नई दिल्ली/पटना
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे और अंतिम चरण के मतदान के बाद जारी नौ प्रमुख एग्ज़िट पोल्स ने राज्य में एक बार फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सत्ता में वापसी की भविष्यवाणी की है। इन सर्वेक्षणों के मुताबिक, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला गठबंधन 147 से 167 सीटें जीत सकता है, जबकि महागठबंधन (RJD-कांग्रेस गठजोड़) को 70 से 90 सीटों पर सिमटने का अनुमान है। वहीं, प्रशांत किशोर की नई पार्टी ‘जन सुराज’ के खाते में एक भी सीट नहीं आने की संभावना जताई गई है।
एनडीटीवी के Poll of Exit Polls (यानी सभी सर्वेक्षणों का औसत) के अनुसार—
NDA: 147 सीटें (बहुमत के लिए आवश्यक 122 सीटों से काफी आगे)
महागठबंधन: 90 सीटें
जन सुराज पार्टी: 1 सीट
इन नतीजों के मुताबिक NDA को लगभग 48 प्रतिशत वोट शेयर, जबकि महागठबंधन को 37 प्रतिशत वोट मिलने की संभावना जताई गई है।
इन एग्ज़िट पोल्स में Matrize, Chanakya Strategies, P-Marq, People’s Pulse, DV Research, People’s Insight, Dainik Bhaskar, TIF Research और JVC शामिल हैं। सभी ने लगभग समान रुझान दिखाए — NDA को स्पष्ट बहुमत और विपक्ष को सीमित समर्थन।
उदाहरण के लिए:
Matrize ने NDA को 147-167 सीटें और महागठबंधन को 70-90 सीटें दीं।
P-Marq ने NDA को 142-162 सीटें और महागठबंधन को 80-98 सीटें दीं।
DV Research ने NDA को 137-152 सीटें और महागठबंधन को 83-98 सीटें दीं।
Chanakya Strategies ने NDA को 130-138 सीटें और महागठबंधन को 100-108 सीटें मिलने का अनुमान लगाया।
सभी सर्वेक्षणों का मत लगभग एक ही दिशा में झुका दिखा—बिहार में NDA की सत्ता बरकरार रहने की पूरी संभावना।
इस चुनाव में महिला मतदाताओं की भागीदारी रिकॉर्ड स्तर पर रही। Matrize सर्वे के मुताबिक, 65% महिलाओं ने NDA के पक्ष में वोट डाला, जबकि केवल 27% महिलाओं ने महागठबंधन को चुना। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार की “लाड़ली योजना”, आरक्षण नीतियाँ और महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ी योजनाएँ इस वोट बैंक को अपने पक्ष में करने में कारगर साबित हुईं।
राजनीतिक विश्लेषक मनोज सिंह (Matrize) ने कहा — “महागठबंधन ने नीतीश कुमार को उम्र और स्वास्थ्य को लेकर निशाना बनाया, लेकिन इससे सहानुभूति लहर पैदा हुई और महिलाओं ने भारी संख्या में उनके पक्ष में मतदान किया।”
बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में सम्पन्न हुआ —
पहला चरण: 6 नवंबर (121 सीटें, 18 ज़िले)
दूसरा चरण: 11 नवंबर (122 सीटें, 20 ज़िले)
दूसरे चरण में 68.76% मतदान हुआ, जो बिहार के चुनाव इतिहास में अब तक का सर्वाधिक मतदान प्रतिशत है। पहले चरण में भी 65% से अधिक मतदान हुआ था। कुल मिलाकर, 3.7 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने 1,302 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला किया।
2020 में 110 सीटें जीतने वाला महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वाम दल) इस बार लगभग 20 सीटों की गिरावट का सामना करता दिख रहा है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में युवा वोट बैंक का उत्साह इस बार कमज़ोर पड़ा और जातीय समीकरणों में NDA को बढ़त मिल गई।
पीपल्स पल्स के निदेशक डॉ. राजन पांडे के अनुसार, “बिहार में सब कुछ जाति पर आधारित है। NDA के पास पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अति पिछड़े वर्ग का व्यापक समर्थन है।”
राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने इस चुनाव में पहली बार हिस्सा लिया, लेकिन एग्ज़िट पोल्स ने उनके लिए निराशाजनक तस्वीर पेश की है।
अधिकांश सर्वेक्षणों में उन्हें 0 से 4 सीटों के बीच दिखाया गया है, कुछ ने तो शून्य सीटें तक दी हैं।
कंचन गुप्ता (वरिष्ठ सलाहकार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय) ने कहा — “मीडिया ने वर्षों तक प्रशांत किशोर को चुनावी जादूगर बताया, लेकिन जब उन्होंने खुद मैदान में उतरने का निर्णय लिया, तो वास्तविकता सामने आ गई।”
NDA में इस बार भाजपा और जेडीयू दोनों बराबर 101 सीटों पर चुनाव लड़े, जबकि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास), जीतनराम मांझी की हम (से) और उपेन्द्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा सहयोगी दल के रूप में शामिल थे।
राजनीतिक विश्लेषक वीरे संघवी ने कहा — “लोग मानते हैं कि यह नीतीश कुमार का आखिरी चुनाव है, इसलिए वे उन्हें विदाई में एक और कार्यकाल देना चाहते हैं।”
सभी एग्ज़िट पोल्स का संदेश लगभग एक समान है ,बिहार की जनता ने स्थिरता और अनुभव पर भरोसा जताया है।हालांकि एग्ज़िट पोल्स अक्सर अंतिम नतीजों से भिन्न साबित होते हैं, लेकिन यदि ये रुझान सही साबित होते हैं, तो NDA एक बार फिर बिहार की सत्ता में मजबूती से वापसी करेगा।
अब सबकी निगाहें 14 नवंबर पर टिकी हैं, जब वोटों की गिनती के बाद यह साफ़ होगा कि क्या नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे या बिहार की राजनीति कोई नया मोड़ लेगी।