हई खान / नई दिल्ली
शब-ए-बारातकी एक दिन की चहल-पहल के बाद तब्लीगी जमात के अंतरराष्ट्रीय मरकज यानी केंद्र पर फिर सन्नाटा पसर गया. सोमवार को इस पर फिर ताला लगा दिया गया. दिल्ली की एक अदालत से केवल एक दिन शब-ए-बारात के अवसर पर मरकज खोलने की अनुमति मिली थी. वह भी कई शर्तों के साथ.
जानकारी के अनुसार, अदालत ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की विशेष आग्रह पर केवल एक दिन शब-ए-बारात के लिए मरकज खोलने के आदेश दिए थे. वैसे, दिल्ली वक्फ बोर्ड ने दिल्ली कोर्ट से शब-ए-बारात एवं रमजान का हवाला देते हुए मरकज पर लगी तालाबंदी हटाने का आग्रह किया था.
बताते हैं कि स्थानीय थाने के थानाध्यक्ष ने कोर्ट से मरकज पर तालाबंदी का स्टे ले रखा है. वक्फ बोर्ड के आग्रह पर कोर्ट की ओर से केवल शब-ए-बारात के लिए ताला खोलने की अनुमति दी थी. यहां आने वालों की संख्या 50तक सीमित रखने के आदेश दिए गए थे. साथ ही उनका ब्यूरा पास के थाने में जमा कराने को कहा गया था. यहां आने वाले लोगों का विवरण इकट्ठा करने को पुलिस कर्मी वाले भी तैनात किए गए थे.
जानकारी के अनुसार, दिल्ली वक्फ बोर्ड के वकील वजीह शफीक और वरिष्ठ वकील रमेश गुप्ता कोर्ट में सुनवाई के दौरान मौजूद रहे थे. दिल्ली सरकार की ओर से एडवोकेट नंदिता राव भी उपस्थित थीं. दिल्ली वक्फ बोर्ड के अधिवक्ताओं ने रमजान के मद्देनजर जल्द सुनवाई की आवश्यकता पर बल दिया था, जिसपर अगली सुनवाई 12अप्रैल को होगी.
क्या मामला है
वैश्विक कोरोना के प्रकोप के बाद पिछले साल मार्च में, स्थानीय प्रशासन ने बीमारी का हवाला देते हुए तब्लीगी जमात मरकज पर ताला लगा दिया था. दिल्ली प्रशासन के सख्त रवैये से इलाके के दुकानदार बहुत निराश हैं.
उनका कहना है कि जब मस्जिद, मंदिर और गुरुद्वारे खुले हैं तो केंद्र को खुला रखने में क्या कठिनाई है ? एक व्यापारी शमशाद अहमद का कहना है कि मरकज उनकी आजीविका का स्रोत है. जुबैर होटल के मालिक अशफाक का कहना है मरकज के बंद रहने से उनका व्यवसाय प्रभावित हो रहा है. उनका होटल ठीक मरकज के सामने है.