बिलकिस बानो मामला: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से मांगा कार्यवाही का पूरा रिकॉर्ड

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 09-09-2022
बिलकिस बानो मामला: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से मांगा कार्यवाही का पूरा रिकॉर्ड
बिलकिस बानो मामला: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से मांगा कार्यवाही का पूरा रिकॉर्ड

 

आवाज- द वॉयस/ एजेंसी

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गुजरात सरकार से बिलकिस बानो मामले में कार्यवाही का पूरा रिकॉर्ड दाखिल करने को कहा, जिसमें 2002के गोधरा दंगों के दौरान बानो के साथ सामूहिक बलात्कार करने और उनके परिवार वालों की हत्या के 11दोषियों को दिए गए छूट के आदेश भी शामिल हैं.

न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न की पीठ ने गुजरात सरकार को मामले में सभी प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया. पीठ ने दोषियों की रिहाई के खिलाफ टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की याचिका पर गुजरात सरकार और दोषियों को भी नोटिस जारी किया.

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की सदस्य सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लाल और सामाजिक कार्यकर्ता और प्रोफेसर रूप रेखा वर्मा द्वारा दायर याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया था.

याचिका में 11दोषियों को छूट देने के आदेश को रद्द करने और उनकी तत्काल पुन: गिरफ्तारी का निर्देश देने की मांग की गई है.

याचिका में कहा गया है, "इस फैसले सेऐसा प्रतीत होता है कि गुजरात सरकार के सक्षम प्राधिकारी के सदस्यों के संविधान के साथ एक राजनीतिक दल और मौजूदा विधायकों के प्रति निष्ठा थी. इस तरह, ऐसा प्रतीत होता है कि सक्षम प्राधिकारी पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं था."

तीन महिलाओं द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उन्होंने गुजरात सरकार के सक्षम प्राधिकारी के आदेश को चुनौती दी गई है जिसके द्वारा गुजरात में किए गए जघन्य अपराधों में आरोपी 11लोगों को 15अगस्त, 2022से रिहा करने की अनुमति दी गई थी.

"11लोगों को अन्य बातों के अलावा, 18जनवरी, 2008को सत्र न्यायालय द्वारा पारित गुजरात में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगों के दौरान कई लोगों के सामूहिक बलात्कार और हत्या के अपराधों के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. याचिका में कहा गया है कि ग्रेटर मुंबई में और 4मई, 2017को मुंबई के उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के माध्यम से दोषसिद्धि को बरकरार रखा गया था.

याचिका में कहा गया है कि जिस मामले में 11दोषियों को दोषी ठहराया गया था, उसकी जांच सीबीआई द्वारा की गई थी, तदनुसार, केवल गुजरात सरकार द्वारा केंद्र सरकार के परामर्श के बिना छूट का अनुदान दंड प्रक्रिया संहिता, 1973की धारा 435के क्षेत्राधिकार के संदर्भ में अनुमेय नहीं है.

याचिका में कहा गया है कि इस जघन्य मामले में छूट पूरी तरह से जनहित के खिलाफ होगी और सामूहिक सार्वजनिक अंतरात्मा को झकझोर देगी, साथ ही पूरी तरह से पीड़िता के हितों के खिलाफ भी होगी (जिसके परिवार ने सार्वजनिक रूप से उसकी सुरक्षा की चिंता करते हुए बयान दिए हैं).

याचिका में कहा गया है,"इस तरह के तथ्यों (मामले के तथ्यों) पर, किसी भी मौजूदा नीति के तहत किसी भी जांच को लागू करने वाला कोई भी सही सोच का प्राधिकारी ऐसे लोगों को छूट देने के लिए उपयुक्त नहीं मानेगा जो इस तरह के भीषण कृत्यों में शामिल पाए गए हैं."

गुजरात सरकार ने 15अगस्त को उम्रकैद की सजा पाने वाले 11दोषियों को रिहा कर दिया. इस मामले के सभी 11दोषियों को 2008में उनकी दोषसिद्धि के समय गुजरात में प्रचलित छूट नीति के अनुसार रिहा किया गया था.

मार्च 2002 में गोधरा के बाद के दंगों के दौरान, बानो के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया था और उसकी तीन साल की बेटी सहित उसके परिवार के 14 सदस्यों के साथ मरने के लिए छोड़ दिया गया था. वह पांच महीने की गर्भवती थी जब वडोदरा में दंगाइयों ने उसके परिवार पर हमला किया.