आवाज-द वॉयस / नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को विभिन्न निजी टूर ऑपरेटरों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की, जिसमें सऊदी अरब जाने वाले तीर्थयात्रियों को हज और उमराह सेवाओं के लिए माल और सेवा कर से छूट की मांग की गई थी.
टूर ऑपरेटर पंजीकृत निजी टूर ऑपरेटरों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की मांग करने वाले तीर्थयात्रियों पर जीएसटी लगाने को इस आधार पर चुनौती दे रहे हैं कि संविधान के अनुच्छेद 245 के तहत अन्य क्षेत्रीय गतिविधियों पर कोई कर कानून लागू नहीं किया जा सकता है. उनका तर्क है कि भारत के बाहर उपयोग की जाने वाली सेवाओं पर जीएसटी नहीं लगाया जा सकता है.
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यह जिम्मेदारी भेदभावपूर्ण है, क्योंकि यह कुछ तीर्थयात्रियों को भारत की हज समिति के माध्यम से हज करने से छूट देती है. तीर्थयात्रियों की हवाई यात्रा पर 5 प्रतिषत जीएसटी (इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ) लागू है.
लोग द्विपक्षीय व्यवस्था के तहत केंद्र द्वारा दी जाने वाली धार्मिक तीर्थ यात्रा के लिए अनिर्धारित / चार्टर संचालन की सेवाओं का उपयोग करते हैं. हालांकि, यदि किसी धार्मिक तीर्थयात्रा के संबंध में किसी विशेष संगठन की सेवाएं विदेश मंत्रालय द्वारा द्विपक्षीय व्यवस्था के तहत प्रदान की जाती हैं, तो दर शून्य होगी.
सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि तर्क का दूसरा भाग यह है कि तीर्थयात्रियों को प्रदान की जाने वाली सेवाएं जैसे उड़ान यात्रा, आवास आदि धार्मिक गतिविधियों के लिए छूट प्राप्त है.
एएसजीएन वेंकटरमण ने जस्टिस एएम खानवलकर, एएस ओक और सीटी रवि कुमार की पीठ को बताया कि कराधान (अन्य देशों) में अतिरिक्त अधिकार क्षेत्र के मुद्दे को देखने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की एक और बेंच को एक और महीने का समय लगा. एक से अधिक बार सुना और फैसला सुरक्षित है.
तब न्यायमूर्ति खानवलकर ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार से कहा कि यदि तर्क धार्मिक पालन के आधार पर छूट के पहलू तक सीमित थे, तो पीठ इसे तुरंत हल कर सकती है, लेकिन जहां तक अतिरिक्त गुंजाइश का सवाल है. प्राधिकरण के संबंध में, पीठ समन्वय पीठ के निर्णय की प्रतीक्षा करेगी.
दातार सहमत हो गए, लेकिन उन्होंने कहा कि वह गुरुवार को अपना प्रस्ताव पूरा नहीं कर पाएंगे. इसके बाद पीठ ने मामले को 26 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया.
गुरुवार को सुनवाई के पहले भाग में, दातार के नेतृत्व वाले वकील हर्षवर्धन ने कहा कि एक धार्मिक पार्टी के रूप में, यात्रा के हिस्से के रूप में प्रदान की जाने वाली सेवाएं एक अपवाद हैं, जो सेवाएं प्रदान करने की आवश्यकता है, वे राज्य में हैं, इस संबंध में मैं सऊदी अरब से छूट की मांग कर रहा हूं.
न तो मुझे और न ही तीर्थयात्रियों को कोई स्वतंत्रता है, इसे एक निश्चित तरीके से करना है. और अगर इसे एक निश्चित तरीके से नहीं किया जाता है, तो इसके दंडात्मक परिणाम होते हैं और फिर इसे हज के पूरा होने के रूप में नहीं माना जाता है.