कैबिनेट ने आम बजट को मंजूरी दी

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 31-01-2021
कैबिनेट ने आम बजट को मंजूरी दी
कैबिनेट ने आम बजट को मंजूरी दी

 


अपडेट
समयः 12ः00 / 01-02-2021

नई दिल्ली.केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को आम बजट 22-2021को मंजूरी दे दी.

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में संसद भवन परिसर में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित की गई जिसमें वित्तीय वर्ष 22-2021को मंजूरी दी गई.केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैबिनेट को केंद्रीय बजट पेश किया.

इससे पहले, सुश्री सीतारमण ने वित्त वर्ष 2012-13के लिए आम बजट की एक डिजिटल प्रति राष्ट्रपति राम नाथ कावंड को सौंपी और राष्ट्रपति से आम बजट पेश करने की अनुमति मांगी.

केंद्रीय वित्त मंत्री सुबह 11 बजे लोकसभा में डिजिटल आम बजट पेश करेंगे। वह अपने टैब से बजट भाषण पढ़ेंगे। वह तीसरी बार आम बजट पेश करेंगे। उन्होंने 5 जुलाई को पहली बार बजट पेश किया था। , 2019 जो अंतरिम बजट था.

 
 
नई दिल्ली. आम बजट से गांव, गरीब और किसानों को ढेरों उम्मीदें हैं. कोरोना महामारी के संकट काल में जब विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र के विकास पर ब्रेक लगा था, भारत में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र की गाड़ी रफ्तार भर रही थी. इस दौरान दुनिया को भी हमारे किसान और कृषि क्षेत्र की ताकत का अंदाजा हुआ. सरकार ने खेती-किसानी से जुड़ी देश की एक बड़ी आबादी की सुध ली. माना जा रहा  कि कृषि क्षेत्र में सुधार की बयार तेज करने को नए कानून बनाए गए हैं.

कृषि सुधार पर तकरार और कोरोना की मार से उबरने की उम्मीदों के बीच सोमवार को संसद में आम बजट 2021-22 पेश होगा. ऐसे में उम्मीद की जा रही कि गांव, गरीब और किसान की उन्नति को प्राथमिकता मिलेगी. मोदी सरकार ने आगामी बजट में भी कृषि और ग्रामीण विकास पर जोर दिया था. 


आर्थिक समीक्षा 2020-21 के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में जहां उद्योग और सेवा क्षेत्रों में जहां क्रमशः 9.6 फीसदी और 8.8 फीसदी की गिरावट का अनुमान है, वहां कृषि व संबद्ध क्षेत्र की संवृद्धि दर 3.4 फीसदी पर बरकरार रह सकती है. कृषि व संबद्ध क्षेत्र में वित्त वर्ष 2020-21 (पहला अग्रिम अनुमान) के दौरान स्थिर मूल्यों पर 3.4 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की गई है.

 
 
किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने और देश के हर गरीब को पक्का मकान समेत गांवों में बुनियादी सुविधाओं का विकास मोदी सरकार की प्राथमिकता रही है. लिहाजा, इन लक्ष्यों को हासिल करने की दृष्टि से आगामी बजट में कृषि एवं ग्रामीण विकास क्षेत्र की प्रमुख योजनाओं के बजटीय आवंटन में इजाफा होने का अनुमान है.

की जा सकती है योजनाओं में कटौती
 
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान) समेत कृषि क्षेत्र की तमाम योजनाओं के प्रति किसानों की जागरूकता लगातार बढ़ती जा रही है. र इन योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर पर दिखने लगा है. पीएम-किसान का सालाना बजट 75,000 करोड़ रुपये है. कोरोना महामारी के संकट के चलते सरकार की राजस्व प्राप्तियों में कमी आई है. ऐसे में पीएम-किसान सम्मान निधि व अन्य योजनाओं के बजट में क्या कटौती की जा सकती है? इस पर अधिकारी ने कहा कि पीएम-किसान केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना है. इसके लाभार्थियों की संख्या बढ़ी है, लिहाजा कटौती का सवाल ही नहीं पैदा होता.
 
 
हालांकि इसके बजट में इजाफा होने के संबंध में उन्होंने कुछ नहीं बताया, लेकिन उनका कहना है कि कृषि से जुड़ी तमाम योजनाएं केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल हैं. पीएम-किसान योजना से देशभर में 11.52 करोड़ किसान जुड़ चुके हैं. इसलिए, इसके बजटीय आवंटन में वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है. इस योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी किसान परिवार को आर्थिक सहायता के तौर पर तीन समान किस्तों में सालाना 6,000 रुपये मिलता है.
 
कृषि ऋण की ब्याज दरों में हो सकती है कटौती
 
इसी प्रकार, किसानों को सस्ती ब्याज दरों पर अल्पकालीन कृषि ऋण मुहैया करवाने की स्कीम पर भी सरकार का फोकस होगा. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना समेत कृषि क्षेत्र की अन्य योजनाओं को इस बजट में भी सरकार तवज्जो दे सकती है. कृषि अर्थशास्त्री बताते हैं कि कृषि के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की योजनाओं को भी आगामी बजट में सरकार प्रमुखता देगी जोकि किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी.

मनरेगा के बजट में बढ़ौतरी की उम्मीद

कोरोना काल में शहरों से पलायन करने वाले श्रमिकों को भी रोजगार के अवसर मुहैया करवाने में गांवों के विकास की प्रमुख योजनाएं काफी सहायक साबित हुईं. खासतौर से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) गांवों में दिहाड़ी मजदूरों को कोरोना काल में रोजगार मुहैया करवाने के साथ-साथ गांवों में बुनियादी संरचनाओं के विकास में अहम साबित हुई, जिसे आपदा में अवसर कहा गया और आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत इसके बजट में भी इजाफा किया गया. जानकार बताते हैं कि आगामी बजट में भी मनरेगा समेत ग्रामीण विकास की अन्य योजनाओं के बजट में इजाफा हो सकता है. मनरेगा का बजटीय आवंटन 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये था, लेकिन कोरोना काल में आत्मनिर्भर पैकेज के तहत इस योजना के लिए 40,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन का प्रावधान किया गया.
 
किसानों को संतुष्ट करने के लिए कई घोषणाएं भी
 
नए कृषि कानून को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर दो महीने से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन कर रहे हैं. कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि किसानों के आंदोलन में एमएसपी एक बड़ा मुद्दा है, लिहाजा आगामी बजट में एमएसपी को लेकर भी कुछ घोषणा होने की उम्मीद की जा सकती है.
 
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को आगामी वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट संसद में पेश करेंगी.