बिहार: मुख्यमंत्री नीतीश  कुमार ने राजमिस्त्री को दफनाने के लिए झोंक दी ताकत

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 27-05-2021
बिहार: मुख्यमंत्री नीतीश  कुमार ने राजमिस्त्री को दफाने के लिए झोंक दी ताकत
बिहार: मुख्यमंत्री नीतीश  कुमार ने राजमिस्त्री को दफाने के लिए झोंक दी ताकत

 

सेराज अनवर /  पटना

ऐसा बहुत कम होता है. किसी मामूली से व्यक्ति को उसका हक दिलाने के लिए पूरा प्रशासनिक तंत्र लग जाए. बहुत दिनों बाद एक राजमिस्त्री के मामले में बिहार के शासन-प्रशासन ने कुछ ऐसा ही जज्बा दिखाया है.
 
कोविड महामारी ने रिश्तों के ताना-बाना को बिखेर दिया है. सगे-संबंधी अपनों के ही शव छोड़ कर भाग रहे हैं. ऐसे में बिहार सरकार की यह सराहनीय पहल सामने आई है. मामला प्रदेश के किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड के डूबानोची गांव का है. राजमिस्त्री का काम करने वाले यहां के नुरुल हुदा की कोविड से सिक्किम में मौत हो गई. 
 
हुदा की मौत के बाद परिजन बेचैन हो गए. सिक्किम सरकार ने नियम बना रखा है कि कोरोना से मरने वाला चाहे जिस धर्म का हो, उसके के शव आग के हवाले किए जाएंगे. मगर नुरूल हुदा के मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल से सिक्किम सरकार कोे न केवल अपने इस नियम से पीछे हटना पड़ा, चार दिनों बाद हुदा का शव परिजनों को भी मिल गया. 
 
24 मई को नुरुल हुदा के परिजनों को उसकी मौत की खबर मिली. इसके बाद वे उसका शव लाने का प्रयास करने लगे. इसके लिए  किशनगंज जिला प्रशासन को वस्तुस्थिति से अवगत कराया. इसपर संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन द्वारा गंगटोक जिला प्रशासन से 24 मई को ही संपर्क साधा गया. साथ ही हुदा का शव उसके परिजनों को सौंपने का आग्रह किया गया, पर बात नहीं बनी.
 
इसके बाद हुदा के परिजनों ने मामले की जानकारी किसी तरह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश तक पहुंचाई. इसका असर यह हुआ कि मुख्यमंत्री ने न केवल सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग को पत्र लिखा, उन्हें फोन कर व्यक्गित स्तर पर शव सौंपने की व्यवस्था करने की अपील की.
 
उन्होंने सीएम तमांग से मामले में हस्तक्षेप करने का कहा. इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिक्किम के राज्यपाल से भी बात की. दूसरी तरफ बिहार के मुख्य सचिव और डीजीपी सिक्किम के मुख्य सचिव और डीजीपी के संपर्क में रहे.साथ ही नीतीश के प्रधान सचिव ने मुख्यमंत्री तवांग के प्रधान सचिव से भी बातचीत जारी रखा. 
 
आखिरकार नीतीश के तमाम प्रयासों का बेहतर नतीजा सामने आया. गंगटोक से बिहार सरकार को संदेश मिला कि एंबुलेंस भेज कर नुरुल हुद का शब मंगवा सकते हैं. तमाम जद्दोजहद के बाद गुरुवार की दोपहर नुरुल हुदा का शव न केवल उनके गांव पहुंचा, इस्लामिक तरीके से उसे सुपुर्दे खाक भी कर दिया गया.
 
किशनगंज के पत्रकार शम्स अहमद ने आवाज द वॉयस को बताया कि यह हाईप्रोफाईल मामला नहीं है. मगर गंगटोक से हुदा का शव किशनगंज लाने के लिए बिहार के सारे हाई प्रोफाइल लोगों ने जोर लगा दिया. 
 
नुरूल हुदा सिक्किम में राजमिस्त्री का काम करते थे.किशनगंज के सरहदी इलाके से सिक्किम की दूरी सौ-डेढ़ सौ किलो मीटर है.इसलिए यहां का मजदूर वर्ग सिक्किम,दार्जिलिंग कमाने चला जाता है. कोरोना महामारी के इस दौर में जो लोग बाहर रहकर काम कर रहे हैं, वे लॉकडाउन की वजह से वापस अपने घर लौट रहे हैं.
 
वहीं, कई ऐसे भी हैं जो किसी वजह से घर नहीं लौट पा रहे हैं.  जबकि कई ऐसे भी हैं जिनकी बाहर ही महामारी से मौत हो गई. ऐसे में उनके परिजनों को उनके शवों के अंतिम संस्कार के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. 
 
जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष मेजर इकबाल हैदर खान कहते हैं, ‘‘ नीतीश कुमार ने बिहार के मुसलमानों को कभी निराश नहीं किया.’’वह कहते हैं कि नीतीश का नारा है-‘सबका साथ-सबका विकास-सबको इंसाफ.’