असमः कालियाबारी में मंदिरों और मस्जिदों में कूड़ेदान बांट रहे हैं नजरूल इस्लाम

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 27-05-2022
असमः कालियाबारी में मंदिरों और मस्जिदों में कूड़ेदान बांट रहे हैं नजरूल इस्लाम
असमः कालियाबारी में मंदिरों और मस्जिदों में कूड़ेदान बांट रहे हैं नजरूल इस्लाम

 

अरिफुल इस्लाम/ गुवाहाटी

ऐसे समय में जब देश के विभिन्न हिस्सों में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक झड़पें हो रही हैं, नजरूल इस्लाम नाम के एक छोटे व्यवसायी ने उदारता और सद्भाव का दुर्लभ प्रदर्शन किया है. असम के नौगांव जिले में कोलियाबारी अनुमंडल के इस व्यवसायी ने क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों, दरगाहों, मस्जिदों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में कूड़ेदान मुहैया कराए हैं और इस तरह अपनी दरियादिली का परिचय दिया है.

नजरूल इस्लाम ने कालियाबारी के विभिन्न क्षेत्रों और सामाजिक संस्थाओं को साफ सुथरा रखने के लिए कूड़ेदान बांटना शुरू किया है. उन्होंने कालियाबार के एक छोटे व्यवसायिक प्रतिष्ठान में कूड़ेदान वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया. समारोह में पबित्र कुमार दास, उप-मंडल प्रमुख, कोलियाबार और जखलाबंधा पंचायत के अध्यक्ष उपस्थित थे. नामघर, मस्जिद और मंदिर समिति के शिक्षक और प्रतिनिधि भी उपस्थित थे.

कूड़ेदान वितरण समारोह के बाद नजरूल इस्लाम ने अपनी कार में निर्धारित स्थान पर डस्टबिन लगाने की व्यवस्था की.

आवाज़ द वॉयस के साथ एक साक्षात्कार में, इस्लाम कहते हैं; "मानवता हो तो सब कुछ किया जा सकता है. आजकल लोग केवल अपने बारे में सोचते हैं. जब सभी समाज के कल्याण के बारे में सोचेंगे तो समाज विकास के पथ पर होगा. हमने मानवता की परिभाषा उन लोगों से सीखी जिन्होंने मेरी मदद की. शायद इसलिए मैं सामाजिक कार्य कर पाया."

नजरूल इस्लाम ने अपने आसपास के वातावरण को साफ सुथरा रखने के उद्देश्य से करीब 200 कूड़ेदान उपलब्ध कराए हैं. वह कहते हैं, "कोल्याबार इलाके में मैंने शैक्षणिक संस्थानों, मंदिरों, मंदिरों, मस्जिदों और बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में कूड़ेदान दिए हैं.”

कालियाबार के अनुमंडल अधीक्षक पवित्र कुमार दास कहते हैं; "हम नज़रुल इस्लाम की पहल का सम्मान करते हैं. मैं नज़रूल इस्लाम कोल्याबार के प्रशासन की ओर से अपनी ईमानदारी से बधाई देना चाहता हूं."

नज़रुल इस्लामकहते हैं,"मेरे मन में सभी धर्मों के लिए समान सम्मान है. धर्म के आधार पर विभाजित होना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. हम सभी इंसान हैं, इसलिए मानव धर्म हम सभी को जोड़ता है. यदि हम समाज की समग्र भलाई चाहते हैं तो हमें सबके लिए आदर और स्नेह रखना होगा. नई पीढ़ी को एक सुंदर समाज की सौगात के रूप में अवश्य देना चाहिए."

इसके अलावा नजरूल इस्लाम विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में शामिल है. नजरूल इस्लाम की करुणा के दायरे में जानवर भी हैं. नजरूल पिछले 6 साल से पवित्र ईद के दौरान बंदरों को खाना देते हैं. नजरूल इस्लाम का मानना है कि इंसानों को भी जानवरों के प्रति उतना ही जिम्मेदार होना चाहिए जितना कि इंसानों के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए.