राकेश चौरासिया / नई दिल्ली
रविश्चन्द्रो घना वृक्षा नदी गावश्च सज्जनाः.
एते परोपकाराय युगे दैवेन निर्मिता॥
(सूर्य, चन्द्र, बादल, नदी, गाय और सज्जन , यह हरेक युग में ब्रह्मा ने परोपकार के लिए निर्माण किए हैं.)
भारतीय संस्कृति में यह भी कहते हैं नेकी कर दरिया में डाल. जब पूरी दुनिया के दिग्गज मुल्क कोरोना से कराह रहे थे, तब भारत में थोड़ी राहत थी और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 की घरेलू स्थिति को संभालते हुए पूरी दुनिया को क्लोरोक्विन, एलथ्रोमाइसिन एंटी बॉयोटिक, कोविशील्ड वैक्सीन की आपूर्ति की थी. दुनिया की दवाई फैक्ट्री के रूप में मशहूर भारत में कोविड की सेकेंड वेव भारी पड़ रही है. वृदह घरेलू संसाधन भी कम पड़ रहे हैं. ऑक्सीजन और वेंटीलेटर के अभाव में लोग अस्पतालों में दम तोड़ रहे हैं. ऐसे में ब्रिटेन ने अपने सामाजिक दायित्व के तहत भारत को राहत की शिपमेंट भेजी है. दुनिया के अन्य मुल्कों ने भी भारत को हाथो-हाथ लिया है और वे भारत को राहत भेज रहे हैं.
अब ब्रिटेन ने मेडिकल इक्विपमेंट्स से भरे 9 कंटेनर भारत भेजे हैं. ब्रिटेन ने भारत को 600 ऐसे इक्विपमेंट्स भेजे हैं, जो कोरोना के खिलाफ लड़ाई में काम आएंगे.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने आपदा की इस घड़ी में आगे भी भारत का साथ देने का ऐलान किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि “कोरोना के खिलाफ जंग में ब्रिटेन भारत के साथ खड़ा है. मेडिकल सप्लाई भारत को भेजी जा रही है. इस मुश्किल वक्त में हम भारत के साथ मिलकर काम करते रहेंगे.”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पुष्टि की है कि ब्रिटेन से राहत की शिपमेंट आज भारत पहुंच गई है.
बागची ने अपने ट्वीट में लिखा, “काम में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग! 100 वेंटिलेटर और 95 ऑक्सीजन कंसनट्रेटर्स सहित महत्वपूर्ण चिकित्सा आपूर्ति के शिपमेंट की सराहना करते हैं, जो आज सुबह जल्दी पहुंचा. कोरोना के खिलाफ लड़ाई में ब्रिटेन भी भारत के साथ आ गया है. ब्रिटेन से मदद की पहली खेप आज भारत पहुंच गई है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने भारत को हरसंभव मदद का भरोसा दिया है.
International cooperation at work! Appreciate the shipment of vital medical supplies from 🇬🇧 including 100 ventilators & 95 oxygen concentrators that arrived early this morning. pic.twitter.com/MBZFwSn4cH
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) April 27, 2021
अमेरिका ने न्यूयॉर्क से 318 ऑक्सीजन कॉन्सेन्ट्रेटर की पहली खेप भारत भेज दी है.
अमेरिका ने कोविड टीकों के लिए भारत को अन्य कच्चा माल मुहैया कराने की प्रतिबद्धता जाहिर की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का आभार जताया है.
राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा है कि अमेरिका कोविसाइड वैक्सीन के निर्माण के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले चिकित्सीय, वेंटिलेटर और कच्चे माल के स्रोतों की पहचान करके भारत के प्रयासों का समर्थन करने के लिए दृढ़ है.
अमेरिका ने चिकित्सा विज्ञान, रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट किट, वेंटिलेटर और पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) आदि उन वस्तुओं की पहचान की है, जिन्हें तुरंत भारत के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.
सऊदी अरब से 80 मीट्रिक टन ऑक्सीजन भारत लाई जा रही है. देश में ऑक्सीजन की बढ़ती मांग के मद्देनजर भारत ने ‘ऑक्सीजन मैत्री’ ऑपरेशन के तहत ऑक्सीजन कंटेनर और ऑक्सीजन सिलेंडर प्राप्त करने के लिए विभिन्न देशों से संपर्क किया था. ऑक्सीजन को भेजने का काम अडानी समूह और लिंडे कंपनी के सहयोग से हो रहा है.
यूएई ने विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायेद ने भारत को हर संभव मदद का भरोसा दिया है और यूएई से हाई कैपासिटी क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंकर रवाना हो चुके हैं. चीन ने हॉन्ग कॉन्ग से 800 ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर भारत के लिए रवाना कर दिए हैं. उसने एक सप्ताह के अंदर दस हजार अन्य ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर भारत भेजने का वादा किया है. ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर वायु से स्वच्छ ऑक्सीजन निकालकर मरीज को घर में ही उपलब्ध करवाने का काम करते हैं.
सिंगापुर ने चार क्रायोजेनिक टैंक में ऑक्सीजन, 500 बाईपैप, 250 ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर भेजे हैं, जिसे भारतीय वायुसेना के विमान लेकर आए हैं.
फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि फ्रांस महामारी से लड़ रहे भारत के साथ है और वह शीघ्र ही ऑक्सीजन वेंटिलेटर और अन्य आवश्यक सामान की आपूर्ति करेगा.
जर्मन चांसलर एंगेला मर्केल ने कहा है कि जर्मन सरकार कोविड से लड़ने के लिए शीघ्र ही मोबाइल ऑक्सीजन जेनेरेटर और अन्य मेडिकल सप्लाई भेजने वाली है. इज्रायल में भी मेडिकल सप्लाई भेजने की तैयारियां चल रही हैं. तेल अवीव के इचिलोव अस्पताल ने रविवार को एक बयान में कहा कि उसने स्वास्थ्य और विदेशी मंत्रालयों से संपर्क किया था, ताकि संकट के समय सहायता के लिए भारत को सहायता उपकरण और जनशक्ति की खेप तुरंत भेजने के लिए मंजूरी मांगी जाए.
तेल अवीव के इगिलोव अस्पताल के निदेशक रोनी गमजू, इजराइल के पूर्व कोरोनावायरस सीजर ने कहा, “मेरी राय में, यह इस समय करने के लिए सही और नैतिक बात है. हम अपने जीवन का समय दुनिया के दूसरे हिस्से में नहीं रख सकते, जबकि वे जल रहे हैं.”
यूरोपीय कमीशन ने कहा है कि हमने भारत को तत्काल मदद करने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं और जल्द ही मेडिकल सप्लाई भारत भेजी जाएगी. हमारा भ्रातृ राष्ट्र भूटान भी आगे आया है. भूटान असम को ऑक्सीजन भेजने की प्रक्रिया में है. भारत की अंतरराष्ट्रीय राजनय में बढ़ती साख के कारण अन्य राष्ट्र भारत को यथाशक्ति राहत सामग्री भेज रहे हैं.
यूं तो भारत मेडिकल सप्लाई और दवाईयों के मामले में आत्मनिर्भर है. किंतु मांग में अचानक उछाल के कारण दिक्कतें पेश आईं, जिन्हें विश्व बिरादरी ने गंभीरता से समझा है.