इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद का एएसआई सर्वे रोका

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 09-09-2021
ज्ञानवापी मस्जिद
ज्ञानवापी मस्जिद

 

नई दिल्ली. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी की एक अदालत के आठ अप्रेल के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाया और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एएसआई सर्वेक्षण पर रोक लगा दी है.

वाराणसी की एक अदालत के सिविल जज ने अपने निर्णय में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का व्यापक भौतिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था.

विश्वनाथ मंदिर के पक्ष ने दावा किया था कि 18अप्रैल, 1669को, मुगल सम्राट औरंगजेब ने मंदिर को ध्वस्त कर दिया और उक्त मंदिर के खंडहरों पर एक मस्जिद का निर्माण किया था. इसकी वास्तविकता जानने के लिए मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण कराना जरूरी है. मंदिर पक्ष का दावा है की मस्जिद परिसर की खुदाई के बाद मंदिर के अवशेषों पर तामीर मस्जिद के सबूत अवश्य मिलेंगे. इस लिए एएसआई सर्वेक्षण किया जाना बेहद जरूरी है. मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण से यह साफ हो सकेगा की मस्जिद जिस जगह तामीर हुई है वह जमीन मंदिर को तोड़कर बनाई गई है या नहीं.

अप्रैल में, निचली अदालत ने एएसआई को यह पता लगाने का निर्देश दिया था कि क्या मस्जिद “अध्यारोपण, परिवर्तन या जोड़ है या किसी अन्य धार्मिक संरचना के साथ या किसी भी प्रकार का संरचनात्मक अतिव्यापी है.”

इस आदेश को यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

मस्जिद पक्ष ने हाईकोर्ट में दलील दी थी कि वाराणसी की अदालत का फैसला पूजा स्थल अधिनियम 1991के प्रावधानों का उल्लंघन है. पूजा स्थल अधिनियम 1991के तहत 15अगस्त 1947के पहले के किसी भी धार्मिक स्थल में कोई भी तब्दीली या फेरबदल नहीं किया जा सकता.

इस पर हाईकोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया है.