कमाल मौला मस्जिद पर बसंत पंचमी की पूजा, उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 03-02-2025
Basant Panchami Puja at Kamal Maula Mosque
Basant Panchami Puja at Kamal Maula Mosque

 

धार. मध्यप्रदेश के धार में मौजूद मध्यकालीन स्मारक भोजशाला में बसंत पंचमी के मौके पर सोमवार को श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की. इस स्मारक पर हिंदू और मुसलमान दोनों ही अपना दावा करते हैं. कुछ हिंदू संगठन भोजशाला में सोमवार से चार दिवसीय बसंत उत्सव मना रहे हैं. इस मौके पर इसके परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई. भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष 11वीं सदी के इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है.

यह परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वे (एएसआई) की तरफ से संरक्षित है. भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा ने बताया कि सुबह से ही भोजशाला में पूजा-अर्चना शुरू हो गई, जहां ‘आहुति’ भी दी गई. उन्होंने बताया कि उदाजीराव चौक से शोभा यात्रा निकाली जाएगी, जिसके बाद दिन में मां वाग्देवी (सरस्वती) की महाआरती की जाएगी. शर्मा ने कहा कि राजा भोज की तरफ से साल 1034 में इसी दिन मंदिर के गर्भगृह में मां वाग्देवी की मूर्ति स्थापित कर सरस्वती जन्मोत्सव मनाना शुरू किया था.

गोपाल शर्मा ने कहा कि पूरा हिंदू समाज इसी परंपरा को बड़े उत्साह के साथ मनाता आ रहा है. उन्होंने कहा कि यह 991वां उत्सव है. ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नाम के संगठन की अर्जी पर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने पिछले साल 11 मार्च को एएसआई को भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे करने का आदेश दिया था. इसके बाद एएसआई ने 22 मार्च से इस विवादित परिसर का सर्वे शुरू किया था जो पूरा हो चुका है.

लगभग तीन माह तक चले सर्वे के बाद एएसआई ने पिछले साल जुलाई में 2,000 से ज्यादा पन्नों की रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपी. भोजशाला को लेकर विवाद शुरू होने के बाद एएसआई ने सात अप्रैल 2003 को एक आदेश जारी किया था. इस आदेश के मुताबिक पिछले 21 साल से जारी व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को हर मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की इजाजत है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है. ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ ने अपनी याचिका में इस व्यवस्था को चुनौती दी है.