इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा में मीट बैन पर मांगी जानकारी

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] • 2 Years ago
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा में मीट बैन पर मांगी जानकारी
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा में मीट बैन पर मांगी जानकारी

 

प्रयागराज. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मथुरा में मांस और अन्य मांसाहारी वस्तुओं की बिक्री पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली एक याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य के वकील को जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.

इस संबंध में एक सप्ताह के भीतर सूचना देने में विफल रहने पर अंतरिम राहत के अनुरोध पर सुनवाई की अगली तिथि 9 मार्च को विचार किया जाएगा. पिछले साल 10 सितंबर को अतिरिक्त मुख्य सचिव (धार्मिक बंदोबस्ती) ने 22 नगरपालिका वाडरें को नामित करने का आदेश पारित किया था.

अगले दिन, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी (डीएफएसओ), मथुरा ने उक्त क्षेत्रों में मांस की दुकानों और रेस्तरां के पंजीकरण लाइसेंस को निलंबित करने का आदेश पारित किया. मुजाहिद और आठ अन्य द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और शेखर कुमार यादव की खंडपीठ ने इस मामले को अगली सुनवाई के लिए 9 मार्च का समय दिया था.

याचिकाकर्ताओं ने अदालत से राज्य सरकार के अधिकारियों को 10 सितंबर, 2021 की अधिसूचना के अनुसरण में मटन/चिकन और अन्य वस्तुओं की बिक्री में उनकी मांसाहारी दुकानों से उनके व्यवसाय में हस्तक्षेप नहीं करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है.

याचिकाकर्ताओं ने आगे अदालत से डीफएसओ, मथुरा द्वारा पारित 11 सितंबर, के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया है. उन्होंने अदालत से राज्य सरकार के अधिकारियों को याचिकाकर्ताओं को मांसाहारी खाद्य पदार्थों और मांस उत्पादों की बिक्री के लिए अपने संबंधित रेस्तरां / होटल चलाने की अनुमति देने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया.

अंतरिम राहत के रूप में याचिकाकर्ता ने जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी, मथुरा द्वारा जारी अधिसूचना के संचालन पर रोक लगाने का अनुरोध किया है, अन्यथा याचिकाकर्ताओं को अपूरणीय क्षति होगी. रिट याचिका में याचिकाकर्ताओं ने अपने मांसाहारी होटलों को बंद करने के लिए मजबूर करने वाले उक्त आदेशों को इस आधार पर चुनौती दी है कि इससे याचिकाकर्ता आजीविका के अधिकार से वंचित हो गए हैं .

इसलिए यह अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (जी) (व्यापार और पेशे को चलाने का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन है.

इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने मांस और अन्य मांसाहारी वस्तुओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के आदेशों को चुनौती दी है.