अयोध्याः धन्नीपुर मस्जिद के लिए चंदा जुटाएगी इस्लामिक फाउंडेशन

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 22-08-2022
अयोध्याः धन्नीपुर मस्जिद के लिए चंदा जुटाएगी इस्लामिक फाउंडेशन
अयोध्याः धन्नीपुर मस्जिद के लिए चंदा जुटाएगी इस्लामिक फाउंडेशन

 

लखनऊ. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मुसलमानों को दी गई पांच एकड़ जमीन पर अयोध्या के धन्नीपुर गांव में मस्जिद निर्माण के लिए फंड जुटाने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है. राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद टाइटल सूट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष को जमीन दी गई थी. मस्जिद के निर्माण के लिए स्थापित इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) जमीन पर अस्पताल, पुस्तकालय, सामुदायिक रसोई और अनुसंधान संस्थान के साथ एक मस्जिद का निर्माण करेगा.

फाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन ने बताया कि उसके अध्यक्ष जफर फारूकी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम ने 12 अगस्त को फर्रुखाबाद का दौरा किया और पहली बार अयोध्या में मस्जिद और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं के निर्माण के लिए चंदा देने की अपील की.

इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने मस्जिद निर्माण के लिए एक करोड़ रुपये जुटाने का वादा किया और वहां से करीब ढाई लाख रुपये की वसूली भी की. उन्होंने कहा कि इससे पहले फाउंडेशन ने मस्जिद के निर्माण के लिए 25 लाख रुपये एकत्र किए थे.

उम्मीद है कि एक महीने के भीतर अयोध्या विकास प्राधिकरण से मस्जिद और अन्य भवनों का नक्शा मिल जाएगा. नक्शा मिलते ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

हुसैन ने कहा कि शुरुआत में अस्पताल बनाया जाएगा और ओपीडी शुरू की जाएगी. संभव हो सके तो धन्नीपुर में बहुप्रतीक्षित मस्जिद का फर्श तैयार करने के साथ ही वहां नमाज पढ़ने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी.

12 अगस्त को फर्रुखाबाद में शहर के कई बड़े व्यवसायियों, सेवानिवृत्त अधिकारियों और अन्य लोगों ने फंड जुटाने का कार्यक्रम आयोजित किया. इसी तरह मुंबई और गुजरात, मध्य प्रदेश और बिहार के विभिन्न जिलों से लोग फाउंडेशन की टीम को बुला रहे हैं. अब हम अपना ‘रूट मैप’ बना रहे हैं ताकि इन सभी जगहों का दौरा किया जा सके और फंड जुटाया जा सके.

 

सचिव ने यह भी कहा कि फाउंडेशन के बारे में मुसलमानों की राय काफी हद तक बदल गई है और लोग अब इस पर भरोसा कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मुसलमान ही नहीं, अन्य समुदायों के लोग भी फाउंडेशन पर भरोसा कर रहे हैं. शुरुआत में गैर-मुसलमानों ने फाउंडेशन को बहुत दान दिया, लेकिन अब मुसलमानों ने भी बड़े पैमाने पर भाग लेने में रुचि दिखाना शुरू कर दिया है.’’