बेंगलुरूः कोविड मरीजों के लिए अजमत हैं न

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] • 2 Years ago
बेंगलुरूः कोविड मरीजों के लिए अजमत हैं न
बेंगलुरूः कोविड मरीजों के लिए अजमत हैं न

 

प्रतिभा रमन / बेंगलुरू

मोहम्मद अजमत बेंगलुरु में डीएक्ससी टेक्नोलॉजीज कंपनी के एक प्रोजेक्ट का नेतृत्व करते हैं. वह भारोत्तोलन चैंपियन भी हंै. उनकी जिंदगी में पत्नी के अलावा एक 13 वर्षीय बेटी है. 2020 तक एक 10 साल का बेटा था, जो अब इस दुनिया में नहीं रहा. जब उन्होंने अपने सामने बच्चे का शव बुरी स्थिति में देखा, तभी से उनकी जिंदगी की प्राथमिकताएं बदल र्गइं. 
 
अजमत इनदिनों बेंगलुरु में कोविड रोगियों के लिए भोजन और खाने के सामान की व्यवस्था करते हैं. कहने को वह पावर लिफ्टर हंै, पर गरीबों और दलितों को कोविड के चलते परेशान देखते हैं तो तड़प उठते हैं. वह कहते हैं, ‘‘मैं पावर लिफ्टिंग का प्रशिक्षण देता हूं. चैंपियनशिप आयोजित करता हूं, लेकिन अभी उनकी प्राथमिकता लोगों की मदद करना है.’’
 
उनका एक संगठन है, जिसके सदस्य समाज सेवा में लगे हैं. वह उन्हें प्रोत्साहित करते रहते हैं. अजमत ने कोविड की पहली लहर के दौरान राहत कार्य  शुरू किया था. तब वह मर्सी मिशन सहित कई अन्य गैर सरकारी संगठनों के साथ जुड़े थे. अब अपने स्तर से काम कर रहे हैं.
 
अभी वह प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन के पैकेट से लेकर ऑक्सीजन सिलेंडर और सेनेटाइजेशन तक का कार्य कर रहे हैं. साथ ही कोविड मरीजों को अस्पतालों में बेड दिलवाने का हर संभव मदद करते हैं.
 
वह बताते हैं, “बहुत सारे लोग इनदिनों दिन-रात परेशान मिलते हैं. रोगी को ऑक्सीजन मुहैया कराने से लेकर अस्पताल में बेड दिलवाने तक मदद करते हैं. यही नहीं रोगी जब अस्पताल में रहता है तो उसके परिवार का भी ध्यान रखते हैं.’’ मरीजों और उनके परिजनों के लिए अजमत और उनकी टीम के सदस्य एंबुलेंस आदि की व्यवस्था करते हैं. कई बार उन्हें शव वाहन का भी इंतजाम करना पड़ता है.
 
अजमत याद करते हुए कहते हैं कि उन्होंने दो भाईयों के शव दो अलग-अलग जगह व्हाइटफील्ड और दूसरा मल्लेश्वरम से उठाए थे और उसे समुचित स्थान तक पहुंचाया था. तब उन्हांेने उन दोनों भाईयो के बच्चों को हैरान-परेशान देखा था. वह दृश्य आज भी उनकी आंखों के आगे घूमता है.
 
अजमत बताते हैं कि जब कोविड मरीजों के लिए मैदान में डटे रहते हैं तो खुद और उनकी कोविड प्रोटोकॉल का पूरा पालन करते हैं. मास्क, सैनिटाइजर, पीपीई किट और सामाजिक दूरी का विशेष ख्याल रखा जाता है.
 
अजमत ने कहा, ‘‘मेरी बेटी के जन्मदिन के दौरान बनशंकरी में उनके गार्ड को पिछले साल कोविड हो गया था. उसके परिवार वाले इसको लेकर बेहद परेशान थे. तब उन्होंने उसकी भरपूर मदद की.
 
उनके अनुसार कोविड की दूसरी लहर अभूतपूर्व है. यह किसी नरसंहार से कम नहीं. वह बताते हैं कि इस वक्त बेंगलुरु के सारे आईसीयू बेड फुल हैं. दूसरी तरफ गंभीर मामले बढ़ते जा रहे हैं. स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा चरमरा चुका है. 
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अजमत बेगलुरू में अस्पताल के बेड घोटाला का जिक्र करते हुए कहते हैं, यह कोई नया नहीं है. रिश्वत लेकर अस्पताल में बेड देने का पुराना चलन जोर पकड़ चुका है. यह सब कोरोना की पहली लहर से चल रहा है.
बेड के लिए 50,000 रुपये तक रिश्वत वसूली जा रही है.
 
अपनों की जान बचाने के लिए लोग रिश्वत देकर बेड लेने को मजबूर हैं. वह कहते हैं शहर में आईसीयू के 10,000 बेड हैं, पर हर दिन 20,000 लोग कतार में रहते हैं. आज भी आईसीयू बेड के लिए 16,000 मरीज वेटिंग में हैं. ऐसे में 6000 लोग अपने मरीजों के लिए अस्पताल में बेड के लिए दिनभर भागते रहते हैं.
 
अजमत बताते हैं कि वह और उनकी टीम ऐसे ही परेशान हाल लोगों की मदद के लिए आगे रहती है. उन्होंने एक पार्टी के नेता पर कोविड के बहाने ‘‘सांप्रदायिकता‘‘ फैलाने का  आरोप लगाया. वह बताते हैं कि उनकी टीम किसी का धर्म पूछकर सहायता नहीं करती. वे सभी के लिए काम करते हैं. उनकी टीम में भी राहुल, एम्ब्रोस, सिंह जैसे सभी धर्मों के लोग हैं.