आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. ऑक्सीजन, चिकित्सा और उचित चिकित्सा देखभाल के अभाव में, अधिकांश रोगी अपने जीवन के लिए लड़ रहे हैं. कोरोना की वापसी बड़े शहरों में शुरू चुकी है.
ऐसे में उलेमाओं ने लोगों से ईद के लिए नए कपड़े सिलवाने या खरीदने के बजाय कोरोना रोगियों की मदद करने की अपील की है. उनका कहना है कि गरीबों की मदद करें, भूखे, यात्रियों और बीमारों के लिए दवा उपलब्ध कराएं.
मस्जिदों से उन लोगों की मदद करने के लिए भी आह्वान किया जा रहा है, जिन्होंने कोरोना के प्रकोप के कारण अपनी नौकरी खो दी है और उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है. उलेमा की अपील को इंटरनेट और सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचाया जा रहा है.
मुफ्ती अख्तर हुसैन मनानी ने देश भर के मुसलमानों से आर्थिक रूप से सक्षम लोगों से अपील की कि वे ऐसे लोगों की मदद करें जो बीमार हैं, जिन्हें दवा की सख्त जरूरत है. जिन लोगों के पास भोजन नहीं है, उनके लिए राशन की व्यवस्था करें. ईद के खर्चों को कम करके सभी की मदद करें. रमजान किसी की मदद करने के लिए एक अच्छा महीना हो होता है.
मौलाना अब्दुल खालिक निजामी ने कहा कि कई लोग कोरोना संक्रमण के कारण परेशानी में हैं. वे भोजन और चिकित्सा के लिए चिंतित हैं. लोगों को इस ईद पर अपने आसपास के सभी लोगों की खुलकर मदद करनी चाहिए. उन्हें भोजन और कपड़े के साथ-साथ दवा भी दें. इस मुश्किल घड़ी में सभी को एक साथ खड़ा होना होगा.
मुफ्ती खुशी मोहम्मद मिस्बाही ने कहा कि हमारा मजहब हर किसी की जरूरत में मदद करने की आज्ञा देता है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दूसरे का मजहब क्या है. उन्होंने रोजा रखने वालों से उन लोगों की मदद करने का आह्वान किया, जो कोरोना महामारी के कारण अपनी नौकरी खो चुके हैं. यह कठिनाइयों का समय हो सकता है, लेकिन अगर हम इस समय सद्भाव बनाए रखते हैं, तो हम निश्चित रूप से भाईचारे को बढ़ावा दे रहे हैं.
कारी मुनीस रिजवी ने कहा कि अल्लाह दूसरों की मदद करने वालों की मदद करता है. फालतू और फिजूलखर्ची बंद करें और जरूरतमंदों की मदद करें.