ईद मिलादुन्नबी की धूम, देश भर में ‘ मो ए मुबारक’ के दीदार को उमड़े जायरीन

Story by  सेराज अनवर | Published by  [email protected] | Date 19-10-2021
बिहारः ईद मिलादुन्नबी की धूम
बिहारः ईद मिलादुन्नबी की धूम

 

सेराज अनवर / पटना
 
बिहार में ईद मिलादुन्नबी उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है.हालांकि,कोविड को देखते हुए बड़े जलसा-जुलूस की इजाजत नहीं है, मगर पिछले साल के मुकाबले इस बार राजधानी पटना और प्रदेश के मुस्लिम इलाकों में जश्न का माहौल है. कई जगह सड़के सजाई गई हैं. उधर, देश के विभिन्न खानकोहों में संरक्षित ‘ मो ए मुबारक ’ के दीदार को लोग उमड़ पड़े हैं.
 
राजधानी पटना के विभिन्न खानकाहों, धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों द्वारा सीरत कांफ्रेंस, नातिया मुशायरा व अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.घरों-मोहल्ले में रोशनी की गई है. छोटे-छोटे जुलूस निकाले जा रहे हैं.जलसा चल रहा है.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ईद मिलादुन्नबी  की मुबारकबाद दी है.
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अंजुमन ए मोहम्मदिया से निकला जुलूस

सोमवार को अंजुमन ए मोहम्मदिया की ओर से पश्चिमी दरवाजा के समीप से हजारों की संख्या में अकीदतमंदों ने जुलूस  निकाला. इस जुलूस का शुभारंभ खानकाह इमादिया मंगल तालाब के सज्जादानशीन  सैयद शाह मिसबाहुल हक इमादी की दुआ से हुआ.
 
हजारों की संख्या में लोग अशोक राजपथ के रास्ते शहीद भगत सिंह चौक होते हुए मंगल तालाब स्थित उर्दू मैदान पहुंचे. यहां देर रात तक सीरत पर जलसा चला.जुलूस ए मोहम्मदी का यह सबसे पुराना और रजिस्टर्ड संगठन है.
 
अंजुमन ए मोहम्मदिया के अध्यक्ष मोहम्मद शमशाद,महासचिव मेराज जेया, मो. साबिर अली ने आवाज द वायस को बताया कि मंगलवार को मंगल तालाब स्थित उर्दू मैदान में नातिया मुशायरा और बुधवार को महिलाओं द्वारा सीरत कान्फ्रेंस आयोजित किया जाएगा.
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दीवान शाह अरजानी में सर्वधर्म सेमिनार आयोजित

पटना के दीवान शाह अरजानी  में 21वीं सदी की समस्या और मुहम्मद साहब की शिक्षा का महत्व विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया.  इसमें शामिल शिक्षाविदों ने सभी समस्याओं का समाधान मुहम्मद साहब की शिक्षा से संभव बताया.
 
खानकाह दीवान शाह आरजानी में आयोजित सेमिनार में शिक्षाविद डा. रेहान गनी, अहमद जावेद, तहसीन रजा रिजवी, दलजीत सिंह, बी के मिश्रा समेत अन्य ने मुहम्मद साहब के जीवन, दर्शन एवं शिक्षा पर विस्तार से अपनी बातें रखीं.
 
उन्होंने मुहम्मद साहब की शिक्षा को व्यवहारिकता में लाने पर बल दिया.इदारा ए शरिया के मुफ्ती सदर मौलाना मुफ्ती डॉ.अमजद रजा अमजद ने कहा कि छोटे-बड़े हर मसला का हल सीरत पाक में मौजूद है.शर्त है कि करनी और कथनी में अंतर न हो.
 
कुरान और हदीस में ताकीद की गई है, जो कहा करो वही किया करो. जो किया करो वही कहा करो.श्री हरमंदर जी के कथावाचक सरदार ज्ञानी दलजीत सिंह ने कहा कि सभी खुदा के बंदे हैं.बुरे का भी भला करना मुहम्मद साहब का अहम पैगाम है.
 
नीतीश कुमार का पैगाम

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यवासियों को मुबारकबाद देते हुए कहा कि सामाजिक कुरीतियों,गैर-बराबरी और नफरत से इंसानी समाज को छुटकारा दिलाने का हजरत मुहम्मद साहब का पैगाम हमारे लिए आज और भी ज्यादा प्रासंगिक हो गया है.
 
हजरत मुहम्मद साहब ने न सिर्फ भाईचारा और मुहब्बत का पैगाम दिया, उन्होंने अपने जीवन काल में उस पर अमल भी किया.उनका जीवन तमाम इंसानियत के लिए अनुकरणीय है. सारी दुनिया की इंसानी बिरादरी उनके प्रति अहसानमंद है.
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मो ए मुबारक का दीदार आज

ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर मंगलवार की सुबह करीब पांच बजे से खानकाह मुनेमिया मीतन घाट में मुहम्मद साहब के मो ए  मुबारक का दीदार कराने का काम शुरू हो गया.यह जानकारी सज्जादानशीन सैयद शाह डा. शमीम अहमद मुनअमी  ने दी.
 
उन्होंने बताया कि एक घंटा तक लोग मो ए मुबारक  का दीदार कर सकते हैं. वहीं, खानकाह इमादिया मंगल तालाब के सज्जादानशीन सैयद शाह मिसबाहुल हक इमादी ने बताया कि मंगलवार की सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक पुरुष और दोपहर तीन बजे से लेकर शाम पांच बजे तक महिला अकीदतमंदों को मो ए मुबारक का दीदार  कराया जाएगा.
 
खानकाह मुजिबिया के सचिव हजरत मिनहाज उद्दीन कादरी ने बताया कि मंगलवार 19 अक्टूबर को सुबह से दोपहर तक महिला जायरीनों को जबकि दोपहर से शाम चार बजे तक पुरुषों को मो ए मुबारक की जियारत कराई जाएगी.
 
फारसी भाषा में ‘बाल‘ को ‘मू‘ या ‘मो‘ कहा जाता है,इसलिए हजरत मुहम्मद साहब के सुरक्षित बाल को ‘मो-ए-मुकद्दस‘ या ‘मो-ए-मुबारक‘ (पवित्र बाल) भी कहा जाता है.इसका दीदार करना खुशनसीबी मानी जाती है.
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तीन सौ साल से सुरक्षित मो ए मुबारक

इस्लाम धर्म के प्रवतर्क और अंतिम पैगंबर हजरत मुहम्मद स0अ0व0  का  मो ए मुबारक सात सौ साल पहले भारत आया, जबकि खानकाह मुजीबिया में तीन सौ साल से सुरिक्षत है.खानकाह में तीन सौ साल से इस्लामिक कैलंड़र की हर माह की ग्यारवहीं तारीख  और रब्बी उल अव्वल  की बारहवीं तारीख को मो ए मुबारक की जियारत होती है.
 
खानकाह मुजीबिया के प्रबंघक हजरत सैयद शाह मिंहाजउददीन कादरी के अनुसार, मो ए मुबारक हजरत सैयद कुतुब जमाल बांसवी चिश्ती के पास थी.उनसे हजरत सुफी जिया उद्दीन चंढ़स्वीं के पास पहंची.उनसे उनके खलीफा हजरत मख्दुम तमीमउल्लाह सफेद बाज चिश्ती जेढ़वली बिहारी तक पहुंची.
 
उनसे उनके खालीफा हजरत मख्दुम समन चिश्ती अरवली तक आई.उनसे उनकी औलाद होते हुए अरवल में सैयद शाह गुलाम रसूल होते हुए हजरत मखदूम समन के पास पहुंची और उनसे खानकाह मुजिबिया के संस्थापक ताजुलआरफीन पीर मुजीब उल्लाह कादरी के पास मो ए मुबारक आई और तब से लेकर मो  ए मुबारक की जियारत होती आ रही है.
 
देश और बिहार में इन खानकाहों में है मो ए मुबारक 

हजरत बल (कश्मीर ),शीश महल (फुलवारी), खानकाह मोहम्मदिया कादरिया (अमझर शरीफ),  खानकाह एमदिया मंगल तालाब (पटना सिटी), खानकाह रामसागर (गया ),  खानकाह सेमरा (रफीगंज).