सकते हैं. ऐसे में जरूरी है कि कोई मंसूबा बनाएं और उसे अमलीजामा पहनाएं.
 
इस दौरान सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में कहा गया कि यह जिरगा मुसलमानों के बीच सियासी,सामाजिक और मिल्ली सद्भाव पैदा करने की कोशिश करेगा. इसके अलावा जिरगा कमजोर तबका,अल्पसंख्यकों,ओबीसी,अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की मदद करेगा.साथ ही दबे-कुचले वर्ग अर्थात अल्पसंख्यकों,मुसलमानों,दलितों,किसानों,मजदूरों,छोटे व्यापारियों और अन्य गैर संगठित ग्रुप की सियासी आवाज को संयुक्त रूप से मजबूत करने कि कोशिश करेगा.
 
बैठक की अहम बात यह रही कि दूसरे सत्र में मुसलमानों के पृथक राजनीतिक दल बनाने पर खास बातचीत हुई.इस सत्र में विभिन्न सियासी पार्टियों के मुस्लिम नेता भी शामिल हुए.जिसमें वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डाॅ. कासिम रसूल इलियास, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के महासचिव मोहम्मद शफी, राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद नुरूल्लाह, पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ.मोहम्मद अयूब,इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सचिव खुर्रम अनीस उमर आदि मौजूद थे.
 
दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए मौलाना सज्जाद नुमानी ने कहा कि मुल्क के मौजूदा हालात में यह जरूरी है कि कांग्रेस और अन्य सेक्युलर पार्टियों का का हिस्सा बनने की बजाय पार्टियों को आगे बढ़ाएं, इसे मजबूत करें. दिलचस्प बात यह है कि इस बैठक से असद उद्दिन ओवैसी और उनकी एआईएमआईएम पार्टी को दूर रखा गया.
 
पहले सत्र में इन्होंने रखी राय

पहले सत्र में मिल्ली और सामाजिक मसलों पर विचार-विमर्श किया गया.जिसमें अजमेरशरीफ के खादिम दरगाह के सज्जादानशीं सैयद सरवर चिशती,बेंगलूरू से मुफ्ती शुऐबुल्लाह, पूर्व राज्यसभा सदस्य मौलाना ओबैदुल्लाह खान आजमी, जयपुर से मौलाना फजलुल रहमान,कोलकाता से मौलाना अबु तालिब रहमानी, इस्लामिक कल्चरल सेंटर के अध्यक्ष सिराजुद्दीन कुरैशी, हाजी अली दरगाह मुंबई के मुफ्ती मंजूर, मुस्लिम मजलिस मशावरत के महासचिव मौलाना अब्दुल हमीद नुमानी, जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर डॉ.जुनैद हारीस ,शम्स तबरेज कासमी,मुफ्ती एजाज अरशद कासमी आदि मौजूद थे. वीडीयो कान्फ्रेंस के जरिया पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त डॉ.वजाहत हबीबुल्ला,जकात फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ.जफर महमूद आदि कार्यक्रम से जुड़े.
 
कुरैशी अलग पार्टी बनाने से सहमत नहीं
 
आवाज द वाॅयस से बातचीत में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने कहा कि उन्होंने कमेटी का अध्यक्ष बनने से मना कर दिया है. साथ ही उन्होंने मुसलमानों की अलग पार्टी बनाने के प्रति भी नइत्तेफाकी जाहिर की. उन्होंने बातचीत में कहा कि पहले मुसलमानों को एकजुटता दिखानी होगी.
 
इससे ही बहुत सारे समले हल हो जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें कमेटी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी जा रही थी, जिसे लेने से मना कर दिया. उन्हांेने कहा कि जरूरत हुई तो वह कमेटी को सुझाव देते रहेंगे.