मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद और पाकिस्तान के वहां खुलकर पत्ते खेलने के बाद पहली बार इस मुद्दे से जुड़े सात देश एक साथ मिलकर इस पर चर्चा करने वाले हैं.
खास बात यह है कि अफगानिस्तान और तालिबान पर केंद्रित इस बैठक का आयोजन नई दिल्ली में हो रहा है और इसकी धुरी हैं भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल. इस बैठक में ईरान, रूस, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाखस्तान, उजबेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान शामिल होने वाले हैं.
नई दिल्ली में होने वाली यह बैठक एनएसए स्तर की बातचीत क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहने वाली है. इस बैठक का मुख्य एजेंडा अफगानिस्तान में तालिबान के सत्तारूढ़ होने के बाद की सुरक्षा चुनौतियों, अफगानिस्तान में स्थिरता, एक व्यापक सरकार के गठन और मौजूदा व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण विषय पर है, और जाहिर है इस मसल पर भारत अपनी चिंताएं खुले तौर पर रखने वाला है.
इस बैठक की अध्यक्षता एनएसए डोभाल ही करेंगे. इससे पहले इस स्तर की दो बैठकें पहले भी हो चुकी हैं. इनमें से पहली सितंबर, 2018और दिसंबर, 2019में ईरान में हो चुकी हैं. विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, कोरोना महामारी के कारण भारत में इससे पहले बैठक नहीं हो पाई थी.
रिपोर्टों के अनुसार, इन सात देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक सीमा पार आतंकवाद के खतरों, आतंकवादी समूहों की मौजूदगी, राजनीतिक अस्थिरता और चरमपंथ के प्रसार और अफगानिस्तान से कट्टरपंथी विचारधाराओं के फैलाव जैसे मुद्दों पर केंद्रित होगी. अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं और यह बात इस बैठक के मुख्य एजेंडे में शामिल हैं.
भारत की कूटनयिक कोशिश अफगानिस्तान और मध्य एशिया को जोड़ने की है. इनमें ईरान की चाबहार बंदरगाह परियोजना और तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (तापी) गैस पाइपलाइन शामिल हैं. नई दिल्ली में 10 नवंबर की बैठक में इन परियोजनाओं और भविष्य के इरादों पर आगे की प्रगति पर भी चर्चा हो सकती है.
गौरतलब है कि ऐसा पहली बार होगा कि सभी मध्य एशियाई देश अफगानिस्तान पर इस तरह की बैठक में शामिल होंगे.
हालांकि, इस बैठक के लिए चीन, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान में एनएसए समकक्षों को निमंत्रण भेजे गए थे. निमंत्रण पिछले महीने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय द्वारा नई दिल्ली में आमंत्रित देशों के दूतावासों के माध्यम से भेजे गए थे.
ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान सहित ईरान, रूस और पांच मध्य एशियाई देशों ने शिखर सम्मेलन में अपनी भागीदारी की पुष्टि की है. हालांकि, चीन और पाकिस्तान ने अपनी भागीदारी की पुष्टि नहीं की है. पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने घोषणा की कि वह बैठक में शामिल नहीं होंगे. इसका मतलब यह हो सकता है कि वे अफगानिस्तान में भारत की भूमिका पर प्रतिक्रिया देना चाहते हैं.
इस बीच, भारतीय अधिकारियों को उम्मीद है कि चीनी सुरक्षा राज्य मंत्री चेन वेनकिंग या कोई अन्य सुरक्षा अधिकारी व्यक्तिगत रूप से सम्मेलन में भाग लेंगे. द हिंदू की एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है. इधर, 9 नवंबर यानी मंगलवार की शाम को एनएसए डोभाल ने नई दिल्ली में ताजिकिस्तान के एनएसए विक्टर मखमुदोव के साथ मुलाकात की. उन्होंने अपने उज्बेक समकक्ष से भी मुलाकात की है. सूत्रों के मुताबिक, डोभाल ने दोनों देशों के एनएसए के साथ हुई बातचीत में अफगानिस्तान के मुद्दे पर विशद चर्चा की है. दोनों ही देशों के समकक्षों से अलग-अलग हुई मुलाकात में प्रतिरक्षा, सीमा प्रबंधन और सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास की दिशा में सहयोग को लेकर सकारात्मक बातचीत हुई है.