आवाज द वाॅयस / लखनऊ
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निलंबित मुस्लिम पुलिसकर्मी को सेवा में रहते दाढ़ी रखने की अनुमति देने से इनकार कर दिया. कहा कि यह आधिकारिक आदेशों का उल्लंघन है. वह संविधान के अनुच्छेद 25के तहत दाढ़ी रखने की मांग नहीं कर सकते.
न्यायमूर्ति राजेश सिंह चैहान की लखनऊ पीठ ने पुलिस कांस्टेबल मोहम्मद फरमान द्वारा दायर रिट याचिका पर यह आदेश पारित किया. उल्लेखनीय है कि कांस्टेबल को दाढ़ी रखने के चलते पिछले साल नवंबर में निलंबित कर दिया गया था.
उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने 26अक्टूबर, 2020को सर्कुलर जारी कर पुलिसकर्मियों को दाढ़ी रखने पर रोक लगा दी थी.इसके बाद कांस्टेबल ने अपने निलंबन के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया. इसमें मांग की गई कि उसे अनुच्छेद 25के तहत दाढ़ी रखने की अनुमति दी जाए. यह अनुच्छेद धर्म की स्वतंत्रता से संबंधित है.
आदेश पारित करते हुए, एचसी बेंच ने कहा कि उच्च अधिकारियों द्वारा निर्देश दिए जाने के बावजूद दाढ़ी नहीं मुंडाना पुलिस महानिदेशक द्वारा परिपत्र का उल्लंघन है. यह न केवल गलत व्यवहार है, दुराचार और अपराध भी है.
बेंच ने कहा, ‘‘ उचित वर्दी पहनने और आवश्यक तौर- तरीके से संबंधि दिशानिर्देश जारी करना अधिकारी का कर्तव्य है. एक अनुशासित बल के सदस्यों को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.‘‘
याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 25इस संबंध में पूर्ण अधिकार प्रदान नहीं करता. कोर्ट ने कहा,‘‘सभी अधिकारों को इस संदर्भ में देखना चाहिए जिसमें उन्हें संविधान के तहत तैयार किया गया है.
याचिका खारिज करते हुए पीठ ने अधिकारियों को याचिकाकर्ता के खिलाफ कानून के अनुसार विभागीय जांच करने और मामले को समाप्त करने के निर्देश दिए.