Bait-ul-Meeras एक इमारत में कश्मीर का इतिहास, देखेंगे तो दंग रह जाएंगे

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 07-12-2022
Bait-ul-Meeras एक इमारत में कश्मीर का इतिहास, देखोगे तो देखते रह जाओगे
Bait-ul-Meeras एक इमारत में कश्मीर का इतिहास, देखोगे तो देखते रह जाओगे

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली

डाउनटाउन श्रीनगर में एक संग्रहालय ‘बैत-उल-मीरास’ (Bait-ul-Meeras) स्थापित किया गया है कि, जिसका उद्देश्य कश्मीर कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपरा के बारे में युवा पीढ़ी को जागरूक करने है.

घाटी में स्थित एक NGO ने इस संग्रालय को स्थापित किया है. हेल्प फाउंडेशन द्वारा सितंबर 2021 में स्थापित किया गया बैत-उल-मीरास (Bait-ul-Meeras) कश्मीर में दूसरा सबसे बड़ा निजी संग्रहालय है. सोपोर में मीरास महल जो शहर के ‘आल कदल’ क्षेत्र में झेलम नदी के तट पर स्थित है, जिसमें प्रदर्शित करने के लिए सैकड़ों आइटम.

एक चार मंजिला धरोहर के अंदर, जो डाउनटाउन में पारंपरिक कश्मीरी घरों की वास्तुकला को दर्शाता है. इस संग्रहालय में प्राचीन आभूषण, पारंपरिक पोशाक, बर्तन, कपड़े, कला और शिल्प शामिल हैं. इसके साथ ही कई और आकर्षण की चीजें हैं जो वादी के संस्कृति को दर्शाती है.

बैत-उल-मीरासिस के जरिए पिछले युग की कलाकृतियों और अन्य वस्तुओं के जरिए लोगों को फिर से संस्कृति के बारे में बताने का प्रयास किया गया है.

सिर्फ इतना ही नहीं जब से ये संग्रहालय खुला है उसके बाद से लोगों का जबरदस्त प्रतिक्रिया मिला है.

म्यूजियम लगातार अपने संग्रह को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. यह एक ऐसा स्थान है जहां खास अवसरों के दौरान लोग अपने वैल्युएबल कलेक्शन का भी प्रदर्शन कर सकते हैं, जैसे धार्मिक पांडुलिपियों और पारिवारिक विरासत. अभी हाल ही में रेडियो जॉकी आरजे नासीर ने भी यहां विजिट किया जिसकी तस्वीरें और वीडियो उन्होनें अपने ट्विटर हैंडल पर सांझा किए हैं.

इसके अलावा, इस म्यूजियम में समय-समय पर कला का प्रदर्शन किया जाता है साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं.

प्रदर्शन के दौरान अधिकांश कलाकृतियां हैं जो दैनिक उपयोग की वस्तुएं जो बीसवीं शताब्दी के अंत तक कश्मीर में एक आम दृश्य थीं.

गैलरी में मौजूद कलाकृतियों में ताथुल पातर (वाटर बैरल), 200 साल पुराना कंज, धूल, वटनी गोर शामिल हैं. (वाकर), नाउट, मसनंद, वागुव, गाबिया, नमधा, लाख स्तंभ, इज़बांड सिज़, पपीयर-माचे लैंप स्टैंड, समोवर, कश्मीरी होका, गुरु मंडून, गंज बाण, ताश सेट, जुगीर, यिंदर आदि इसमें शामिल हैं.

‘बैत-उल-मीरास’ संग्रहालय में लगभग 50-60 प्रकार के आभूषण आइटम भी हैं जिनका उपयोग पूराने समय में महिलाएं किया करती थीं.

इनमें जो वस्तुओं में शामिल हैं वो, कास्कर, वाजे, बावेद, पातर, कमरबानो, हलकाबंद, कुंदन, चोकर ग्लोब, गुनसा, राज़, चापियो खोल, हैचज़ कौर, मातरमॉल, सूरमा दानी, सबन दिन, दूर काश, सिंदूर दानी, कनी वाजी के साथ ही कई और चीजें शामिल हैं.

वहीं, कपड़ों की बात करें तो, संग्रहालय में हीरलूम किमखब फेरन, एक शादी का वस्त्र है जो 150 साल पुराना है, वेशभूषा, दस्तार और पुल्होर है.

जिस भवन में संग्रहालय है, उसका निर्माण डोगरा राजा महाराजा प्रताप के काल में किया गया था. ये कौल वंश की संपत्ति थी जो प्रभावशाली और प्रतिष्ठित कश्मीरी पंडित थे.

बाद में 1947, कौल वंश के सदस्यों ने कश्मीर छोड़ दिया और इसे “हलवे-वीन” (Halwae-wean) नामक एक मुस्लिम परिवार को बेच दिया. बैत-उल-मीरास के प्रतिनिधियों का कहना है कि वे कड़ी मेहनत करते रहेंगे ताकि हमारे युवाएं के लिए ऐसे मंच कश्मीर में हो.