आवाज द वाॅयस / श्रीनगर
यदि किसी व्यक्ति में साहस हो तो वह किसी भी तूफान का सामना कर सकता है. इसका जीता जागता उदाहरण पेश किया है श्रीनगर के एक नेत्रहीन ने. उन्होंने अपनी शारीरिक कमजोरी से उपर उठकर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर कदम रख कर अपने अदम साहस का सबूत दिया.
दिल्ली के सामाजिक न्याय मंत्री वरिंदर कुमार ने कुछ दिनों पहले पूर्व सैनिकों के एक संघ, जिसमें आठ विकलांग शामिल थे, को सियाचिन ग्लेशियर पर ट्रैकिंग के लिए हरी झंडी दिखाई थी . इसके बाद टीम ने हिमाचल से कार से यात्रा की.
फिर लेह से पैदल ट्रैकिंग के लिए निकल पड़े. छह दिनों की यात्रा के बाद टीम कुमार पोस्ट पर 15,632फीट सियाचिन ग्लेशियर पर पहुंचकर एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया. रिकार्ड बनाने की वजह थे टीम में शामिल श्रीनगर के पंपोर के इरफान अहमद मीर. वह बचपन से देखने में असमर्थ हैं. मगर इरफान ने कभी अंधेपन को खुद पर हावी नहीं होने दिया.
वह बचपन से काफी मेहनती हैं. नेत्रहीन होने के बावजूद क्रिकेट खेलते हैं. इसमें काफी नाम भी कमाया है. स्पेशल फोर्सेज एसोसिएशन ऑफ वेटरन्स के निदेशक मेजर अरुण प्रकाश अंबाती कहते हैं, हमारे टीम के साथी अपनी शारीरिक कमजोरियों से कतई परेशान नहीं हैं.
अरुण ने कहा कि सेवा के दौरान उन्हें जो प्रशिक्षण मिला, उसका लाभ शारीरिक रूप से कमजोर होने के बावजूद मिल रहा है.उन्होंने बताया कि ट्रैकिंग के दौरान सेना ने उनकी काफी मदद की. सियाचिन ग्लेशियर तक जाना कोई आसान काम नहीं.
वहां तक स्वस्थ लोग भी आसानी से नहीं पहुंच सकते. हालांकि, देश के कई राज्यों के इन आठ विकलांगों ने सियाचिन पर कदम रख देश का नाम ऊंचा किया है.वहीं इरफान जब ट्रेकिंग करके अपने गांव लौटे तो उनके पड़ोसियों और माता-पिता ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. टीम के सात सदस्यों को विशेष तौर से सम्मानित किया गया.
विगलांग ट्रैकरोंका कहना है कि यदि किसी व्यक्ति में साहस हो तो वह किसी भी तूफान का सामना कर सकता है. इसका जीता जागता उदाहरण उन्होंने पेश किया है. अपनी शारीरिक कमजोरी को दरकिनार कर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ गए.