अपडेट
समय 17.53, 10 मई 2021
ब्लैक फंगस (म्यूकरमायकोसिस) के इलाज में एम्फोसिन इंजेक्शन काफी कारगर है. ब्लैक फंगस के मामले बढ़ने के साथ इस इंजेक्शन की मांग भी बढ़ गई है.
ब्लैक फंगस के मामले मुंबई और दिल्ली के साथ गुजरात में भी बढ़े हैं. इसलिए गुजरात में रेमडेसिविर की तरह एम्फोसिन की मांग बढ़ गई है.
इसका सबसे ज्यादा असर राजकोट में देखा गया है, जहां प्रशासन को 250 बेडेड म्यूकरमायकोसिस वार्ड ही स्थापित करना पड़ा है.
परिवार के लोग एम्फोसिन के लिए मेडिकल स्टोरों के चक्कर लगा रहे हैं.
कोरोना के बाद होने वाले ब्लैक फंगस (म्यूकरमायकोसिस) का इलाज बहुत महंगा है. इसके इलाज में 12-14 लाख रुपए का खर्च आता है.
एक दिन में वजन के हिसाब से एक रोगी को 6 से 9 तक इंजेक्शन दिए जा सकते हैं और एक इंजेक्शन की कीमत लगभग 6-7 हजार रुपए है. इसका इलाज 20 से 30 दिन तक चल सकता है.
राकेश चौरासिया / नई दिल्ली
तारीख 10 मई, समय सुबह 9.55 बजे, हुसैन हैदरी ने कोरोना संक्रमित विभा पुरी की मदद के लिए एक ट्वीट किया, जिसमें जिक्र है कि विभा को दिल्ली में आईसीयू बेड तो चाहिए ही, बल्कि उसकी आंख में ब्लैक फंगल इन्फेक्शन (म्यूकरमायकोसिस) हो गया है. ऑक्सीजन और कई दवाईयों की जरूरत के अलावा फेफड़ों के नुकसान, खून के थक्के जमाने वाला थ्रंबोसिस, मधुमेह, किडनी, कैंसर या हार्ट फेल्यर और अन्य शारीरिक अंगों को क्षति पहुंचाने वाले कोरोना ने लोगों को अंधा बनाना भी शुरू का दिया है. सेकेंड वेब में आंखों में फंगस के ऐसे केस अभी मुंबई में ही दर्ज हो रहे थे. अब ऐसे केस दिल्ली में भी मिलने लगे हैं.
हैदरी ने सौहार्द दिखाते हुए विभा के लिए मदद मांगी. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, “दिल्ली में आईसीयू बेड चाहिए. रोगी कोविड सकारात्मक है और आंख में सर्जरी की जरूरत है. रोगी का नामः विभा पुरी, उम्र 48, स्थिति म्यूकरमायकोसिस (अब के रूप में एक आंख में संक्रमण), आवश्यकताः तत्काल सर्जरी,आईसीयू, संपर्कः 9999245925 (वरिंदर), कृपया लीड प्रदान करें, यदि कोई हो.”
Need ICU Bed in #Delhi.
— Hussain Haidry (@hussainhaidry) May 10, 2021
Patient is Covid positive, and needs surgery in the eye.
Patient Name: Vibha Puri
Age: 48
Status: Mucurmycosis (Infection in one eye as of now)
Requirement: Immediate surgery + ICU
Contact: 9999245925 (Varinder)
Please provide leads if any.
म्यूकरमायकोसिस यानि ब्लैक फंगस के मामले पहली कोरोना लहर में भी मिले थे. किंतु सेकेंड वेब के दौरान मुंबई में इसके सर्वाधिक मामले दर्ज हुए हैं.
चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय (डीएमईआर) के प्रभारी डॉ. तात्याराव लहाने के अुनसार म्यूकरमायकोसिस के 200 उपचाराधीन रोगियों में से आठ मरीजों की मौत हो चुकी है.
अब ब्लैक फंगस के मामले दिल्ली में भी दर्ज किए जा रहे हैं.
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉक्टर मनीष मुंजाल ने बताया कि हम कोविड-19 से होने वाले इस खतरनाक ब्लैक फंगल संक्रमण के मामलों में फिर से वृद्धि देख रहे हैं. दो दिनों में ही हमने म्यूकोरमाइसिस से पीड़ित छह रोगियों को भर्ती किया है.
पहले-पहल कोरोना के बारे में यही समझा गया कि कोविड के कारण केवल फेफड़े प्रभावित हो रहे हैं. बाद में धीरे-धीरे खुलासा हुआ कि कोरोना वायरस फेफेड़ों के अलावा शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों को भी प्रभावित कर रहा है.
कोरोना वायरस फेफड़ों में संक्रमण के बाद पूरे शरीर की इम्युनिटी यानि प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है.
इम्युनिटी कमजोर होने के बाद शरीर के अन्य महत्पूर्ण अंगों में भी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं.
मधुमेह रोगियों की इम्युनिटी कमजोर होती है. फिर कोरोना के प्रभाव से इम्युनिटी और प्रभावित होने से रोगी की कुल इम्युनिटी निचले स्तर पर चली जाती है, शरीर के किसी भी संवेदनशील अंग में किसी भी प्रकार के रोग की रिकवरी शून्य के करीब चली जाती है.
कोरोना इसी तरह किडनी और कैंसर के रोगियों पर कमजोर इम्युनिटी के कारण भारी पड़ रहा है.
मुंबई के ईएनटी सर्जन डॉ. अक्षय नायर के अनुसार ब्लैक फंगस आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपती है. यह फंगस मिट्टी में और हवा में भी होती है. स्वस्थ इंसान की नाक और बलगम में भी ये फंगस पाई जाती है.
म्यूकरमायकोसिस यानि ब्लैक फंगस उन लोगों में पाया जा रहा है, जो कोरोना को मात दे चुके होते हैं. मोटे तौर पर इसे कोरोना का साइड इफेक्ट भी कहा जा सकता है.
नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डॉ. वीके पॉल का कहना है कि कि म्यूकर नाम के फंगस के संक्रमण के कारण म्यूकरमायकोसिस रोग हो रहा है.
डॉ. वीके पॉल का कहना है कि मधुमेह यानि डायबिटीज के रोगियों में ब्लैक फंगस के संक्रमण का सर्वाधिक खतरा है.
होता यह है कि जब कोरोना के कारण रोगी को ऑक्सीजन दी जा रही होती है, तो इस सिस्टम में ऑक्सीजन का ठंडा रखना के लिए एक ऐसा उपकरण लगाया जाता है, जिसमें पानी होता है. जिसके कारण ब्लैक फंगस का संक्रमण हो सकता है. कुछ डॉक्टरों का माना है कि रोगी को कोरोना से बचाने के लिए स्टेरॉइड्स दिए जाते हैं, जिससे ब्लैक फंगस भी हो जाती है.
जो मरीज कोरोना संक्रमण से उबर गए और बाद में ब्लैक फंगस का शिकार हो गए, ऐसे मरीजों में नए संक्रमण के कारण पाया गया कि उनकी नेत्र ज्योति या तो कम हो गई या बिल्कुल चली गई.
लैक फंगस के केस में आंख के अलावा मस्तिष्क, नाक, कान, जबड़ा और गले में भी संक्रमण बढ़ने से दिक्कतें आ रही हैं.
डॉ. अक्षय नायर को हाल ही में तीन घंटे की सर्जरी के बाद एक 25 युवती की आंख ही निकालनी पड़ गई, क्योंकि उसकी आंख में फंगस का इतना गहरा संक्रमण हो गया था.
मुंबई के सायन अस्पताल की ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. रेणुका बरादू के अनुसार उनके अस्पताल में पिछले दो महीनों में ब्लैक फंगस के 24 रोगियों का उपचार किया गया, जिनमें से 11 रोगियों की आंख निकाली पड़ी और छह रोगियों की मृत्यु हो गई.
ईएनटी सर्जन डॉक्टर मनीष मुंजाल का कहना है कि बीते साल इस घातक संक्रमण में मृत्यु दर काफी अधिक रही थी और इससे पीड़ित कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी तथा नाक और जबड़े की हड्डी गल गई थी.
नाक बंद होना, आंखों में सूजन आना, होठों और गालों का सुन्न होना
नाक के आंतरिक हिस्सों और त्वचा में खुश्की या यानि रूखापन बढ़ जाता है.
नाक साफ करते समय भूरी या काली पपड़ी जैसा मल निकलता है.
आईसीएमआर ने ब्लैक फंगस के बारे में विस्तृत एडवायजरी जारी की है.
कोरोना से जंग जीतने वाले लोग उसके बाद भी असावधानी न बरतें. डॉक्टर की सलाह लेते रहे हैं. ताकि ब्लैक फंगस सक्रिय न हो पाए.
किसी रोग से अब भी ग्रसित हैं, तो लगातार डॉक्टर से सलाह लेते रहें.
यह फंगल उन लोगों में हो सकती है, जो स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण दवाईयां ले रहे हैं या जिनकी बीमारी के कारण इम्युनिटी कम हो गई है.
मॉस्क जरूर लगाएं.
शरीर को कपड़ों से अच्छी तरह ढंके.
जूते जरूर पहनें.
धूल-मिट्टी से बचें.
साबुन लगाकर अच्छी तरह नहाएं.
ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई पड़ें, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.
डपचार बहुत महंगा और कष्टदायी होता है. इसलिए इससे जरूर बचें.
रोगी को एंटी-फंगस दवाओं की हैवी डोज दी जाती है.
संक्रमण ठीक न हो, तो प्रभावित अंग को काटकर शरीर से निकाल देना पड़ता है.